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Ek villain

# विद्या व्याधि #Dark

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इस संसार में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसके संपूर्ण जीवन में उतार चढ़ाव ना आए हो अंतर इतना ही है कि कुछ को अधिक संघर्ष करना पड़ता है और कुछ को कम इस संघर्ष में सुख और दुख के भाव भी नहीं सोते हैं वास्तव में सुख-दुख के बीच की कड़ी का नाम ही जीवन है विद्यमान का मत है कि जीवन जीना एक कला है और * जन अच्छी तरह से अपने जीवन का निर्वाह करना जानते हैं इसमें मितवा याति बहुत उपयोगी गुण है विद्यापति द्वारा हम नियुक्त एवं संसाधनों में भी अधिकतम सुख दिए जीवन संभव बना सकते हैं भगवान महावीर ने मित्य व्याधि की दृष्टि से इच्छाओं की परिसीमन और व्यक्तिगत उपभोग के संयम का सूत्र दिया है संयम ही हमें त्याग पूर्वक बुक करने की ओर प्रवृत्त करता है इस प्रवृत्ति से उपलब्ध संसाधनों के संरक्षण की दृष्टि उत्पन्न होती है संसाधनों का संरक्षण प्रकृति के दोहन को कम करता है इससे हम भावी पीढ़ी के लिए अधिकतम संपाद छोड़ सकते हैं यह बात व्यक्तिगत जीवन के लिए भी उपयोगी है हम कम उपभोग और मित्र व्याधि करधन और संसाधनों की बचत कर सकते हैं यह बचत हमारी उन्नति का आधार बन सकती है व्यक्ति से इधर किसी भी समाज और राष्ट्र के लिए भी मिथ्या व्यक्ति महत्वपूर्ण गुण है विद्यार्थी का अर्थ केवल धन और भौतिक संपदा की अलप्पी ऐसे नहीं इसके मायने बहुत ही व्यापक हैं मिथ्या व्याधि हमें प्राकृतिक संसाधनों शब्दों और आहार में भी रखनी चाहिए यदि हम शब्दों में सूत्र को आत्म सत्ता करेंगे तो कोई अप्रिय स्थिति से बच सकता है इस प्रकार आहार का संयम हमें पर्याप्त पोषण प्रदान करने के साथ ही कई वर्षों से बचा सकता है क्योंकि भोजन की अंतिम तो बात होती है महात्मा गांधी ने विद्यार्थी को एक सभ्यता मानते हुए कहा है कि सच्ची सभ्यता वही है जो आदमी को न्यूनतम वस्तुओं पर जीवन निर्वाह करना सिखाती है

©Ek villain # विद्या व्याधि

#Dark

krishna devi manas kinkri

नास्ति कामसमो व्याधि. #seashore

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"नास्ति कामसमो व्याधि"     
अर्थात- काम(इच्छाओं)के समान कोई रोग नहीं |

© krishna devi manas kinkri नास्ति कामसमो व्याधि.
#seashore

Ek villain

# मानसिक व्याधि से मुक्त #LIFEGIF

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इस दौर में मनुष्य शारीरिक बीमारी के साथ मानसिक व्याधियों से भी पीड़ित है यह भौतिकता के कारण हो रहा है इस भौतिक युग में मनुष्य स्वार्थ व शिक्षक एवं नैतिक कार्य में लगा है क्योंकि उसे पता है कि यह गलत है तो भी उसे होने वाले अपराध बोध के कारण वह मानसिक बीमारियों की चपेट में आ जाता है यहां हिंसा दो प्रकार की होती है एक शारीरिक हिंसा तो दूसरी भावनात्मक हिंसा भावनात्मक हिंसा में मनुष्य दूसरे को धोखा एवं उनके साथ वंचित आचरण करता है इससे व शारीरिक हिंसा से भी ज्यादा पीड़ा पहुंचाता है हालांकि इससे उसे कुछ भी ठेस अवश्य लगती है पर जो अपराध बोध की श्रेणी में आती है यह भी सच है कि भावनात्मक हिंसा करने वाला आरंभ से ही अपराध बोध को की श्रेणी में आती है यह भी सच है कि भावनात्मक हिंसा करने वाला अब आरंभ में इस अपराध बोध को स्वीकार नहीं करता परंतु धीरे-धीरे उसकी अंतरात्मा उस है यह स्वीकार करने पर मजबूर कर देती है कुछ मनुष्य जरूरी अपने कर्तव्य की पश्चाताप के रूप में पीड़ित के नुकसान की भरपाई करके इससे मुक्ति पाते हैं इसके विपरीत दृष्ट प्रवृत्ति के व्यक्ति को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता मगर काल के एक चक्कर में उसे भी अपनी भूल का आभार अवश्य होता है यह भूल उसकी मानसिक पीड़ा का आधार बन जाती है फिर इससे मुक्ति पाने के लिए वह आत्महत्या करने तक से परहेज नहीं करता इसे देखते हुए मनुष्य की ऋषि पतंजलि के द्वारा बताए गए यम और नियम का पालन करना चाहिए या मम्मी सत्य अहिंसा ब्रह्मचारी आपरी करें और असते का पालन करने के निर्देश है इस प्रकार व्यक्ति भाव आत्मा तथा शारीरिक हिंसा से बचता हुआ अपराध बोध से मुक्त पाकर अपनी जीवन यात्रा पूरी तरह कर सकता है इसलिए जिस प्रकार शारीरिक रोग से बचने में तमाम सावधानियां अपनाई जाती है उसी प्रकार मानसिक रोग से बचने के लिए यम और नियम का पालन करना चाहिए

©Ek villain # मानसिक व्याधि से मुक्त

#LIFEGIF

vinita chundawat

अवस्था

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HP

अवस्था

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सन्देह नहीं कि आत्यंतिक विरहासक्ति ही प्रेम की सबसे ऊँची अवस्था है। अवस्था

Kalpana Srivastava

जीवन की एक ऐसी अवस्था 

जिसमें बोलने का न मन हो ,
न ही दर्द महसूस हो.... 
बस मूक बने रहकर 
जीवन के परिवर्तन का अवलोकन 
करना ही जीवन का सार बन जाए,
 
तब आप समझ ले कि फिर से एक
अवस्था पार कर ली है आपने..

©kalpana srivastava #अवस्था 
#feelings

Ek villain

# जागृत अवस्था #safar

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आलस्य का त्याग जागृत होना है किसी व्यक्ति के प्रगति में दूसरे लोग कम बाधक होते हैं वह स्वयं ज्यादा बाधक होता है आलस्य के चलते असफल होने पर लोग अपने भाग्य को कोसते हैं ऐसी स्थिति में व्यक्ति हीन भावना का शिकार होता है उसका आत्मबल कमजोर हो जाता है आगे किसी काम में हाथ लगाने से डरने लगता है ज्यादातर लोगों को आज का काम कल पर डालने की वजह से आज सफलता मिलती है आलस्य की आदत बचपन से ही शुरू हो जाती है स्कूली शिक्षा के दौरान छोटे से लेकर बड़े विद्यार्थी तक कल से पढ़ाई शुरू करूंगा बोलते हुए सुने जाते हैं माता-पिता या घर के सबसे बड़े सदस्य अभी तो बच्चा है कहकर उसकी आदत बिगड़ते हैं और उसमें काम डालने की आदत डेरा जमा लेती है अत्यंत निर्धन और उसमें काम डालने की आदत डेरा जमा लेती है अत्यंत निर्धन और सहायक परिवारों में दिखने में आता है कि बच्चा घर की जिम्मेदारी के साथ अपनी पढ़ाई में लगा रहता है यानी परिस्थितियों से लड़ने का बीज उसमें बचपन से पड़ जाता है नतीजा पूरी जिंदगी अपनी सक्रियता और कड़ा में था उनसे वह बालक पर मुकाम पर पहुंच जाता है जिससे लोग कल्पना तक नहीं कर सकते संत कबीर दास का एक दोहा काल करे सो आज कर आज करे सो अब पल में प्रलय होएगी बहुरि करेगा कब हर स्त्री पुरुष को याद रखना चाहिए कोई भी दौड़ रहा हो हर समय प्रतिफल का वातावरण समाज में रहा है यदि हम कुछ नया करना चाह रहे हैं तो उसमें आजकल लगाए हुए हैं तो वह नया कार्य कोई और कर बैठेगा ऐसी स्थिति में सिर्फ निराशा के अलावा कुछ हाथ नहीं लगेगा व्यक्ति जब असफल होता है तो उससे जुड़े अन्य लोगों की हदों उत्साह होते हैं रावण के मरते समय ही कहा था कि कोई काम कल पर नहीं डालना चाहिए जो सोचिए तत्काल और प्रोजेक्ट में लग जाइए आलस्य का त्याग कर कर्म में लगना ही जागृत अवस्था है

©Ek villain # जागृत अवस्था

#safar

~आचार्य परम्‌~

सुसुप्ति अवस्था #meltingdown #कविता

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तुम्हें आज मैंने सोते देखा .
हाँ सचमुच मैंने तुम्हें सोते देखा ।

किसी यादों की जंजीरों में तुम बंधी थी 
किसी के प्यार में तुम तो अंधी थी ,
कल्पनाओं को प्यार से सँजोते देखा । 
 तुम्हें आज मैंनें सोते देखा ।

मैं जानता हूँ तुझे उससे बहुत प्यार था .
उसके हर बात पे तुझे बहुत ऐतबार था.
उसकी यादों में तेरे नयन सजल होते देखा .
तुम्हें आज मैंनें सोते देखा ।

अब जाग जा  सबेरा तेरे द्वारे है .
कौन कहता है तु किस्मत के मारे है .
अतीत तो एक बुरा सपना था .
आखिर वो कब तुम्हारा अपना था.
उस बेवफा के खातिर,
 एक बावफा को खोते देखा 
 तुम्हें आज मैंनें सोते देखा ।।

©परम् वै सुसुप्ति अवस्था
#meltingdown

ganesh suryavanshi

मनाची अवस्था #findyourself

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कस असतं..
मन हे निठूर होत कधीच...
त्याला ऐवढ दूखं होत आयूष्यात त्याची त्याला सवय झाली होती.. डोळ्यात अश्रू पण गोठले होते..
त्याची अपेक्षा व प्रतिक्षा कधीची रूसली होती..
व कधी विचार पण मनात नव्हता ती प्रतिक्षा
चूकत चाकत त्याला भेटेल...?
पण भेटली...
निठूर झालेले मन प्रेमाची पांझर फूटला..
डोळ्यात नव चेतना जाग्या झाल्या..
व ऐवढ्या दिवसा नंतर त्याचे आनंदाला सीमा नव्हती..
ऐवढा खूश होता...
पण.. ती व्यक्ती अर्धवट आस लावून. अर्ध्या रस्त्यात
साथ सोडून गेली..
पण त्या मनाच काय..अवस्था झाली असेल...
सांगण्यात पण अवघड वाटतं...
मनाला जिंकता येत नसेल.. तर खोटी आस तरी लावू नका....

©ganesh mali
  मनाची अवस्था

#findyourself
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