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Mihir Choudhary
तुमने तो हँस के पूछा था बोलो न कितना प्रेम है बोलो कैसे मैं बतलाता बोलो ना कैसे समझता जब अहसास समंदर होता है तो शब्द नही फिर मिलते हैं उन बेहिसाब से चाहत को कैसे कैसे मैं बतलाता बोलो न कैसे दिखलाता बोलो न कैसे समझता तब भी हिसाब का कच्चा था अब भी हिसाब का कच्चा हूँ जो था वो ना मेरे बस का था अब तो जो हालात हुए उनसे तो मैं अब बेबस हूं अब अंदर -अंदर सब जलता है लावा जैसा सा कुछ पलता है धीमे धीमे कुछ रिसता है कुछ टूट-टूट के पीसता है नस-नस मैं जैसे कुछ खौलता है धड़कन बिजली सा दौड़ता है अब बेहिसाब ये यादे है बस बेहिसाब ये चाहत है बोलो क्या वो प्रेम ही था बोलो न क्या ये प्रेम ही है मिहिर... बिरहा
Anuj Ray
" बिरहा की रातें" न धुंआ न कहीं ,आग जला करती है, बिरहा की रातें यूं ही ,खामोश जला करती हैं जलता है बदन आग की लपटों में,दो बूंद की उम्मीद लिये, बेबसी हाथ मला करती है। फागुन का महीना हो, या घनी सावनी रातें, पिया मिलन की आस में, यूं ही ख़ला करती हैं। ©Anuj Ray #बिरहा की रातें
Radhe Krishna
मेरे मोहलà¥à¤²à¥‡ की कहानी सुबह का वक्त था बूढ़े माँ बाप मंदिर के लिए निकले तभी सामने से उनका बेटा आ गया और गुस्से से बोला हे भगवान इन्हें उठा लो तो मुझे भी शान्ति मिले। बेटे की बात सुन आँखों में आंसू लिए दोनों मंदिर चले गए। वापस घर आए तो पता चला वही बेटा सीढीयों से गिर गया। तब उसे अस्पताल ले जाया गया। वहाँ डॉक्टर ने बताया सिर में चोट लगने से खून बहुत बह गया है। बचना मुश्किल है। तब पिता ने डॉक्टर से कहा मेरे शरीर से खून की एक एक बूँद लेलो मगर मेरे बेटे को बचा लो। वहीं माँ ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी हे प्रभु मेरी एक एक साँस छीन लो मगर मेरे बेटे की जिंदगी लौटा दो। एक बूढ़े माँ बाप के लिए मौत की दुआएँ मांगता है। तो दुसरी ओर अपने बेटे के लिए जिंदगी की भीख।। ये फर्क होता है औलाद और माँ -बाप में।। ©R.K sagar //माँ -बाप और औलाद में फर्क //
Dilipkashyap
ये आँख और आँसू का रिश्ता बहुत गहरा होता है तभी तो आँख की तकलीफें को आंसू बता देता है #आँख और आंसू
Shilpi Vikram
और कितने इम्तिहान बाकी हैं,पूछे कोई वक़्त से, टूट कर बिखरने की हद तो कोई होगी। जब भी कोशिशें करती हूं जीने की, संभलने की वक़्त है कि यादों के चौराहे पे ले आता है भूल कैसे सकते हैं इस वक़्त, इस तारीख़ को बड़े अरमानों से हमने तुम्हे दूल्हा बनाया था याद करके ये कलेजा मुंह को आता है इन्हीं हांथो से हमने तुम्हे काजल लगाया था क्या कह के समझाएं दिल को कैसे तसल्ली दें कहां से वो पता लाएं जिस पर तुम्हें बधाई दें।। ना बात अपनी तुम कह सके,ना हमारी ही सुन सके बात दिलों की सबकी दिल में ही रह गई जाना तो सबको है उस जहां में एक दिन मगर जाने की ऐसी भी क्या जल्दी थी सजी धजी लाल जोड़े में उस गुड़िया को क्या कहूं उसकी दुनियां उजड़ने को मैं कैसे बयां करूं दुआएं दिल से बस अब हमारे ये निकलें तुम जहां कहीं भी हो प्रभु तुमको खुश रखे।।। "आंसू और दुआएं"
Meenakshi Sharma
शायरी आंसुओ ने भी दर्द, से दोस्ती कर ली, गमों ने भी, अपनी जगह ले ली, महफ़िल में भी सब, छोड़ गए अकेला, आंसुओ ने भी दर्द , से दोस्ती कर ली। Meenakshi Sharma आंसू और दर्द