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Shruti Rathi
अगर सताये हुए माँ बाप की बद्दुआ दुष्ट औलाद को लगती है तो सताई हुई औलाद की बद्दुआ भी धूर्त माँ बाप को लगती है ©Shruti Rathi #feelings #shrutirathi #beingoriginal #Thoughts #अगर #माँ_बाप #बद्दुआ #दुष्ट #औलाद #धूर्त
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read moreDeepa Didi Prajapati
शक्ति प्राप्त कर दुष्ट पाप करने से नहीं डरता, तू सब देख रहा है ईश्वर फिर इंसाफ क्यूं नहीं करता? ©Deepa Didi Prajapati #दुष्ट #पाप#ईश्वर का इंसाफ
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
आतंकवाद आतंकवाद का कोई "वतन" नही होता,,, यह होती जुल्मो की दुनियाँ,,,,, आंतकवाद --------------,,,,,,,,,,,,,,,,, आंतकवाद को किसी सरहद पर निवास नही करता,,,,, आंतकवाद इंसान के जेहन की परम्परा है आंतकवाद किसी राष्ट्र का दुश्मन नही बल्कि वो मानवता का हत्यारा होता है आंतकवाद हिंसाओ का दुसरा नाम है,,सामान्यत मानवीय राक्षस होते है जो जो ईश्वर की नही बल्कि मानवीय दुष्ट कृति है
आंतकवाद --------------,,,,,,,,,,,,,,,,, आंतकवाद को किसी सरहद पर निवास नही करता,,,,, आंतकवाद इंसान के जेहन की परम्परा है आंतकवाद किसी राष्ट्र का दुश्मन नही बल्कि वो मानवता का हत्यारा होता है आंतकवाद हिंसाओ का दुसरा नाम है,,सामान्यत मानवीय राक्षस होते है जो जो ईश्वर की नही बल्कि मानवीय दुष्ट कृति है
read moreParul Sharma
विचार ऐसा क्यों............. दुष्ट लोगों में एक खासियत होती है कि वो जितने दुष्ट होते हैं उतने ही ढीट भी होते हैं । उन पर किसी की सज्जनता, सभ्यता, उदारता, दयालुता, क्षमा, सहनशीलता, आदी का कोई असर नहीं होता। वो पत्थर दिल और चिकने घड़े के समान होते हैं। न तो कुछ दिल को कुछ भी छू पाता है और ना ही दिल पर कुछ बनता हैं।पर दिमाग विचित्र और विलक्षण होता है। जो उन्हें उनके उटपटांग कार्यों को बरकरार रखने को प्रेरित करता रहता है।और उन्हें महानता का अनुभव कराता रहता है।और उन्हें अपने द्वारा किया गया हर कार्य ईश्वरीय कार्य लगने लगता और अंत में एक ऐसी स्थिति आती है कि वो खुद को भी ईश्वर से कम नहीं समझते या ये कहो कि ईश्वर ही समझने लगते है। इस दौरान उनके द्वारा किये गये गलत कार्य को रोकने,टोकने,व समझाने वाला कोई भी व्यक्ति उसे अपना दुश्मन लगने लगता है। और वह दुष्ट इंसान उस कार्य को बड़ी ढीटता से निरंतर दोहर्ता है। दुष्ट इंसान का आशय यह है कि उसे किसी ने रोका तो रोका कैसे। तब टोकने वाला या समझने वाला इस दुविधा में फंस जाता है कि उसने उसे रोक कर कहीं गलती तो नहीं सर दी। पर दुष्ट इंसान पर कोई असर नही पड़ता बल्की उसका मनोबल और बड़ जाता है। और निरंतर बड़ता जाता है वह अपने कृत्य की ओर अग्रसर रहते हुए खुद को भीमकाय व अन्य को तुच्छ समझने लगता है। पारुल शर्मा #कुछ_लोग_ऐसे_भी विचार ऐसा क्यों............. दुष्ट लोगों में एक खासियत होती है कि वो जितने दुष्ट होते हैं उतने ही ढीट भी होते हैं । उन पर किसी की सज्जनता, सभ्यता, उदारता, दयालुता, क्षमा, सहनशीलता, आदी का कोई असर नहीं होता। वो पत्थर दिल और चिकने घड़े के समान होते हैं। न तो कुछ दिल को कुछ भी छू पाता है और ना ही दिल पर कुछ बनता हैं।पर दिमाग विचित्र और विलक्षण होता है। जो उन्हें उनके उटपटांग कार्यों को बरकरार रखने को प्रेरित करता रहता है।और उन्हें महानता का अनुभव कराता रहता है।और उन्हें अपने
कुछ_लोग_ऐसे_भी विचार ऐसा क्यों............. दुष्ट लोगों में एक खासियत होती है कि वो जितने दुष्ट होते हैं उतने ही ढीट भी होते हैं । उन पर किसी की सज्जनता, सभ्यता, उदारता, दयालुता, क्षमा, सहनशीलता, आदी का कोई असर नहीं होता। वो पत्थर दिल और चिकने घड़े के समान होते हैं। न तो कुछ दिल को कुछ भी छू पाता है और ना ही दिल पर कुछ बनता हैं।पर दिमाग विचित्र और विलक्षण होता है। जो उन्हें उनके उटपटांग कार्यों को बरकरार रखने को प्रेरित करता रहता है।और उन्हें महानता का अनुभव कराता रहता है।और उन्हें अपने
read moreSunita Bishnolia
#कृष्ण जन्म से पहले आँखों में ही कट रहे,माता के दिन रैन। भ्राता की माँ कैद में, जरा न पावै चैन।। कान्ह जन्म की आस में,पुलकित माँ के नैन। कानों में है पड़ रहे,दुष्ट कंस के बैन। दुष्ट कंस के कारणे,बढ़ा संत-संताप। विपद हरेंगे आय के,कृष्ण मुरारी आप।। दिन-दिन बढ़ते जा रहे,जन पे अत्याचार। दुष्टों का होगा दलन, मन में यही विचार।। अन्न-नीर को त्याग कर,मन में लेकर आस। हरने जग की पीड़ को,होगा शीघ्र उजास।। आज दिवस ये खास है,हलचल कारागार। मात देवकी तात वसु,बैठे असि की धार।। चतुरंगिणी सेना खड़ी,कालकोठरी-द्वार। आज आखरी पहर ही,लेंगे हरि अवतार।। #सुनीता बिश्नोलिया© #nojoto poetry
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