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Satish Sahu
इतिहास क्या चीज़ है, हम तो भुगोल बदलने का दम रखते हैं । किसी के बाप कि नहीं, अपना बोझ बढ़ाया। सुख- दुख लाभ- हानि में पंडित ने ही समानता पया क्यों लेता है पंगा पंडितो से हमेशा उन्ही का राज आया ।। ©Satish Sahu पंडितों के लिए #Sunrise
alarkawasthi
कश्मीरी पंडितों का दर्द कोई उनसे जाके पूछो
Ek villain
कश्मीरी पंडितों की हत्या और विस्थापन के दर्दनाक इतिहास की चर्चा जब तक देश में होती रही है परंतु द कश्मीर फाइल्स ने इस मुद्दे को बेहद तीखे और जोरदार ढंग से सामने लाने का काम किया है वर्ष 1979 और 90 के आसपास जम्मू कश्मीर में रहने वाले लाखों कश्मीरी हिंदुओं को मजहबी कट्टरपंथियों के आतंक के कारण अपने मित्रों में को छोड़कर प्लेन करना पड़ा था बड़ी संख्या में पंडित का नरसंहार भी होगा लेकिन केंद्र से राज्य तक लेकर दाखिले की सरकारी त्रासदी मुकदमा बंद पड़ी रही पंडितों की सुरक्षा से किसी ने किसी ठोस नहीं हुआ क्या यह कहा कि बाद में भी इनके पुनर्वास के लिए कोई प्रयास नहीं हुआ परिणाम यह रहा कि लाखों कश्मीरी पंडितों को अपने ही देश में सन्नति की तरह रहने को मजबूर होना पड़ा दिल दा कश्मीरी पूरी तरह सच्चाई के साथ लोगों के सामने रखने का काम किया एक कहावत है कि जब तक पूरी दुनिया का चक्कर लगा चुका होता है कश्मीरी पंडितों के साथ पूरी तरह सदी के संदर्भ में में ऐसा ही कहा जा सकता है कश्मीरी पंडितों का नरसंहार और विस्थापन का दंश तो पैदा ही उसके बाद विचारधारा विशेष के लोगों द्वारा गाया गया यह झूठ भी है कि यह सुनना पड़ा कि उनका कोई नरसिंहगढ़ हुआ कि नहीं था इस झूठ के चलने को लेकर आंकड़े की बेरोजगारी कर मारे गए बेघर हुए कश्मीर पंडितों की संख्या कम से कम बिताने के प्रयास हुए भी हुए ©Ek villain #कश्मीरी पंडितों के न्याय से जुड़ा प्रशन #Holi
रवि गुप्ता(RT)..i Like you RT
आशुतोष "गोरखपुरी"
भारत का ताज कहे जाने वाले कश्मीर की घाटी में, कश्मीरी पंडितों का नरसंघार हुआ कश्मीर की ही माटी में, तब कहाँ गया वह भाईचारा जब देश मे हिन्दू-मुस्लिम भाई-2 के नारे लगवाए जाते थे, कितने घर जले कितनी औरते हुई विधवा और बच्चे अनाथ हुए, मानवता तो मरी पड़ी थी यह देख वहाँ के अन्य लोग जिंदा लाश हुए, कितनों ने कश्मीर छोड़ी और अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए, मगर धन्य है वो लोग जो खुद तो बलिदान हुए मगर कश्मीर और अपने धर्म को न छोड़ने को तैयार हुए 🙏🏼🙏🏼❤️ बलिदान हुए सभी कश्मीरी पंडितो को मेरा नमन🙏🏼 ©Mr cool बलिदान हुए कश्मीरी पंडितों को विनम्र श्रद्धांजलि🙏🏼🙏🏼 #KashmiriFiles
shivangi thakur ♥️
164 क्षत्रिय- राजपूत के गोत्र और उनकी वंशावली सूची हिंदी में https://www.mystatuses.com/2020/05/rajputgotralisthindime.html
Poonam Singh
30 साल का दर्द कश्मीरी पंडितों का खौफनाक दास्तां कत्लेआम का हिन्दुओं के नरसंहार का हिन्दुओं के साथ बर्बरता का उस खौफनाक दर्द पर मरहम कब? उस खौफनाक नरसंहार पर मरहम कब? 30 साल पहले कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अधर्म पर मरहम कब ? 30 साल का दर्द कश्मीरी पंडितों का खौफनाक दास्तां कत्लेआम का हिन्दुओं के नरसंहार का हिन्दुओं के साथ बर्बरता का उस खौफनाक दर्द पर मरहम कब? उस
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त