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Krishna Rai
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} सब कुछ भगवान् श्री कृष्ण ही हैं:- -ऐसा स्वीकार कर लेना सर्वश्रेष्ठ साधन है। ©N S Yadav GoldMine #GingerTea {Bolo Ji Radhey Radhey} सब कुछ भगवान् श्री कृष्ण ही हैं:- -ऐसा स्वीकार कर लेना सर्वश्रेष्ठ साधन है।
N S Yadav GoldMine
BeHappy {Bolo Ji Radhey Radhey} हर मनुष्य के किसी भी साधन से अन्त:करण में समता आनी चाहिये, समता आये बिना कोई भी मनुष्य सर्वथा निर्विकार नहीं हो सकता। ©N S Yadav GoldMine #beHappy {Bolo Ji Radhey Radhey} हर मनुष्य के किसी भी साधन से अन्त:करण में समता आनी चाहिये, समता आये बिना कोई भी मनुष्य सर्वथा निर्विकार
Yogi Sonu
N S Yadav GoldMine
Black भक्ति साधारण रूप से दो भागों में बाँटी जा सकती है । {Bolo Ji Radhey Radhey} पहली साधन भक्ति और दूसरी साध्य भक्ति । साधन भक्ति का अर्थ होता है, कि मन भगवान में कैसे लगे, भजन में कैसे लगे इसका प्रयास. और साध्य भक्ति का अर्थ होता है, अब मन लग गया है, अब बस भगवान का भजन हो और उनके नाम रूप गुण की चर्चा होl अब उनसे एकत्व हो जाये । ©N S Yadav GoldMine #Morning भक्ति साधारण रूप से दो भागों में बाँटी जा सकती है । {Bolo Ji Radhey Radhey} पहली साधन भक्ति और दूसरी साध्य भक्ति । साधन भक्ति का
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} हमारे मन की गतिविधिया, जैसे होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है. ©N S Yadav GoldMine #Hope {Bolo Ji Radhey Radhey} हमारे मन की गतिविधिया, जैसे होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगात
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवतभक्ति के लिए व भगवान श्री कृष्ण जी प्राप्ति मैं सबसे बढ़कर साधन है, और सब साधनों का फल है, वो है, परमात्मा का ध्यान, हर वक्त परमात्मा के स्वरूप का ध्यान रखना चाहिये, और चाहे जप भी मत हो, चाहे सत्संग भी मत हो, और चाहे कुछ भी मत हो, परमात्मा का ध्यान रहना चाहिये। ©N S Yadav GoldMine #sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवतभक्ति के लिए व भगवान श्री कृष्ण जी प्राप्ति मैं सबसे बढ़कर साधन है, और सब साधनों का फल है, वो है
AwadheshPSRathore_7773
Mahadev Son
White जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा, जीवन के साधन इन तीनों के लिये सभी निरंतर प्रयास करते... मोक्ष के लिये सोचते भी नहीं क्योंकि मुश्किल या मालूम ही नहीं.... मोक्ष - मुक्ति, आत्म-साक्षात्कार। जीवन की अंतिम परिणति है। मोक्ष आत्मा को भौतिक संसार के संघर्षों और पीड़ा से मुक्त करता है! आत्मा को जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से मुक्त करता है! ©Mahadev Son जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना ह
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच