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Stories related to उलूक शैली के सिक्के

Knazimh

अपने.....!. . . आत्मविश्वास * आगे_बढ़ना * चुनौतियाँ  * सफलता

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__अपने__

आँखे अब नहीं रोती,
पुराना वक्त याद कर के।
टूटे लहज़े से नाजिम,
अब नहीं हकलाता है।
बढ़ गया है आगें
समय से वो 
जहां पहले कभी तुम थे।
जितने अपने न थे
उससे ज्यादा कही विरोधी,
थी तो क़ामयाबी पास उसके ।
फिर भी असफलता के नारे थे
कितना हताश बैठा हूँ ,
जहाँ मेरे अपने थे।
जहाँ मेरे अपने थे।।

©Knazimh अपने.....!.
.
.

#आत्मविश्वास
   * #आगे_बढ़ना 
   * #चुनौतियाँ  
   * #सफलता

हिमांशु Kulshreshtha

लोगों के

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White लोगों के 
फरेबी चेहरे देख कर, 
जज़्बातों से रिस रहा हूँ ,
दिल और दिमाग की 
इस रस्साकशी में, 
मैं पिस रहा हूँ ...!!!!

©हिमांशु Kulshreshtha लोगों के

हिमांशु Kulshreshtha

कर के..

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Unsplash कर के 
मोहब्बत भरपूर तुमसे ..
हिस्से में 
सिर्फ तेरी बेरुखी के हक़दार हुए .. 
ख़बर भी ना लगी 
कब दिल खो गया
कब तेरी चाहतों के 
शिद्दत से तलबगार हुए ..

©हिमांशु Kulshreshtha कर के..

Ghanshyam Ratre

जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन

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जंगल उपवन के छेड़छाड़ पेड़ -पौधों की कटाई कर रहें हैं।
वन्य प्राणी पशु-पक्षियों का जीवन संकटों से प्रभावित हो रहें हैं।।
जंगल में रहने वाले पशु-पक्षियां गांवों- शहरों में आ रहें हैं।
खेती-बाड़ी फसल को उजाड़ कर बर्बाद कर रहे हैं।।

©Ghanshyam Ratre जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन

Vijay Vidrohi

||नकली_बाबा|| #gururavidas #कबीर #शैली #my #New #Poetry #doha #qoutes Hinduism metaphysical poetry hindi poetry hindi poetry on life poetry

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|| नकली बाबा||

घरबार की जिम्मेदारी निभाना, ना हो जिसके बस की बात।
लेकर कर्जा भग जाते हैं, बच्चों को वे छोड़ अनाथ।
बढ़ा के दाढ़ी- बाल छुपाते हैं वो अपनी पहचान।
अनपढ़ अज्ञानी बाबा बन कर, देते मूर्खों को ज्ञान।

कोई कत्ल का कोई रेप का, कोई चोरी का अपराधी 
आधे से ज्यादा की होती, सोच बहुत जातिवादी।
सच्चे साधू संत कभी भी, छुआछूत नहीं करते 
ऊंच-नीच जो करते हैं, होते ढोंगी पाखंडवादी।

क्यों पढ़ने नहीं देते दूसरी, जात को आखिर वेद पुराण 
किसने यह षड्यंत्र रचा, ब्राह्मण को मिला उच्च स्थान।
पंडित पुजारी मठाधीश, ये ही बनते महामंडलेश्वर 
क्या यह भेदभाव करता है, कोई भगवन परमेश्वर।

©Vijay Vidrohi ||नकली_बाबा|| #gururavidas #कबीर #शैली #my #new #poetry #doha #qoutes  Hinduism metaphysical poetry hindi poetry hindi poetry on life poetry

F M POETRY

#समंदर के किनारे आ के अक्सर..

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset समंदर के किनारे आ के अक्सर बैठ जाता हूँ..

सुना है दिल के दर्द-ओ-ग़म समंदर सोख लेता है..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #समंदर के किनारे आ के अक्सर..

Ghanshyam Ratre

ठंडा के महिने

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Atul tomar

आज के युवा

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अदनासा-

Praveen Jain "पल्लव"

#sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है

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पल्लव की डायरी
योजनाओं की धुंध से ओझल जनमानस
उनकी नीतियां जीवन कपकपाती है
सर्द और सुन्न हो गये मन मस्तिष्क
ओले राशन पानी पर गिराकर
महंगाई का कहर रसोई पर बरसाती है
मानक सफ़लता के सरकारों के पास है
गफलत में हम, दम तोड़े जाते है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
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