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Shree
कहां हो तुम... क्या कहूं, कहां नहीं! (Act of God) **ईश्वर और मैं** हर एक कहानी किसी ना किसी की आपबीती होती है। जैसे हर एक कहानी का स्रोत और रचनाकार ईश्वर होता है, उसी प्रकार उसके पात्र पहले
Alok Kumar
क्या हे विद्यालय विद्या का मंदिर है विद्यालय विद्या का भवन है विद्यालय शिक्षा का सागर है विद्यालय आदर्शो की खुली किताब है विद्यालय जहां पहला अक्षर बोलना सीखते वह है विद्यालय जहां सपना देखना शुरु करते वह जगह है विद्यालय जहां जाति धर्म का भेदभाव ना हो वह है विद्यालय बिना हार माने जहां कोशिश करना सीखें वह हैं विद्यालय दोस्तों के साथ कक्षा छोड़ भागते वह जगह है विद्यालय जहां पहला प्यार मिले वह जगह है विद्यालय जहां बिना किसी बंधन के खुली सांस लेते वह जगह है विद्यालय शिक्षकों के हाथों पीटते वह जगह है विद्यालय जहां हार जीत का मतलब सीखते वह है विद्यालय जहां कामयाबी का रास्ता पकड़ते वह जगह है विद्यालय जहां जाकर अपना समय याद कर रोते वह जगह है विद्यालय ©Alok Kumar विद्यालय
Dr. Bhagwan Sahay Meena
vijay Avsm Poetry
विद्यालय ऐसा जिसमे खिल रही ज्ञान और संस्कारो की फुलवारी है। अनुभवी अध्यापको और नयी टेक्नोलोजि द्वारा मिल रही बच्चो को शिक्षा सारी है। ©vijay Avsm Poetry विद्यालय
Madhusudan Shrivastava
विद्यालय से ज्ञान है, मिले ज्ञान से मान। गुरुवर की पूजा करो गुरु से होत सुजान। (1) शिक्षा अब धंधा बना शिक्षा-सदन दुकान। धर्म-कर्म सब बिक गया, बिकता है अब ज्ञान। (2) अनुशासन अनुराग से, मानवता सत-शील। ज्ञान और विज्ञान से, है विकास गतिशील। (3) विद्यालय की सीख से लक्ष्य हुआ आसान। धैर्य, धीर, सत्कर्म से, होता है कल्यान। (4) विद्या है वो सम्पदा, मिले नहीं यह मोल विद्या-धन अनमोल है धन से इसे न तोल। (5) मधु विद्यालय एवम विद्या
Abhishek Rajhans
केन्द्रीय विद्यालय में आज तीन वर्ष पूरे किये और इन तीन वर्षों ने मेरा व्यक्तित्व ही परिवर्तित कर दिया. कुछ पंक्तियो के सहारे अपने हृदय में उमड़े भावनाओ के सैलाब को स्थिरता देने का प्रयास किया हूँ आशाएं ... हृदय की जब टूट रही थी संघर्ष... जब जीवन का पर्याय बन चुका था अनगिनत असफलताएं.. जब निस्तेज कर चुकी थी मुझे अभिशापित... जब लगने लगा था जीवन दंश.. शूल बन कर चुभ रहे थे मित्र की बोलियाँ हे ईश्वर ... आपकी असीम अनुकम्पा से मैं केन्द्रीय विद्यालय संगठन का सदस्य बन पाया छात्र से अंग्रेजी का शिक्षक बन पाया बच्चों को बेहतर देने के लिए नित्य नये संकल्पों के साथ स्वयं को एक आधार दे पाया विद्वान सहकर्मियो का संसर्ग मिल पाया प्राचार्य से पुत्र समान स्नेह मिला आलोचना से सीख मिली प्रसंशा से उत्साह बढ़ा जीवन में गतिशीलता बढी व्यक्तिव में जब से केन्द्रीय विधालय जुड़ा जाने- अनजाने लोग जुड़े बच्चे तो अनमोल तारे जैसे हृदय में मेरे शामिल हुए..... Abhishek Rajhans ©Abhishek Rajhans मेरा केन्द्रीय विद्यालय
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नवोदय विधालय समिति ©Bharat पटेल नवोदय विद्यालय समिति