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theABHAYSINGH_BIPIN

#Newyear2024-25 तुम समझती तो ऐसी दूरी नहीं होती, बिछड़ने की कोई मजबूरी नहीं होती। तुम चलती मेरे साथ हाथ पकड़कर, आज फ़ासले और ये बेरुख़ी नह

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New Year 2024-25 तुम समझती तो ऐसी दूरी नहीं होती,
बिछड़ने की कोई मजबूरी नहीं होती।
तुम चलती मेरे साथ हाथ पकड़कर,
आज फ़ासले और ये बेरुख़ी नहीं होती।

हम तो थे रौशनी की एक राह जैसे,
तुम्हारे संग चलते हर चाह जैसे।
जो तुम सुनती दिल की हलचल मेरी,
तो दिलों में ये तन्हाई नहीं होती।

बस एक नज़र, बस एक बात होती,
शिकवे-गिले सबकी वहीं मात होती।
जो तुम समझती दिल के जज़्बात मेरे,
तो आज दिलों में ये दूरी नहीं होती।

ख़ता अगर थी, तो उसे भूल जाना,
मोहब्बत को हर इल्ज़ाम से छुड़ाना।
गर रिश्ते की डोर को तुम थाम लेती,
तो दिलों में ये वीरानी नहीं होती।

जो वक्त थम जाता उस मोड़ पर कहीं,
जहाँ खड़ी थी खुशियों की एक जमीं।
तुम कदम बढ़ाती अगर साथ मेरे,
तो तक़दीर भी यूँ बेवफ़ा नहीं होती।

©theABHAYSINGH_BIPIN #NewYear2024-25 

तुम समझती तो ऐसी दूरी नहीं होती,
बिछड़ने की कोई मजबूरी नहीं होती।
तुम चलती मेरे साथ हाथ पकड़कर,
आज फ़ासले और ये बेरुख़ी नह

theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार

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White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार में।

घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी,
खो जाने दो मुझे मखमली छांव में।
ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है,
ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में।

अरसों से खुद को सँवारा है मैंने,
बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में।
लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार,
मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में।

थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से,
ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में।
ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में,
अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari 
तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार

theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_quotes हो तुम? जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती, जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती। कहाँ हो तुम? जो मे

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White कहाँ हो तुम?
जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती,
जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती।

कहाँ हो तुम?
जो मेरे काँपते होठों पर उँगली रख, ख़ामोशी को सुकून देती,
जो मेरे दिल की बेचैनी में, सांसों को जीवन देती।

कहाँ हो तुम?
कैसे तुम्हें आवाज़ दूँ, जो आकर इस तन्हाई को मिटाती,
जो मेरे सूने लम्हों को, उम्मीदों से रंग देती।

कहाँ हो तुम?
कितना कुछ कहना था तुझसे, जो मेरे ख्वाबों को हकीकत बनाती,
तुम होती, तो मैं पूरा होता, अगर तुम मेरे साथ होती।

कहाँ हो तुम?
तुम्हारी गैरमौजूदगी में सब अधूरा सा लगता है,
जो इस वीराने दिल को, फिर से धड़कन देती,
जो मेरे टूटे अरमानों को नई रौशनी देती।

कहाँ हो तुम?
जो मेरे साथ होकर इस अधूरे इश्क़ को पूरा करती,
जो मेरे वीरान सफर को, मोहब्बत का नया गीत गाती।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_quotes 

 हो तुम?
जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती,
जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती।

कहाँ हो तुम?
जो मे

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी

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हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं,
पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं।

जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है,
वहां दीवारें बस खामोश खड़ी हैं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं,
पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं।
जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है,
वहां दीवारें बस खामोश खड़ी

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर इश्क़ की राह में जब दूरियाँ बढ़ जाएं, हर नफ़स में सर्द हवा, क्या ख़ता हो? जब तुम्हारे बिना हर पल गुम सा लगता है, क्या वो अधूरी

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इश्क़ की राह में जब दूरियाँ बढ़ जाएं,
हर नफ़स में सर्द हवा, क्या ख़ता हो?

जब तुम्हारे बिना हर पल गुम सा लगता है,
क्या वो अधूरी मोहब्बत ही हमारी सज़ा हो?

दिल की गहराई में जब तन्हाई की गूंज हो,
क्या वो खामोशी ही अब हमारी आवाज़ हो?

तुमसे बिछड़ने के बाद, हर राह वीरान सी लगती है,
क्या वो फासला ही हमारी चाहत की सजा हो?

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
इश्क़ की राह में जब दूरियाँ बढ़ जाएं,
हर नफ़स में सर्द हवा, क्या ख़ता हो?

जब तुम्हारे बिना हर पल गुम सा लगता है,
क्या वो अधूरी

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों

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White जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब,
वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा?

जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे,
वो मेरी हसरतों को राहत क्या देगा?

जो खुद को न पा सका कभी सच्चाई से,
वो किसी और की तलाश को प्यास क्या देगा?

जो रातों को जागकर कभी सच्चाई से नहीं हुआ रूबरू,
वो उजालों में ख्वाब को रोशनी क्या देगा?

जो खुद में रुकावट नहीं मिटा सका, कभी,
वो किसी और की मंज़िलों में दरवाज़ा क्या देगा?

जो खुद को समझ नहीं सका, कभी खुल कर,
वो औरों को ख्वाब क्या देगा?

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब,
वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा?

जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे,
वो मेरी हसरतों

बेजुबान शायर shivkumar

// हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी // उनके हाथों की लकीरों में वो " संघर्ष " की कहानी है, चेहरे की झुर्रियों में वो " अनुभव " की निशानी है

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// हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी //

उनके हाथों की लकीरों में वो " संघर्ष " की कहानी है,
चेहरे की झुर्रियों में वो " अनुभव " की निशानी है ।
जिन्होंने देखा है अपने ज़माने का वो हर रंग,
वही है जीवन के असली आनंद का संग ।

चलते वक्त से " सफर " तो उनका आगे का है
हर बात में उनकी " सच्चाई " का वो अक्स उभरता है,
ज्यों चाँद का असर ।
खामोश रहते हैं, पर दिल में " ज्ञान " का समंदर है,

उनकी सलाहों में " जिंदगी " का असल वो सिकंदर है।
वो न हों तो घर वीरान सा अब लगता है,
उनकी मौजूदगी में हर कोना अब भी " महकता " है ।
 इस " परिवार " की धरोहर उनसे ही तो है 

 हमारा असली " जोहर " तो हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी  हैं
हरेली तिहार से एक दिन पहले 
मैने अपने घर के सबसे बड़े 
बुजुर्ग यानी दादाजी को खोया है...

जो मेरी हर " सोच " और " सपने " ,आदि का हिस्सा थे

©बेजुबान शायर shivkumar // हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी //

उनके हाथों की लकीरों में वो " #संघर्ष  " की कहानी है,
चेहरे की झुर्रियों में वो " #अनुभव  " की निशानी है

Rahul Varsatiy Parmar

कवि के ख्याल

बेरंग  वीरान खंडहर सा जीवन है मेरा
आ जाए कोई गौरेया/ चिड़िया 
महक जाए ये मेरा बसेरा
 घोर घटा सन्नाटा पसरा रात अंधेरा
बिन ची ची होता मेरा सवेरा
सुखी पढ़ी कलम मेरी
करती इंतजार 
 करे कोई  बिखरे पन्नो पर शब्दो की बौछार
 बैठा कवि अपनी मेज़/ टेबल करे विचार
आए कोई संगीनी कर जीवन उद्धार
देख आता गोरिया उठी आंगन में किलकार 
जा सुनी सगीनी की पायल की छानकर
मद मस्त हुआ खण्डर हुई बारिश की जब बौछार
देख उम्मीद नए सवेरे की लगता कवि पुकार
बेरंग  वीरान नीरस जीवन में आएगी फिर बहार 

RAHUL VARSATIY PARMAR

©Rahul Varsatiy Parmar #GoldenHour #हिंदी #नोजोतो #जीवन #वीरान  life shayari in hindi

Rakesh frnds4ever

ये #समय जो असीमित तेज रफ्तार से दौड़ रहा है,, कहीं #रुक जाए, #ठहर जाए कहीं अब और नहीं , बस मुझमें बसे इस #अकेलेपन से कोई निकाल ले म

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