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Ramji Mishra
प्रतिपालक सेवक सकल, खलनि दलमलत डाँटि। शंकर तुम सम साँकरैं, सबल साँकरैं काटि॥ सब सेवकों का पालन करने वाले और दुष्टों का दमन कrने वाले—नष्ट-भ्रष्ट कर देने वाले—हे भगवान् शंकर! आपके समान दु:खों या कष्टों की मज़बूत शृंखलाओं—ज़ंजीरों को काटने वाला भला मेरे लिए और दूसरा कौन है! ©Ramji Mishra आज सोमवार है शंकर जी बहुत लाभ मिलेगा स्तुति कीजिए... #kitaab
Usha Dravid Bhatt
White आसमान का चांद आसमान पर चांद खिला है, साथ लिए लाखों तारे, तेरे दीदार को तरस रहा चकोर,धरती पर बैठ तुझे नहारे। दिन बीत रहा कड़क तपन संग , तरु छाया कहीं दिखे नहीं , हों हाड़ कांपती ठंडी रातें , टेर एक घड़ी को हटे नहीं । सदियों की लंबी दास्तां, किस्मत का खेल इसे कहते , कर्मों के फल से भाग्य मिला , अब क्यों तेरे आंसू बहते । तीव्र रोशनी तेरे अरमानों की , नित्य जलाती है होली , अंधियारे की शीतलता में , भ्रम से भरती सपनों की झोली । सौरभ आशाओं का दीप जलाकर, उम्मीद मत हारो समझाता, कुवास है अभिशाप सृष्टि में, जीवन में निर्जन वन सा गहराता । है एक बगीचा एक ही माली, रंग बिरंगे फूलों से महके फुलवारी , कांटो ने भी संग में डेरा डाला , आंसुओं से भर गई मधु प्याली । प्रातः की बहकी बेला में, जैसे स्वप्न दूर खड़े हर्षाते हैं , किससे पूछूं कि भोर होते ही , नक्षत्रमणी कहां छुप जाते हैं । बढ़ चला मुसाफिर यही सोचते, मधुर वचन बड़ा छलावा है , सत्य हमेशा कड़वा होता , उसे हर कोई मुखौटा पहन छुपाता है । ©Usha Dravid Bhatt आसमान का चांद एक सच्ची और निस्वार्थ लगन , जो बिना लाभ हानि के निरन्तर बनी रहती है।
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
हम ना तो कोई रूल तोड़ते हैं और हमारा ख़ुद का क़िरदार ऐसा हैं जो सदा नियम से रहना और उनका पालन करना है। यहीं हमारा बचपना है। बचपन की दी गई ईमानदारी, और दुसरो की भलाई करना लोगों को रास नही आती है। जब जब की हैं तब तब धोका खाया है। अब लगता है कि शायद हममें भीं कुछ मिलावट होती तो शायद दुनियां में फिट हों जाते। हम अब न अकेले रहे और ना दुनियां के साथ ✍️ ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma जो सीखा बचपन में वो सीखा काम न आया। हम भला करते रहें लोगों ने अपना लाभ उठाया। #bachpan
Kanhaiya Kanhaiya Kanhaiya
White मतलब की ईस दूनया में कोई भी अपना नहीं है ©Kanhaiya Kanhaiya Kanhaiya चांदनी चांद से होती सितारों से नहीं मोहब्बत एक से होती हजारों से नहीं
चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
जितने लोग मशहूर हुए हैं ,पहले लोगों ने उनके अंदर कमियांँ निकाली। लोगों की सुनकर यह लोग बैठ जाते तो शायद, आज इनको अपनी पहचान नहीं मिल पाती। चेतना कहती है प्रकाश से-- हम संघर्ष करेंगे , आखिरी सांँस तक लड़ेंगे, मेरे जीने का यही तरीका है , "स्वयं से लड़ो दूसरों से नहीं ।"__ चेतना प्रकाश चितेरी, प्रयागराज ५/४/२०२४ , ६:२६ अपराह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # स्वयं से लड़ो , दूसरों से नहीं #
Mukesh Poonia
न औरों से कम न औरों से श्रेष्ठ बस खुद से बेहतर और खुद से सर्वश्रेष्ठ . ©Mukesh Poonia #skylining न #औरों से #कम न औरों से #श्रेष्ठ बस #खुद से #बेहतर और खुद से #सर्वश्रेष्ठ