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अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/6DdlB01TR #हिंदी #घमंड #घमंडी #काला #इतिहास #अवस्था #गंभीर #Instagram #Facebook #अदनासा

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अदनासा-

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Kalpana Srivastava

जीवन की एक ऐसी अवस्था 

जिसमें बोलने का न मन हो ,
न ही दर्द महसूस हो.... 
बस मूक बने रहकर 
जीवन के परिवर्तन का अवलोकन 
करना ही जीवन का सार बन जाए,
 
तब आप समझ ले कि फिर से एक
अवस्था पार कर ली है आपने..

©kalpana srivastava #अवस्था 
#feelings

Shubhendra Jaiswal

जिंदगानी पीर भरी
लहराती झुर्रियाँ
शेष भाग नोच रही
खिसियाई बिल्लियाँ..!

बैठने न दिया कभी
नाकों पर मक्खियाँ
आँत नहीं दाँत नहीं
भरभराई हड्डियाँ..!

पात पात जोड़ लिया
काट पेट अतड़ियाँ
स्वादहीन ही लगती
मर कट कर मछलियाँ..!

ताउम्र जोड़ता रहा 
तेरी मौज मस्तियाँ
बाकी अभी जोड़ रहा
साँसों की गिनतियाँ..!
©®शुभेन्द्र जायसवाल #शुभाक्षरी #अवस्था #वृद्ध

G singh

एक नगर में एक सुंदर #राजकुमार रहता था। 
सभी लोग उसे प्यार और सम्मान करते थे, 
एक बहुत #गरीब आदमी था.... .।
जो #राजकुमार को  बिल्कुल नहीं चाहता था। 
वह 
उसके #खिलाफ जहर उगलता  था।
राजकुमार को  यह बात पता था लेकिन वह #चुप था।
उसने 
इस गहराई पर सोच #विचार किया।
और ठिठुरती ठंड में #रात को उसके दरवाजे पर एक सेवक से एक बोरी #आटा, #साबुन और #शक्कर लेकर जा पहुंचा।
उस सेवक ने #गरीब आदमी को 
यह सब #सामान देकर कहा, 
      ये चीजें #राजकुमार ने भेजी है।
वह गरीब आदमी बकबक करने लगा, 
उसने सोचा 
ये उपहार #राजकुमार ने उसे खुश करने के लिए भेजा है, 
इसी #अभिमान में
वह #राजा के पास गया,
 और
राजकुमार की करतुत बताते हुए कहा, देख रहे हो न, 
राजकुमार किस तरिके से... मेरा #दिल 
जितना चाहता है।
राजा ने कहा, ओह राजकुमार कितना #चतुर है और तुम कितनी ओछी बुद्धि के आदमी हो।
उसने #इशारे में तुमसे बात की.... .।

#आटा तुम्हारे खाली पेट के लिए है..... .
#साबुन तुम्हारे भीतर बैठे 
गन्दगी को साफ करने के लिए है..... .
और #चीनी तुम्हारी कड़वी ज़बान में मिठास लाने के लिए है।
उस दिन के बाद से वह गरीब आदमी 
         अपने आप में #लज्जित रहने लगा।
राजकुमार के बारे में.... 
उसकी #घृणा और बढ़ गयी, उससे भी अधिक घृणा 
उसे 
राजा से हो गयी।
जिसने #राजकुमार की प्रशंसा उसके सामने की थी।

इसीलिए 
ओछे इंसान का साथ छोड़ देना चाहिए,
         हर #अवस्था में उससे हानि ही होती है।
जैसे, अंगार जब #गर्म रहता है 
           हाथ जलाता है, 
 और जब ठंडा रहता है तो हाथ #काला कर देता है🤷‍♀
 #☝अनमोल ज्ञान #shore

आयुष पंचोली

क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें? हाँ यह बिल्कुल सत्य हैं, की हमारे सारे सवालों के जवाब, सभी समस्याओं का हल कहीं ना कहीं, हमारे ही अस्तित्व की उन गहराईयौं मे छूपा हैं, जहां हम पहुच नही सकते या यूँ कहें पहुचना नही चाहते। क्योकी हमारे जीवन मे अर्थात् आपके जन्म लेने के बाद से,कितनी ही घटनाए ऐसी घटित होती हैं, जो हमारे मन और मस्तिष्क पर बहुत गहरी छाप छोड़ती हैं। उनमे से कुछ घटनायें हम भुला देते #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual

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क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें?
आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें?

हाँ यह बिल्कुल सत्य हैं, की हमारे सारे सवालों के जवाब, सभी समस्याओं का हल कहीं ना कहीं, हमारे ही अस्तित्व की उन गहराईयौं मे छूपा हैं, जहां हम  पहुच नही सकते या यूँ कहें पहुचना नही चाहते। क्योकी हमारे जीवन मे अर्थात् आपके जन्म लेने के बाद से,कितनी ही घटनाए ऐसी घटित होती हैं, जो हमारे मन और मस्तिष्क पर बहुत गहरी छाप छोड़ती हैं। उनमे से कुछ घटनायें हम भुला देते

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 5 - स्वस्थ समाज आज की घटना नहीं है, लगभग 35 वर्ष हो चुके इसे। उस वर्ष हिमालय में हिमपात अधिक हुआ था। श्रीबद्रीनाथजी के मन्दिर के पट वैसे सामान्य स्थिति में अक्षय तृतीया (वैशाख शुक्ल 3) को खुल जाया करते हैं, किन्तु मैं जब जोशीमठ पहुँचा तो यात्री वहीं रुके थे। पट तब तक भी खुले नहीं थे। मैं अक्षय तृतीया वृन्दावन ही करके चला था। मार्ग में तीन-चार दिन तो ऋषिकेश तक में ही रुकते-रुकाते लगे थे और तब मोटर बस केवल देवप्रयाग तक जाती थी। आगे का मार्ग

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
5 - स्वस्थ समाज

आज की घटना नहीं है, लगभग 35 वर्ष हो चुके इसे। उस वर्ष हिमालय में हिमपात अधिक हुआ था। श्रीबद्रीनाथजी के मन्दिर के पट वैसे सामान्य स्थिति में अक्षय तृतीया (वैशाख शुक्ल 3) को खुल जाया करते हैं, किन्तु मैं जब जोशीमठ पहुँचा तो यात्री वहीं रुके थे। पट तब तक भी खुले नहीं थे। मैं अक्षय तृतीया वृन्दावन ही करके चला था। मार्ग में तीन-चार दिन तो ऋषिकेश तक में ही रुकते-रुकाते लगे थे और तब मोटर बस केवल देवप्रयाग तक जाती थी। आगे का मार्ग

Anjali Sheetal Kerketta

एक कहानी पुरानी डायरी से 

ये 2008 की बात है जब मैं मैटिक लिखकर छुटटी बिताने अपने बुआ के साथ हटिया से बोकरो जा रही थी ।मेरी बुआ जो एक शिक्षिका है । मैं अपनी बुआ के साथ वर्दमान टे्न से जा रही थी ।बहुत खुश थी मैं । मुरी स्टेशन पर एक बूढ़ी महिला टे्न में चढ़ी।वह घूम -घूमकर पैसा मांग रही थी।मैं उनको देखी तो ऐसा लगा वह मांगना ना चाहती हो ।मुझे ऐसा लगा कि उनसे बात करू।मुझसे रहा नही गया ।मैं बोली यहां बैठिये। वो  बूढ़ी मां मेरे बगल बैठ गयी।मैंने कहा आप कुछ कहना चाहती है ।वो चुप थी।फिर बोली बेटी! मेरी इस हालात की जिम्मेदार मैं हूं मेरा बूढ़ापा है। मैने कहा क्यों ऐसा सोचती हो। फिर उसने अपनी कहानी बताई उसका एक बेटा  है।उसके लिए वह घर जाकर - जाकर बरतन धोयी ,कपड़े धोयी ताकि  वह अच्छी तरह से पढ़कर एक अच्छा इंसान बने। वह  पढ़कर नौकरी करने लगा।।नौकरी करते हुए उसे एक लड़की से प्रेम हो गया।मैने उसकी शादी करा दी। सब ठीक रह चला था मैं घर के काम करती वे दोनो नौकरी में जाते।मैं धीरे -धीरे वृध्दा अवस्था में आ गयी।अब मुझसे  ज्यादा काम नही होता था।एक दिन मेरे बेटे ने कहा "मां अब तेरा बोझ मैं नही उठा पाऊंगा।" ना चाहकर भी मुझे घर छोड़ना पड़ा। काश  ये बुढ़ापा आता ही नही। मैं रो पड़ी और सोच में डूब गयी  "कोई बेटा कैसे इतना निरदयी हो सकता है धूप में जलकर जिसने सीचां उसे ,उसने ही धूप में जलने को छोड़ दिया। ऐसी संतान से अच्छा निसंतान होना है।
दोस्तो 
माता- पिता हमारे लिए सबकुछ करते है लेकिन क्या हम उनके बुढ़ापे में सहारा नही बन सकते एक दिन हमें भी तो उसी अवस्था में जाना है।

PUSHKAR SAMELE

A..sahu Rahul Kashyap Sinha Jasmine Nain Balwan Chauhan Lakshit Pandey ha ye ek adult poem hai pr jo bhi is age se nikla hai vo ise behtar smjhenge ...

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किशोर अवस्था( adult )
अाज कल ज्ञान सब बांटतै 
कोई यह अवस्था साथ बांटकर तो देखे
सब शरीर के बड़ रहे अंग 
कोई सहला कर तो देखे 
कितना कुछ बता रहा है तु 
पर इसका मज़ा तू चखकर तो  देखे
आसमां को छू कर आता हूं 
चन्द़मा को छू कर  अाता हूं 
जब यह यौवन अवस्था का 
मैं रस चखकर आता हूं 
                               pushkar samele A..sahu Rahul Kashyap Sinha Jasmine Nain Balwan Chauhan Lakshit Pandey  ha ye ek adult poem hai pr jo bhi is age se nikla hai vo ise behtar smjhenge ...

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 1 - भक्ति पंचम पुरुषार्थ योगिनामपि सुर्वेषां मद्गतेनान्तरात्मना। श्रद्धावान् भजते यो मां स मे युक्ततमो मतः।। (गीता 6-47)

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
1 - भक्ति पंचम पुरुषार्थ

योगिनामपि सुर्वेषां मद्गतेनान्तरात्मना।
श्रद्धावान् भजते यो मां स मे युक्ततमो मतः।।
(गीता 6-47)
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