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Sai Raj Mainkar
घेते भरुन श्वासात स्पंदने तुझी मोरपिशी सोबत तुझी असता बहकते मी जराशी करु नको मनाई मोहरल्या क्षणात गच्च पावसाला या थोपवू नको मनात आरस्पानी सुखास घे कवेत घट्ट रोखुनी पुन्हा माहित नाही क्षण येतील का परतुनी पुरे आता बहाणा पडदा नको लाजेचा घे उमजून तू राजा इशारा या पावसाचा ©Sai Raj Mainkar मराठी कविता.. पाऊस हवाहवासा ❤️
मराठी कविता.. पाऊस हवाहवासा ❤️
read moreRan Singh Guru
White मेरी मुसीबतों ने भी कमाल कर दिखाया, मुझें परेशान तो किया, बहुत चहरों से नक़ाब हटाया, मुझें मिटाने कि हसरत में, मुसीबतों ने बहुत से लोगों का वज़ूद तक मिटा डाला... ©Ran Singh Guru #car #मुसीबत # वजूद
Deependra Dubey
White बस कुछ ऐसा कर जाऊं की, इस दुनियां में अपनी वजूद छोड़ जाऊं। कुछ लोगो में ही सही, थोड़ा मोहब्बत छोड़ जाऊं। अपनो से अपनो तक, अपनी याद छोड़ जाऊं। ©Deependra Dubey #वजूद
kavi Aniket Dabhade
9579027461 ©kavi Aniket Dabhade राजभाषा मराठी दिन.. #मराठीविचार #marathi
राजभाषा मराठी दिन.. #मराठीविचार #marathi #wishes
read moreSatish Kumar Meena
मैं तुम्हें ढूंढता हूं तो, प्यार में जिंदादिल हो जाता हूं। तुम मुझे ढूंढती हो तो,, मैं सच में अपना वजूद पाता हूं।। ©Satish Kumar Meena वजूद
वजूद #कोट्स
read moreManish Raaj
वजूद ------ ज़रें-ज़रें में ज़िंदगी समाई है फिर क्यों ये तन्हाई जितनी, समंदर में गहराई है वाक़िफ़ हैं हक़ीक़त से मगर फिर भी ज़िंदगी, आज़माई है आज़माए इतने गए की अब भरोसे पर ही, शक़ घिर आई है ख़ामोशी एक जवाब और सवाल भी है, कितनों को समझ आई है नज़र, नज़ारे देखती है क्या ख़ुद की नज़र को देख पाई है पैसों के लिए अश्क़, पसीने और खून मगर खून के लिए जान किसने गंवाई है इंसान की हवस ऐसी की हैवानियत और मौत भी शर्माई है मौके की तलाश में रहनेवालों की नीयत साफ़ नज़र आई है जज़्बात, अलफ़ाज़ और शर्म-ओ-लिहाज़ नहीं फिर क्यों, आँख भर आई है आसमानी परिंदों ने अपनी जड़ ज़मीं पर ही बनाई है पौधों को पानी से सीचे और दूसरी तरफ कटे जड़ समझो अब, उसकी जान पर बन आई है मनीष राज ©Manish Raaj #वजूद
Rashmi Vats
हर दर्द को अपना है बना लेतीं । हम स्त्रियां तकलीफ में भी हैं मुस्कुरा लेतीं। खुद रहती हैं बिखरी हुई, पर अपना आशियाना है बखूबी सजा लेतीं। एक आस लिए जीवन है जीती। खुश रखना है सभी को यही है चाहतीं। और कोई चाहत नही है उनकी, बस रिश्तों को सहेजना है जानती। अपनी ख्वाइशों को करती है दफ़न। निभाती हैं मान सम्मान और चलन। इन सबके बावजूद भी जब नही मिलता प्रेम, तो दो आसूं बहा गुजार देती हैं सारा जीवन। हर दर्द को अपना...। रश्मि वत्स । ©Rashmi Vats #स्त्री #प्रेम #वजूद #समर्पण