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Amitabh Yadav
बाबा पुराने दौर की कुछ तो बताइए, ऐसा सुना है होती थी कीमत ज़ुबान की।
विवेक गंगवार
बाबा पुराने दौर की कुछ तो बताइए.. ऐसा सुना है होती थी कीमत ज़ुबान की..!! बाबा पुराने दौर की कुछ तो बताइए.. ऐसा सुना है होती थी कीमत ज़ुबान की..!!
अज़नबी किताब
सारा दिन थकी सी वो, रात को सोने की बड़ी सोखिन है | रात के सपनों में भी वो अपनी एक और ख्वाबों की दुनिया जो देखने जाती है | सोने की सोखिन...
Parasram Arora
क्रांति के पथ से हम गुज़र आये हैं अब हमेँ शांति पथ पऱ अग्रसर होने के लिए तैयार होना हैं स्वतंत्रता का लक्ष्य तों हमने पा लिया पर अभी हमेँ बहुत कुछ और भी पाना हैं जो सोने की चिड़िया उड़ गई थी उसे अपने देश मे फिर से हमेँ लाना हैं ©Parasram Arora सोने की चिड़िया
(Musafir)
रौशनी की कीमत दर्द मुसाफ़िर का, रस्ते का हाहाकार, एक सहारा सुराही का, एक सहारा प्यार l माया मंज़िल कर रही, अदृष्य चीख हज़ार बेचने हैं खिलौने, खेल खिलाये संसार l पोंछ पसीना बढ़ा कहीं जो, लगे पैर अंगार, रुतबे से छाया मिली, न्याय से प्रहार l रौशनी की कीमत , बिजली के नंगे तार l कोमलता मन की वस्तु, सपने पहाड़ प्रकार l ©Hemant Soni(Musafir) # रौशनी की कीमत
बागी विनय
जिसने खाये है अपनो से धोखे उससे पूछो विश्वास की कीमत !! विश्वास की कीमत !!
Amit chauhan
क़ीमत काश्मीर की इस खूबसूरत काश्मीर की कीमत क्या बताएं इसके लिए अपने लालों को खो देतीं हैं माएँ बड़ा ही महंगा कीमत है इस सुंदर से काश्मीर की वीरों के लहू से सींची जातीं हैं इसकी सीमाएँ दर्द तो उन वीर सपूतों को भी होता होगा कई जो अमर हो जातें हैं अपने सर को उठाये इस खूबसूरत काश्मीर की कीमत क्या बताएं इसके लिए अपने लालों को खो देतीं हैं माएँ #NojotoQuote कीमत काश्मीर की...
Rafik
कीमत तो खूब बढ़ गई दिल्ली में धान की, पर विदा ना हो सकी बेटी किसान की. वे सहारे भी नहीं अब जंग लड़नी है तुझे, कट चुके जो हाथ उन हाथों में तलवारें न देख. हमारी रहनुमाओ में भला इतना गुमां कैसे, हमारे जागने से, नींद में उनकी खलल कैसे. इस नदी की धार में ठंडी हवा तो आती हैं, नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो हैं. आत्महत्या की चिता पर देखकर किसान को नींद कैसे आ रही हैं देश के प्रधान को. सियासत इस कदर अवाम पे अहसान करती है, पहले आँखे छीन लेती है फिर चश्में दान करती है. जज़्बात की कीमत