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अब हाशिए होकर गुजर रही हैबानियत उसकी... मैंने तो बस उसे रास्ते का पत्थर समझकर छोड़ दिया!! तू क्या जाने उस दरिया पर क्या गुजरी होगी... तुमने तो बस उस पनघट से पानी भरना छोड़ दिया!! #हैवानियत #हाशिए colab now✍️✍️
Sarita Shreyasi
जिंदगी के पन्ने पर अपनी हसरतें और चाहत लिखना चाहती थी, पर जिंदगी के सारे पन्ने पर पहले से रोचक कहानियां और उसके अपने ख्वाब लिखे थे,पन्ना कोई कोरा ना था, मेरे लिए उसने जगह छोड़ा ना था, और मैं तबसे हाशिए पर लिखने लगी,हर पन्ने के हाशिए पर अपनी बात लिख दी,लगा कि मेरी कहानी हाशिए पर ही सिमट के रह गई,पर सच तो ये भी है कि तेरी किताब के हर पन्ने पर मेरी लेखनी ने अपना नाम लिख दिया.. हाशिए पर ही सही #कहानी हाशिए पर#ए जिंदगी मैं तेरे किताब के हाशिये पर ही सही,हूं तो वहीं#हाशिया#challange#yqdidi#
Tauheed Shahbaz Anwar
यह मुश्किल बहुत आम हो गई है जिंदा रहने में ही रोज़ शाम हो गई है Life on margins हाशिए #life #journey #dreams #hindi #urdu #yqbaba #yqtales #yqbhaijan
Vandana
शब्दों का समूह बन जाता है एक सुरीला गीत,,,, पंछियों के स्वरों में भर देता है संगीत,,,, भावनाओं की बांसुरी बन,,, हो जाता मन का मीत,,, किसी कवि के शब्द बन,,, रचना में भर देता प्राण,,,, चित्रकार के रंगों में भिगोयी तस्वीर,,, बन जाता प्रशंसा का स्वर,,, कलाकार की रंगमंच में फूंक देता जान,,, दो प्रेमियों के प्रेम का माध्यम बन जाता,,, ममतामयी शब्दों का आंचल बन जाता,,, शब्दों का समूह जीने की वजह बन जाता,,, भाषा का गूढ़ विज्ञान कहलाता,,,, आदि मानव से सुसंस्कृत मानव बन जाता, "शब्दों का समूह,,, #शब्दों का समूह #शब्दों_की_माला
चंदर चंदर
Adarsh k Tanmay
कितनी शीतल थी मन की ज्वाला कल, जब खुद पर शोलह श्रृंगार दिखा था नयनन अब तो राह निहारे चाँद से प्यारे मुखड़े को, थे बलखाते बालों के लट निखारे चित हिय में बसे कुछ बातें हैं कुछ बिखरे सिमटे से यादें हैं यादें आती उमस की भांति छलनी हृदय कर के जाती सिसक सिसक कर यादें बहती दृग को गीला कर के जाती काज़ल लगे अब कालिख सा छूट गया वो अपना सा अब मेहंदी और महावर क्या अब चूड़ी कंगन के हैं कर्कश वाणी कानों को ना सुहाते ये कर्कश वाणी टीश भरी कलेजे में लेके किस ओर चलूँ किस ओर लगूँ आँशु भी अब तो सुख गये सिन्दूर भी मांग से रूठ गये छाया ना रही मेरी अपनी अब अपने पर किसका अधिकार समझूँ मैं मैं उन्मुक्त गगन में लहराती अपने मांझे के बल पर इतराती मेरा मांझा मुझसे टूट गया जीवन को नीरस छोड़ गया मैं सरस सलील की एक परी लहरों में खूब मैं विचरण करती अब सौभाग्य मेरा अभाग्य हुआ तिमिर मेरा संसार हुआ अब हो मौसम चाहे सर्दी गर्मी या मेघों का मैं स्तब्ध हुई अब शांत हुई आँशु को पत्थर कर के अब मोह माया के रिश्तों से जग जीवन से विरक्त हुई अपने सांसो का बोझ लिये मैं अपने आप में अंतर्ध्यान हुई। ©Adarsh kumar Tanmay पुलवामा में शहीद हुए भारतीय वीर जवानों के पत्नियों के दर्द पर शब्दों का कुछ समूह।
Shiv Narayan
Meri Mati Mera Desh हम एक दूसरे को मानते हैं। । यही सनातन संस्कृति है । ।। राम आधिनम जगत सर्वम ।। ©Shiv Narayan #MeriMatiMeraDesh #राम #१God #सत्य समूह
AK TARD
हम हमेशा सुनते आ रहे हैं भीड़-भीड़। भीड़ ने यह कर दिया,भीड़ ने आंदोलन कर दिया, भीड़ ने कई लोगों की जान ले ली। आखिर यह भीड़ क्या है ? भीड़ और समूह में क्या फर्क है? क्या बहुत सारे लोगों का एकजुट होना क्या भीड़ है ? नहीं भीड़ लोगों का वह समूह होता है जिसका कोई एक उद्देश्य नहीं होता भीड़ के प्रत्येक लोगों का अलग-अलग उद्देश्य होता है जबकि समूह का एक उद्देश्य होता है समूह के लोगों का उद्देश्य और लक्ष्य एक होता है । उसी पर वह कार्य करते हैं , जबकि भीड़ का ऐसा कोई उद्देश्य नहीं होता। धन्यवाद ©AK TARD भीड़ और समूह में फर्क #Childhood