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Dr Manju Juneja
काँच सा नाज़ुक दिल था मेरा जरा सी मौहब्बत में चोट लगी तो किरचा-किरचा कर बिखर गया किरचा मीन्स महीन छोटे छोटे टुकड़े
Abundance
कभी तो शब्द कम पड़ेंगे मेरे कभी तो सफर रुकेगा ये पुरी महफ़िल बेतुकी बातों पर हॅसना भूल जाएगी ये बचपना, नादान बेबाक हसी की मल्लिका जिसकी चुप्पी बोलती थी औरों से कितनी अलग सभी कहेंगे नोजोतो साहब तलाश लीजिये बिखरा ढंग हमने स्वीकारा उसका ये चीनी चायपत्ती, धप्पा पर कौन लिखेगा भला स्टार्टिंग की 9 लाइन थोड़ा अजीब है ना 🥺🥺............ 🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣😇😇😊😊😊😊 #वही टो कह कर बड़े शायरों का व्यापार ठप करती लड़की 🤣🤣🤣🤣😇😇😇😇😇😇😊 ©Mallika 😡😡नहीं जाउंगी 😡😡 नो मीन्स नो.......
Abundance
अब मैं ऐसे स्टाइल करुँगी 😏😏😏 ©MALLIKA 😏😏नो मीन्स नो 😇😇😇🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣
Abundance
डिअर याम्हा 😘😘 i love याम्हा 😡😡 hum आपके 😡बात से सहमत नहीं हैं सबकी पोस्ट याम्हा की हैं... टो आप 😇हार जाइये 😏😏.... जिनका गिटार होटा हैं उनका हारमोनियम से कोई मतलब नहीं... 😡😡😡 hum अपने इंस्ट्रूमेंट की तारीफ karengey 😇😇तुम करो सप्तक 🤣🤣🤣🤣🤣🤣😏😏😏😏😏😏😏कौन कौन लोग हो बाबा 🤣🤣🤣🤣🤣😏😏😏🙏🙏 ©MALLIKA i love याम्हा बोलो 😡😡 😘😘😘🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣 नो मीन्स नो 😇😇😊
शिवानन्द
खुद से सवाल.... खुद को ही जवाब देना सिखा रहा हूं मैं। जिंदगी कुछ बेरंग है..... उन्हें रंगों में रंगने का रंगसाज ढूंढ रहा हूं मैं। ~~शिवानन्द #खुद से #सवाल.... खुद को ही #जवाब देना सिखा रहा हूं मैं। #जिंदगी कुछ बेरंग है..... उन्हें रंगों में रंगने का रंगसाज ढूंढ रहा हूं मैं। #yqba
Monika jayesh Shah
दोस्ती प्यार-विश्वास- एहसास.। दोस्ती एक ऐसा शब्द जो निशब्द हैं! दोस्ती एक विश्वास एक एहसास दोस्तों का! कितना भी दर्द हो हमें पर उस दर्द में जो दोस्त काम आये वही दोस्ती.. अपने गम में चेहरे पर एक मुस्कान लाये.. वो हैं.. दोस्ती! दोस्ती में मतलब नहीं..होना चाहिये... बिना मतलब के जो दिल से पास आये.. वो सच्चा दोस्त होता हैं! दोस्ती मीन्स एक दोस्त दूसरे दोस्त की जान हो ; जिसके बिना जिंदगी नहीं आसान! कष्ट में दे हमेशा साथ बने एक-दूसरे के खास! यहीं हैं.जीवन में दोस्तों की दोस्ती हमखास एक दूसरे का साथ ले हाथों में हाथ... क्योंकि दोस्ती हैं..मन का साथ! ©Monika Shah दोस्ती प्यार-विश्वास- एहसास.। दोस्ती एक ऐसा शब्द जो निशब्द हैं! दोस्ती एक विश्वास एक एहसास दोस्तों का! कितना भी दर्द हो हमें पर उस दर्द में
रजनीश "स्वच्छंद"
लाज बचाती लाज।। सड़क पर आज नहाती लाज, है अपनी लाज बचाती लाज। क्यूँ पांव पसारे भूख बढ़ा रे, मानवता सोती रही फिर आज। तन वसन नहीं मन लगन नहीं, अब क्यूँ रोता नहीं समाज। कोई शर्म नहीं कोई मर्म नहीं, बस नयनों से लड़ाता बाज़। कोई छोर नहीं कोई ऒर नहीं, बिसरा हुआ है अपना काज। मन मन्त्र नहीं तन जन्त्र नहीं, होता दीखा जो पूजा नमाज़। कोई ज्ञान नहीं कोई भान नहीं, सजा उनके ही सिर ये ताज। कोई गंगा नहीं कोई चंगा नहीं, रब भी निकला बड़ा रंगसाज। तब भी नहीं था अब भी नहीं, उठ कर जो हाथ बचाये लाज। सड़क पर आज नहाती लाज, है अपनी लाज बचाती लाज। ©रजनीश "स्वछंद" लाज बचाती लाज।। सड़क पर आज नहाती लाज, है अपनी लाज बचाती लाज। क्यूँ पांव पसारे भूख बढ़ा रे, मानवता सोती रही फिर आज।