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Aarv;
भाई हम लोगों की सरकार इतनी निक्क्मी रही है... हद है साला.. ग़रीबी ग़रीबी करते 70 साल हो गये आज भी गरीब वैसे ही मर रहा है सड़को पर भटकते लोग.. नदियाँ पार करते लोग.. एक ही गाड़ी मे 50लोग ठूस ठूस के जा रहे हैं.. दुर्घटना हो रही है लोग मर रहे हैं... समझ ही नहीं आ रहा.. यार उनको न तो रोक रहे हो न वाहन का व्यवस्था करके उनको उनके घर पंहुचा रहे हो... साला चल क्या रहा है समझ ही नहीं आ रहा... मिडिया भी इनको क्या कहे.. एक तफर का मिडिया मोदी पर हसने मे परिसान है... और एक तरफ का मिडिया 20लाख करोड़ गिनने मे... साला एक गरीब की परिशानी हस हस के बता रहा है घर मे बैठे बैठे ! बहुत रोकते रोकते खुद को नहीं रोक पाये इसलिए पोस्ट कर रहा हूँ मुझे लगता है अगर मैं उनके लिए कुछ नहीं कर रहा.. तो पोस्ट करना भी उनका मज़ाक उड़ाने जैसा ही है.. साले सब केवल अपनी राजनीती रोटी सेक रहे है... घर मे बैठे बैठे ! #भाई plz... कोई भाजपा कांग्रेस मत करना... मैं भारत सरकार की बात की है.. 🙏
Ek villain
पंजाब में तीन चौथाई बहुमत से सरकार चलने वाली कांग्रेसी इस समय दिशाहीन हो गई है विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद उम्मीद की जा रही कि पार्टी हाईकमान और वरिष्ठ नेता को सबक लेंगे लेकिन महंगाई के खिलाफ चंडीगढ़ में दिए गए धरने में जिस तरह से नेता आपस में ही भिड़ गए निषेध ने किया धरना केंद्र सरकार के खिलाफ था लेकिन कांग्रेस के नेताओं ने ज्यादा समय अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की आलोचना और उसकी टीका में लगाया दांत होते हुए इस पार्टी के पूर्व मंत्री और मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए ©Ek villain #कांग्रेस की मुश्किलें #patience
Ek villain
राहुल गांधी को इस मोगा लाता से बाहर आ जाना चाहिए कि गांधी परिवार की बारिश होने के नाते उन्हें देश में शासन करने का जन्मसिद्ध अधिकार है इसमें कोई दो राय नहीं है कि कांग्रेस का गठन से लेकर अब तक कांग्रेस पर नेहरू-गांधी परिवार का पर्वत उभरा है इतिहास साक्षी है कि जब भी कोई अक्षम उत्तर अधिकारी आया तो बड़े-बड़े साम्राज्य भी बिखर गए कांग्रेस पार्टी भी उसे भंवर में फंसी है परिवार में कोई ऐसा शिक्षामित्र नहीं है जो कांग्रेस को भंवर से निकाल कर मुख्यधारा में ले आए हैं सोनिया गांधी 23 साल से अध्यक्ष पद पर ऐसा नहीं है वैसे बीच-बीच में राहुल गांधी भी अपनी उपस्थिति दर्ज करते रहते हैं एक बार वह अध्यक्ष बने तो बीच में ही ताज उतार कर सोनिया गांधी को सौंप दिया गांधी में सबसे बड़ी समस्या तो यही है कि गांधी परिवार से इधर कोई भी अध्यक्ष पद का दावा करने को भी तैयार नहीं है अगर कांग्रेस गांधी परिवार से आगे सोचने में असमर्थ है तो प्रियंका गांधी को ही कमान सौंप दें ©Ek villain #कांग्रेस की कशमकश #promiseday
Ek villain
कांग्रेस की स्थापना दिवस के अवसर पर पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भाजपा को निशाने पर लेते हुए एक बार फिर वह सब कुछ कहा जो है पहले भी कई बार कह चुकी है उनके एक ऐसे कथन नए नहीं है कि देश का आम नागरिक असुरक्षित महसूस कर रहा है और संविधान को दी दरकिनार किया जा रहा है उन्होंने यह भी कहा कि संसदीय लोकतंत्र की परंपरा को नुकसान पहुंचाया जा रहा है उनके इस कथन से संसद के शीतकालीन सत्र का समरण हो आना स्वभाविक है जिस पक्ष और खासकर कांग्रेस की हंगामे के कारण समय से 1 दिन पहले खत्म करना पड़ा सवाल उठेगा कि आखिर इस हंगामे से कौन सी संसदीय परंपरा समृद्धि हुई सोनिया गांधी की ओर से एक और औषधीय जा रहे हैं एक जैसे बयान यही बताते हैं कि कांग्रेसमें शीर्ष स्तर पर ही विचार का भाव है भले ही सोनिया गांधी ने यह कहना कि कांग्रेस भाजपा से अपनी औपचारिक लड़ाई जारी रखेगी लेकिन आज सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आखिर देश के इस सबसे पुराने दल की विचारधारा क्या है आज की कांग्रेस अपनी मूल विचारधारा से इतना भटक चुकी है कि किसी एक के लिए और यहां तक कि खुद कांग्रेश जनों के लिए भी यह समझना कठिन है कि कांग्रेस के विचारों का प्रतिनिधित्व कर रही है जो राहुल गांधी कुछ समय पहले मंदिरों की दौड़ लगा रहे थे और खुद को जनेऊ धारी ब्राह्मण साबित करने में लगे हुए थे वह पिछले कुछ समय से हिंदू और हिंदुत्व में अंतर बताने में अलग हुए हैं यह भी किसी से छिपा नहीं कि कांग्रेस किस तरह वामपंथी विचारों को आत्मसात आ कर चुकी है वह न केवल उद्यमियों के साथ अधम शीलता पर प्यार वार करने लगी हुई है जबकि गरीबों को गरीब बनाए रखने वाली नीति का पोषण कर रही कांग्रेश हो या कोई अन्य दल वह अपनी लड़ाई तभी लड़ सकता है जब खुद उसकी वह अपनी विचारधारा सम स्पष्ट हो समस्या केवल यही नहीं है कि कांग्रेस अपनी विचारधारा को लेकर असमंजस से ग्रस्त है बल्कि यह भी है कि वह नए टैब कर पा रही है कि पार्टी का संचालन कैसे किया जाए यह क्या विचित्र नहीं है सोनिया गांधी ने पार्टी के संस्थापक देशों के मौके पर ऐसे कोई रोशन के दिन आवश्यक नहीं समझा कि वह कब तक अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेगी और कांग्रेस को अलग अध्यक्ष कब मानेगी ऐसे कोई संकेत ना मिलने से यही स्पष्ट होता है कि वह कामचलाऊ व्यवस्था कायम रखेगी जो सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद से लागू और जिस तहत राहुल गांधी पद के पीछे से पर्दा चल रहे हैं ©Ek villain # कांग्रेस की वैचारिक लड़ाई #sharamkaro