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Neophyte
इतने अर्शे बाद ना जाने कैसे दिल को खुशी लगी जैसे इन पत्थरों के बीच अपने गांव की जमी लगी दूर से उसके आँखों मे चमक देखा तो चौंक पड़ा पास जाकर देखा तो उन आँखों मे नमी लगी इस वीरांनगी से ताल्लुक़ात यूं है कि लोग मिले, मंज़िल मिली,फिर भी कुछ कमी लगी वो साथ थी तो कितना आज़ाद था मैं उसके जाने से बस यादों की गुलामी लगी कितना हसीं जहाँ है,कितने खुश है लोग फिर मुझे क्यूँ सिर्फ एक मुस्कान तिलस्मी लगी तेरे बग़ैर भी मैं ज़िन्दगी बशर कर लूंगा मुझे कैसे इतनी बड़ी गलतफहमी लगी ©क्षत्रियंकेश तिलस्मी!
यशवंत राय 'श्रेष्ठ'
अगर कोई पाठक या मित्र गण इच्छुक हो सामाजिक उपन्यास 'शुकंजय की हवेली' पढने के लिए तो अपना पता पिन कोड सहित भेजने की कृपा करें। आपके पते पर पब्लिशर द्वारा पुस्तक पहुंचे जाएगी। अगर उपन्यास अच्छा लगे तब पब्लिशर को उपन्यास की कीमत भेजिएगा। अब तक यह पुस्तक अपनी क्षमताओं पर खरी उतरी है। सनातन् संस्कृति और अध्यात्म पर आधारित यह पुस्तक प्रत्येक साहित्य प्रेमी को पढने के लिए प्रेरित कर रही है। 🙏जय श्री राधेकृष्ण जी🙏 ©यशवंत राय 'श्रेष्ठ' उपन्यास
Nilam Agarwalla
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद, आप हमेशा याद रहेंगे क्यूंकि आपकी लिखी कहानियां और उपन्यास हम सबके दिलो-दिमाग पर अमिट छाप छोड़ गयी हैं।'कफन' और 'निर्मला' में नारी के दर्द को आपने जिस तरह समझकर उकेरा है वह और किसी के बस की बात हो ही नहीं सकती। उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद