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Anjali Singhal
Jiten rawat
काली - काली जुल्फ़ें तेरी लहराये मस्त हवाओं में नागिन जैसी चाल तेरी मदहोशी लादे मतवालों में तेरे हुस्न के दीवाने तेरी एक झलक पाने को रोज़ चक्कर लगाए, तेरी मुहल्ले और गलियारों में देखे जब तेरी सूरत कोई लगे तारीफ़ तेरी सुनाने में देखकर तेरी मस्त जवानी उम्र बितादे तुझे पाने में #काली_जुल्फ़ें #लहराये #हवाओं_में #नागिन_जैसी_चाल #मदहोशी #मतवालों #हुस्न #दीवाने #तेरीझलक #चक्करलगाए, #मुहल्ले #गलियारों_में #सूरत
✍️ लिकेश ठाकुर
आज दीये जलते देखे,दुख में जज्बातों के। जोश मन में भरा हुआ,देश के मतवालों में।। कवि लिकेश ठाकुर आज दीये जलते देखे, दुख में जज्बातों के। जोश मन में भरा हुआ, देश के मतवालों में।। https://likeshthakur.blogspot.com Dear Diary✍🏻 Suman Zani
True Voice
रजनीश "स्वच्छंद"
घर के लाल।। कलम गुज़ारिश कर बैठी, लिख डालो इन मतवालों पे। सरहद पर तुमने बहुत लिखा, लिख डालो घर के लालों पे। निर्वस्त्र रही वो राह पड़ी, किसको थी खबर और क्या थी पड़ी। आंखों में दया न धर्म दीखा, ना मानव जैसा कर्म दीखा। वो तड़प रही थी पुकार रही, किस्मत में तो बस दुत्कार रही। जिसने भी देखा चला गया, चीख चीख के गला गया। मानुष एक वहाँ से गुजरा था, आंखें नम दुख में मुखड़ा था। हाथ बढ़ा और वस्त्र दिया, मानव का काम सहस्र किया। बहता आंसू जो अविरल था, मन सेवा भाव मे विह्वल था। है सार्थक जीवन उसका, आंसू पोंछे जो गालों से। कलम गुज़ारिश कर बैठी, लिख डालो इन मतवालों पे। कुछ अर्धनग्न बच्चे मेरे, जो चले थे सब आंखें फेरे। पेट पीठ में चिपके थे, मानो वो भूख में सिसके थे। भारत भविष्य लिए हाथ कटोरा, सर पे लादे एक भूख का बोरा। धरती बिछौना गगन ओढ़नी, थक हार गई थी बाल मोरनी। उत्सुक आंखें कुछ पूछ रहीं, दुनिया क्या मेरी सचमूच रही। एक हाथ उठा उनकी ख़ातिर, वो गुणी था न वो था शातिर। गोद लिए उस बालपन को, कर रहा शांत अपने मन को। पेट भरा और ज्ञान दिया, हैं जीवित उन्हें ये भान दिया। वो अपना पराया भेद मिटा, नहीं झेंप रहा वो सवालों से। कलम गुज़ारिश कर बैठी, लिख डालो इन मतवालों पे। ©रजनीश "स्वछंद" घर के लाल।। कलम गुज़ारिश कर बैठी, लिख डालो इन मतवालों पे। सरहद पर तुमने बहुत लिखा, लिख डालो घर के लालों पे। निर्वस्त्र रही वो राह पड़ी,
Anita Saini
अब कौन किसी के लिए मुफ़्त में जान गंवाता है.. अब तो सिर्फ अपनी आज़ादी से मतलब होता है..!! अब कहाँ सुखदेव,राजगुरु और भगत सिंह सा देश भक्त पैदा होता है.. सज़ा से भी कम ना होता ज्ज़बा, जिनके दिलों में इन्क़लाब ज़िंदा रहता है..! आज 23 मार्च है। 23 मार्च 1931 को अंग्रेज़ सरकार ने महान क्रांतिकारी भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव को तयशुदा तारीख़ से एक दिन पहले ही फाँसी दे दी
Disha Shantanu Sharma
अपने विकारों और विचारों से मुक्त होना ही आज़ादी है आज 23 मार्च है। 23 मार्च 1931 को अंग्रेज़ सरकार ने महान क्रांतिकारी भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव को तयशुदा तारीख़ से एक दिन पहले ही फाँसी दे दी
Piyush Shukla
आतंकित थे लोग सभी अंग्रेजों वाले बंधन से धरती बेहद विचलित थी चीख पुकार और कृन्दन से उठे वीर तब लाज बचाने भारत माँ के आँचल की आज़ादी की आग जलाई अपने खूँ के ईंधन से मतवालों परवानों के आगे चली नही अंग्रेज़ो की बेबस दिखते थे जैसे जकड़ गया विषधर गर्दन से छटा अंधेरा खुशबू फैली थी कली कली मुस्काई रोम रोम तब सिहर उठा भारत माता के वंदन से भारत माता की जय ।। ©Piyush Shukla स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 आतंकित थे लोग सभी अंग्रेजों वाले बंधन से धरती बेहद विचलित थी चीख पुकार और कृन्दन से उठे वीर तब लाज बच
Jasmin Priya
उस विध्वा से पूछो आज़ादी क्या है जिनके पति कभी शहीद कहलाये उस नब बधु से पूछो आज़ादी क्या है शादी जिनके लिए एक घुटन बनगयी है उस बेटी से पूछो आज़ादी क्या है जो आज भी रात में एसिड का शिकार है उस बहन से पुछो आज़ादी क्या है जो अकेले में कभी दुश्कर्म् सही है आज़ादी सिर्फ १५ अगस्त का जशन् नहीं आज़ादी इंसान की पहचान है हर पीदित् को न्याय मिलें सब सर उठा कर चल सके यही असली आज़ादी है आज 23 मार्च है। 23 मार्च 1931 को अंग्रेज़ सरकार ने महान क्रांतिकारी भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव को तयशुदा तारीख़ से एक दिन पहले ही फाँसी दे दी
BIPIN TIWARI 'Masoom'
आज़ादी, बरसों पहले लोगों को दिखाया गया दिवास्वप्न जो आज भी मुकम्मल होने के इंतजार में है। आज 23 मार्च है। 23 मार्च 1931 को अंग्रेज़ सरकार ने महान क्रांतिकारी भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव को तयशुदा तारीख़ से एक दिन पहले ही फाँसी दे दी