Find the Latest Status about जितेन्द्र from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, जितेन्द्र.
Jitendra Singh
हम में नहीं हम है कोई ना समझे तो भी क्या गम है। ©Jitendra Singh #जितेन्द्रसिंह
#Jitendra777
"शह" औऱ "मात" का सिलसिला बड़ा पुराना है। किसी को उठना है किसी को नीचे आना है। अपनी औऱ अपनों की "गलतियों" को छिपाना। हर घऱ में यह क़िस्सा है यही तो "ज़माना" है। सबकों "सफलता" की सीढ़ियों तक़ जाना है। किसी को पछाड़ कर अपना "रुतवा" जमाना है। बुराई पर पर्दा गिरना मुखड़े पर "मुखौटे" लगाना। चलन आज का नहीं है यह दस्तूर तो है बहुत पुराना। #शह #जितेन्द्र७७७ #Heart #शह #जितेन्द्र७७७
#Jitendra777
"क़भी-क़भी" कभी हम बनते हैं बड़े शिकारी कभी खुद शिकार बन जाते हैं। हमारी जिंदगी में भी कैसे-कैसे वाक्या पेश आते हैं। कभी लड़ते हैं बहादुरी से कभी आसानी से हार जाते हैं। कभी बनते हैं बड़े समझदार कभी एकदम नादान हो जाते हैं। कभी-कभी कर देते हैं हम भी शरारत कभी बड़े शरीफ बन जाते हैं। कभी छोटी बात को दिल से लगा लेते हैं कभी-कभी बड़ी बातें भी भूल जाते हैं। #जितेन्द्र७७७ #twilight #क़भी #जितेन्द्र७७७
Jitendra Singh
गोविंद राधे पुरुष प्रकृति का अनोखा संगम ना कोई चिन्ता नाही भय सबके दुःख को सहने वाले सदा अपने मे रहने वाले ना ही कोई वहम मुस्कान अधरों पर नयनाभिराम कोई नहीं वहम गोविंद राधे पुरुष प्रकृति का अनोखा संगम।। ©Jitendra Singh #जितेन्द्रसिंह"विकल
Jitendra Singh
खुशनुमा मौशम है आज तो बहार है। जिनके लिए पलकें बिछाई उन्ही का इंतजार है।। वो खुशी के पल वो सभी यादें जो भी कसमें खायी जो किये वादे तरसती शाम में घुली सजनीं का प्यार है।। जिनके लिए पलके बिछाई उन्ही का इन्तजार है।। ©Jitendra Singh #जितेन्द्रसिंह"विकल
Jitendra Singh
बात ही बातों में बन ही गई तलवारें बातो से तन ही गई।। बात तो बहुत कही गई बातों में प्यार की जगह गांठे दरार बन ही गई।। ©Jitendra Singh #जितेन्द्रसिंह"विकल"
Jitendra Singh
रात को चांदनी ने शीतल कहा मैनें तो इसको सरिता का जल कहा।। कितनी बाहें जुणी कितने सोते रहे वक्त की रेत पर दिनभर सजोते रहे कुछ हसे कुछ फसे कुछ तो हुवे आजाद कुछ तो जिन्दगी भर फस के रोते रहे कुछ को पहाड़ ,कुछ को दरिया समंदर लगा "विकल"मुझको प्रकाश का परावर्तन लगा इस प्रणवाक्षर अनहद को क्या माया कहे या आनें वाले अगले सुबह की काया कहें निःशब्दता का मैने अविरल कहा।। रात के बाद का सुखद मलमल कहा।। ©Jitendra Singh #जितेन्द्रसिंह"विकल"