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Anjali Singhal

"मन हुआ जाए बाबरा कि तुझको ही मैं प्यार करूँ, करना पड़े चाहें कितना भी बस तेरा ही इंतज़ार करूँ! पर धड़कनों को अपनी मैं कब तक बेक़रार करूँ, #Shayari #AnjaliSinghal

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Vikas sharma

#mountain तेरा वक़्त #लव

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Das Sumit Malhotra Sheetal

एक तेरा ही तो ख़्याल है मुझे, वरना अकेले बैठकर कौन मुस्कुराता है।

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꧁ARSHU꧂ارشد

न समझो ,मेरा दिल ही अकेला ख़तावार है , मेरी बर्बादी के अफ़साने में तेरा भी नाम शुमार है ... Sneh Prem Chand Disha jhanvi Singh Shayra Maaahi #Shayari

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꧁ARSHU꧂ارشد

न समझो ,मेरा दिल ही अकेला ख़तावार है , मेरी बर्बादी के अफ़साने में तेरा भी नाम शुमार है .... Manisha Keshav NIKHAT (अलफ़ाज़ मेरे अपने ) Beena #Shayari

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Rabindra Kumar Ram

यूं हासिल होने को हम भी हो जाये , हमें मुहब्बत से भी चाहे कभी कोई . " ये इल्म तेरा यकीनन इल्म तेरा ही हो , तुम हमारे ख़सारे पे ग़ैर तो फ़रम #शायरी #फ़रमाओ

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यूं हासिल होने को हम भी हो जाये ,
हमें मुहब्बत से भी चाहे कभी कोई . "
ये इल्म तेरा यकीनन इल्म तेरा ही हो , 
तुम हमारे ख़सारे पे ग़ैर तो फ़रमाओ . "

                       --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram यूं हासिल होने को हम भी हो जाये ,
हमें मुहब्बत से भी चाहे कभी कोई . "
ये इल्म तेरा यकीनन इल्म तेरा ही हो , 
तुम हमारे ख़सारे पे ग़ैर तो फ़रम

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच #कविता

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चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।।
नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।।

कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।।
आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।।

यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।।
देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।।

खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।।
पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।।

आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे ।
स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।।

बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा ।
दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।।

लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े ।
बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।।

राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते ।
अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी ।

प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा ।
जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।।

२४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंच

Sethi Ji

💘💘 दोस्ती का सहारा 💘💘 💘💘 दोस्ती का सितारा 💘💘 मेरे दोस्त तेरी दोस्ती में ऐसा काम करूंगा अपनी जान से ज़्यादा तुझको प्यार करूंगा ।। आज कल स

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( prahlad Singh )( feeling writer)

तेराhanumanjayanti24 #hunarbaaz

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Sudha Tripathi

#ramnavmi आल्हा छंद मुक्तक रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण। भूले हो क्य #भक्ति

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