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Sarfraj Alam Shayri
White वक्त सिखा देता है जीने का हुनर फिर किया नसीब, किया मुकद्दर और किया हाथ की लकीरेन ©Sarfraj Alam Shayri #love_shayari वक्त सिखा देता है जीने का हुनर फिर किया नसीब, किया मुकद्दर और किया हाथ की लकीरेन Islam
#love_shayari वक्त सिखा देता है जीने का हुनर फिर किया नसीब, किया मुकद्दर और किया हाथ की लकीरेन Islam
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी फिर हुयी एक शपथ दिल्ली में किया चेहरा दिल्ली का बदलेगा गन्दगी और कूड़ा पोलटिक्स से सियासतों का दिल पिघलेगा गरीबो के लिये दिल्ली कैसी होगी किया उनका गुजारा मजदूरी और रेडी पटरी से होगा हाँफते दिल और एलर्जी से ग्रसित लोगो को प्रदूषण से छुटकारा होगा नशा और अपराध से पीड़ित दिल्ली को स्वस्थ्य मानसिकता से जीने का अधिकार मिलेगा शिक्षा अध्ययन में अब्बल रही हमेशा दिल्ली माहौल विद्यार्थियों को पढ़ने का सौहार्द्र और शांति का मिल सकेगा भार कंधों पर दिल्ली का है दल बल से मुख्यमंत्री ऊपर उठ सकेगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #delhiearthquake किया चेहरा दिल्ली का बदलेगा
#delhiearthquake किया चेहरा दिल्ली का बदलेगा
read moreहिमांशु Kulshreshtha
Unsplash कर के मोहब्बत भरपूर तुमसे .. हिस्से में सिर्फ तेरी बेरुखी के हक़दार हुए .. ख़बर भी ना लगी कब दिल खो गया कब तेरी चाहतों के शिद्दत से तलबगार हुए .. ©हिमांशु Kulshreshtha कर के..
कर के..
read moredilkibaatwithamit
White एक- इक क़तरा जोड़ कर रक्खा, ख़ून सारा निचोड़ कर रक्खा. ख़ुद पे जब भी किया यकीं मैंने, रुख़ हवाओं का मोड़ कर रक्खा. क्योंकि आईना सच बतायेगा, इसलिए उसको तोड़ कर रक्खा? रंग तो और भी थे जीवन में, क्यों उदासी को ओढ़ कर रक्खा ? जो भी लम्हे तुम्हारे साथ कटे, मैंने उन सबको जोड़ कर रक्खा. ©dilkibaatwithamit #Nojoto एक- इक क़तरा जोड़ कर रक्खा, ख़ून सारा निचोड़ कर रक्खा. ख़ुद पे जब भी किया यकीं मैंने, रुख़ हवाओं का मोड़ कर रक्खा. क्योंकि आईना सच बताये
एक- इक क़तरा जोड़ कर रक्खा, ख़ून सारा निचोड़ कर रक्खा. ख़ुद पे जब भी किया यकीं मैंने, रुख़ हवाओं का मोड़ कर रक्खा. क्योंकि आईना सच बताये
read moredilkibaatwithamit
White एक- इक क़तरा जोड़ कर रक्खा, ख़ून सारा निचोड़ कर रक्खा. ख़ुद पे जब भी किया यकीं मैंने, रुख़ हवाओं का मोड़ कर रक्खा. क्योंकि आईना सच बतायेगा, इसलिए उसको तोड़ कर रक्खा? रंग तो और भी थे जीवन में, क्यों उदासी को ओढ़ कर रक्खा ? जो भी लम्हे तुम्हारे साथ कटे, मैंने उन सबको जोड़ कर रक्खा. ©dilkibaatwithamit एक- इक क़तरा जोड़ कर रक्खा, ख़ून सारा निचोड़ कर रक्खा. ख़ुद पे जब भी किया यकीं मैंने, रुख़ हवाओं का मोड़ कर रक्खा. क्योंकि आईना सच बतायेगा, इसलिए
एक- इक क़तरा जोड़ कर रक्खा, ख़ून सारा निचोड़ कर रक्खा. ख़ुद पे जब भी किया यकीं मैंने, रुख़ हवाओं का मोड़ कर रक्खा. क्योंकि आईना सच बतायेगा, इसलिए
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White बेहद संजोकर रखा था मैंने प्यार को तेरी खातिर सोचा किए जिस दिन रूबरू होंगे जी भर के लुटा देंगे तुझ पर ©हिमांशु Kulshreshtha संजो कर...
संजो कर...
read moreअनिल कसेर "उजाला"
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset दिल में लगी आग बुझाने की बात कर, नैया रही डूब पार लगाने की बात कर। वादा तोड़ कर जाना आसां है उजाला, मर के भी उसे तू निभाने की बात कर। ©अनिल कसेर "उजाला" बात कर
बात कर
read moreseema patidar
याद किया है मैने उदासी में आ जाए चेहरे पर मुस्कान जरा सी तो समझना याद किया है मैने सब अपनो के बीच रहकर खाली सा महसूस करो तो समझना याद किया।है मैने बारिश की बूंदे जब भीगोदे मन को अंदर तक तब समझना याद किया है मैने संगीत को सुनते हुए जब दिल प्रेम से भर जाएं तो समझना याद किया है मैने अकेलेपन में जब आखें नम हो जाए तो समझना याद किया है मैने मेरे शब्दो का स्वर अगर मन में सुनाई देने लगे तो समझना याद किया है मैने ©seema patidar याद किया है मैने
याद किया है मैने
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White उतार शराफत का मुखौटा कभी, सच्चाई से भी सामना कर। बारिश हो या आँधियाँ रास्ते में, बस मंज़िल की बात किया कर। मानता हूँ, लोग करते हैं बातें हज़ार, बस अपने सफर का इरादा कर। मुश्किलें बहुत हैं, पर हार न मान, मायूसियों को हंसकर दूर किया कर। थाम ले एक बार फिर से हाथ, यूँ बार-बार ना हाथ छुड़ाया कर। उकेर दे आसमान में अपनी तस्वीर, अपने महबूब पर ऐतबार किया कर। होने दे चर्चे अपने इश्क़ के यार, ऐसी बातों से तू ना घबराया कर। नकार दे दुनियादारी की बातों को, इश्क़ की धुन यूँ ही गुनगुनाया कर। ©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari उतार शराफत का मुखौटा कभी, सच्चाई से भी सामना कर। बारिश हो या आँधियाँ रास्ते में, बस मंज़िल की बात किया कर। मानता हूँ, लोग कर
#love_shayari उतार शराफत का मुखौटा कभी, सच्चाई से भी सामना कर। बारिश हो या आँधियाँ रास्ते में, बस मंज़िल की बात किया कर। मानता हूँ, लोग कर
read moreParasram Arora
White ये तों वाकुई आश्चर्य की बात है कि तुम नशे की हालत मे.. भी सम्भल कर चल पांते हो अच्छा होगा तुम आगे भी उतनी पीना जो तुम्हे लड़खडाने न दे ©Parasram Arora संभाल कर
संभाल कर
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