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Pen of a Soul
क्यों कोरॉना को ही होश है, क्यों इंसानियत बेहोश है, क्या कुदरत का ये रोश है, या वक़्त का आक्रोश है, किस इंसानी हरकत का ये दोश है, जो इंसान सह रहा पर खामोश है, क्यों घुट के जीवन जी रहा, इस वक़्त भी घर पर तू नहीं रहा, सड़को पर देहशत क्यूं जमाए है, क्यों वायरस को आपस में फैलाए है, समझदार बन और सीख ले, कुदरत से प्यार कर के देख ले, तू फितरत ना भूल इंसान की, भूल जा आदतों हैवान की, तू सीख बैठे घर पर, अच्छी आदतों को कर परस्पर, ये वक़्त है इंसानी साझेदारी की, इलाज यही है इस खतरनाक बीमारी की।। इस पंडेमिक के वक़्त पर आप सब से निवेदन है की जहां कहीं भी है वहीं रहे और इम्यूनिटी बनाए रखने के घरेलू उपाय अपनाए। कोराना तब तक हानिकारक नहीं
Vikash Bakshi
क्यों कोरॉना को ही होश है, क्यों इंसानियत बेहोश है, क्या कुदरत का ये रोश है, या वक़्त का आक्रोश है, किस इंसानी हरकत का ये दोश है, जो इंसान सह रहा पर खामोश है, क्यों घुट के जीवन जी रहा, इस वक़्त भी घर पर तू नहीं रहा, सड़को पर देहशत क्यूं जमाए है, क्यों वायरस को आपस में फैलाए है, समझदार बन और सीख ले, कुदरत से प्यार कर के देख ले, तू फितरत ना भूल इंसान की, भूल जा आदतों हैवान की, तू सीख बैठे घर पर, अच्छी आदतों को कर परस्पर, ये वक़्त है इंसानी साझेदारी की, इलाज यही है इस खतरनाक बीमारी की।। इस पंडेमिक के वक़्त पर आप सब से निवेदन है की जहां कहीं भी है वहीं रहे और इम्यूनिटी बनाए रखने के घरेलू उपाय अपनाए। कोराना तब तक हानिकारक नहीं
Deepak Kanoujia
बुद्ध एक छिछली नदी हैं जो तुम्हें गहरे में उतारते हैं पर तुम्हें डूबने नहीं देते... बुद्ध से मैं सबसे पहले मिला कक्षा 7 में जब मैंने पढ़ी कहानी महात्मा बुद्ध और डाकू अंगुलिमाल...उनका वो कथन " मैं तो ठहर गया, तू कब ठहरेगा" मेर
वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। अविद्यायामन्तरे वर्तमानाः स्वयं धीराः पण्डितं मन्य७मानाः। जङ्घन्यमानाः परियन्ति मूढा अन्धेनैव नीयमाना यथान्धाः ॥ 'अविद्या' के अन्दर बन्द रहने वाले ये लोग जो स्वयं को विद्वान् मानकर सोचते हैː ''हम भी विद्वान् तथा पण्डित हैं'', वस्तुतः मूढ हैं, तथा वे उसी प्रकार चोटें तथा ठोकरें खाते हुए भटकते हैं जैसे अन्धे के द्वारा ले जाया गया अन्धा। They who dwell shut within the Ignorance and they hold themselves for learned men thinking “We, even we are the wise and the sages”-fools are they and they wander around beaten and stumbling like blind men led by the blind. ( मुण्डकोपनिषद् १.२.८ ) #मुण्डकोपनिषद् #मूर्ख #पाखंडी #छद्म #पंडित #पंडे #अवैदिक #दुष्ट
Mahendra Shekhawat
नहाने #खून से, हर हाथ में डंडे निकल आये हज़ारो संत, मुल्ला, पादरी, पंडे निकल आये। वो नुक्कड़ की भिखारन, जब तलक #ज़िंदा थी उर्यानी थी मरी तो देख