Find the Latest Status about उतू नका मातु नका from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, उतू नका मातु नका.
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White सरसी/कबीर छन्द मातु-पिता के चरणों में हैं , अपने सारे धाम । उनकी सेवा करने से ही , खुश हो प्रभु श्री राम ।। नही भ्रमण दुनिया का करना , मातु-पिता जो संग । थाम उन्हीं की उँगली देखा, दुनिया के सब ढ़ंग ।। मातु-पिता ही देव हमारे , करता वंदन नित्य । रहूँ शरण मैं हरपल उनकी ,यह ही है औचित्य ।। मान-लिया वट वृक्ष पिता को, पाता शीतल छाँव । यही आसरा मिलता हमको , यह ही सुंदर ठाँव ।। मातु-पिता का ऋण है कैसा ,कहती जो संतान । वही दुष्ट प्राणी है जग में,खोता नित सम्मान ।। कैसे-कैसे ताने देकर ,पँहुचाते हो ठेस । कैसे तुम बिन रात गुजारी , कैसे बदले भेस ।। आज प्रखर की बातें सुनकर , उठी हृदय में पीर । जाकर पहले पोछों उनकी , तुम आँखों से नीर ।। मातु-पिता का दिल ही होता, गंगा जैसा साफ । कितना भी सुत गलती करता, कर देते वह माफ ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सरसी/कबीर छन्द मातु-पिता के चरणों में हैं , अपने सारे धाम । उनकी सेवा करने से ही , खुश हो प्रभु श्री राम ।। नही भ्रमण दुनिया का करना , मा
सरसी/कबीर छन्द मातु-पिता के चरणों में हैं , अपने सारे धाम । उनकी सेवा करने से ही , खुश हो प्रभु श्री राम ।। नही भ्रमण दुनिया का करना , मा #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द , चित्र-चिंतन काशी के हैं घाट निराले । भक्त सभी है डेरा डाले ।। माँ गंगा की करें आरती । होती खुश हैं मातु भारती ।। भोले बाबा की यह नगरी । गलियां मिलती टेढ़ी सकरी ।। बम-बम बम-बम होती काशी । हरते दुख सबके अविनाशी ।। यह तन है मिट्टी की काया । इसकी बस कुछ दिन की छाया ।। आज मान लो मेरी बातें । होगी जगमग तेरी रातें ।। माँ गंगा में ध्यान लगाओ । भव से सभी पार हो जाओ ।। यह तन माया की है गठरी । हाथ न आये बिल्कुल ठठरी ।। पाप सभी गंगा धुल आये । फिर भी मन में पाप छुपाये ।। पाप नाशिनी होती गंगा । मारा डुबकी मन है चंगा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द , चित्र-चिंतन काशी के हैं घाट निराले । भक्त सभी है डेरा डाले ।। माँ गंगा की करें आरती । होती खुश हैं मातु भारती ।। भोले बाबा क
चौपाई छन्द , चित्र-चिंतन काशी के हैं घाट निराले । भक्त सभी है डेरा डाले ।। माँ गंगा की करें आरती । होती खुश हैं मातु भारती ।। भोले बाबा क #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- रहूँ सदा मैं माँ की गोदी , जीवन की है जिज्ञासा । त्याग तपस्या और बलिदान , देख लिया माँ की भाषा ।। रहूँ सदा मैं माँ की गोदी .... इस जीवन का मोल अदा हो , मातु-पिता की कर सेवा । इस सेवा से ही पहले तो , हमने चखा बहुत मेवा ।। बिन कर्म किए फल मिले हमें , नहीं किया था अभिलाषा । रहूँ सदा मैं माँ की गोदी .... तुम ही जननी तुम जगदम्बा , मुझको कर दो अब श्रीधर । पड़ा रहूँ मैं शरण तुम्हारी , मातु हमें अब दे दो वर ।। मैं भी सेवा करूँ तुम्हारी , उठती मन में अभिलाषा । रहूँ सदा मैं माँ की गोदी ...। तुम ही साथी तुम ही देवी , तुमसे आज छुपाऊँ क्या । शीतल पावन दूध तुम्हारा, पीकर मैं इठलाऊँ क्या ।। जो बनकर लहू दौड़ता है , क्या दूँ उसकी परिभाषा । रहूँ सदा मैं माँ की गोदी ..... रहूँ सदा मैं माँ की गोदी , जीवन की है जिज्ञासा । त्याग तपस्या और बलिदान , देख लिया माँ की भाषा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #motherlove गीत :- रहूँ सदा मैं माँ की गोदी , जीवन की है जिज्ञासा । त्याग तपस्या और बलिदान , देख लिया माँ की भाषा ।। रहूँ सदा मैं माँ की ग
#motherlove गीत :- रहूँ सदा मैं माँ की गोदी , जीवन की है जिज्ञासा । त्याग तपस्या और बलिदान , देख लिया माँ की भाषा ।। रहूँ सदा मैं माँ की ग #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
उडियाना छन्द :- स्वाद में सब जन बहे , जीव हत्या करें । और देते ज्ञान हैं , पाप क्यों सिर धरे ।। जानते है सब यहीं , पाप है ये बड़ा । देखता हूँ फिर वहाँ , घेरकर सब खड़ा ।। मारकर सब डुबकियां , पाप धोने चले । मातु गंगा सोचती , तनय कैसे पले ।। पीर इनकी सब मिटे, और आगे बढ़े । राह जीवन की सभी , स्वयं चलकर गढ़े ।। कष्ट सारे झेलकर , चक्षु जिनके खुले । राम-सिय जपते रहे , श्वास जब तक चले ।। लौट जायें वो सभी, सुगम पथ पर कहीं । विनय करता यह प्रखर , आप ठहरे वहीं ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उडियाना छन्द :- स्वाद में सब जन बहे , जीव हत्या करें । और देते ज्ञान हैं , पाप क्यों सिर धरे ।। जानते है सब यहीं , पाप है ये बड़ा । देखता ह
उडियाना छन्द :- स्वाद में सब जन बहे , जीव हत्या करें । और देते ज्ञान हैं , पाप क्यों सिर धरे ।। जानते है सब यहीं , पाप है ये बड़ा । देखता ह #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White माँ को मत पाएं समझ, सुत हैं अब नादान । पूँजी जाती बेटियाँ , है ये प्रथा महान ।। बहन बेटियाँ पूज्य है , समझ उसे मत धातु । सुन उसके हर रूप में , छुपी एक है मातु ।। वह तन क्यूँ मैला करो , जो दे जीवन दान । मान उसे इंसान तू् , अपना अब भगवान ।। जिस तन को मैला किया , बनकर तू इंसान । जन्म वही तुमको दिया , समझ तुम्हें संतान ।। तन उसका मैला सही , मन उसका है पाक । जैसे वन में हो उगा , वृक्ष एक अब आक ।। ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #mothers_day माँ को मत पाये समझ, सुत हैं अब नादान । पूँजी जाती बेटियाँ , है ये प्रथा महान ।। बहन बेटियाँ पूज्य है , समझ उसे मत धातु ।
#mothers_day माँ को मत पाये समझ, सुत हैं अब नादान । पूँजी जाती बेटियाँ , है ये प्रथा महान ।। बहन बेटियाँ पूज्य है , समझ उसे मत धातु । #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२ वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद । ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३ तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद । छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४ बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप । अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५ मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद । हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६ मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग । उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७ हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन । सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८ खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन । सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९ टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश । वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१० अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन । भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११ थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज । कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२ मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल । तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३ २५/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- नवदुर्गा माता के नव रूप का , दर्शन का सौभाग्य । पाया जो वागीश ये , लिखने बैठा काव्य ।। लिखने बैठा काव्य , जगत जननी की गाथा । देख शारदे मातु , झुका चरणों में माथा ।। माँ अम्बें की आज , आरती जन-जन गाता । होकर खुश वरदान , दिए भक्तों को माता ।। १२/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- नवदुर्गा माता के नव रूप का , दर्शन का सौभाग्य । पाया जो वागीश ये , लिखने बैठा काव्य ।। लिखने बैठा काव्य , जगत जननी की गाथा ।
कुण्डलिया :- नवदुर्गा माता के नव रूप का , दर्शन का सौभाग्य । पाया जो वागीश ये , लिखने बैठा काव्य ।। लिखने बैठा काव्य , जगत जननी की गाथा । #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
Beautiful Moon Night दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अब , कष्ट हमारे देख ।।२ जीवन से मैं हार कर , होता नही निराश । करता रहता कर्म हूँ , होगा क्यों न प्रकाश ।।३ इस दुनिया में मातु पर , रखना नित विश्वास । वे ही अपने लाल के , रहती हैं निज पास ।।४ कहकर उसको क्यों बुरा , बुरे बने हम आज । ये तो विधि का लेख है , करता वह जो काज ।।५ कभी किसी के कष्ट को , देख हँसे मत आप । वह भी माँ का लाल है , हँसकर मत लो श्राप ।।६ मदद नही जब कर सको , रहना उनसे दूर । कल उनके जैसे कहीं , आप न हों मजबूर ।।७ करने उसकी ही मदद , भेजे हैं रघुवीर । ज्यादा मत कुछ कर सको ,बँधा उसे फिर धीर ।।८ जग में सबकी मातु है, जीव-जन्तु इंसान । कर ले उनकी वंदना , मिल जाये भगवान ।।९ माँ की सेवा से कभी , मुख मत लेना मोड़ । उनकी सेवा से जुड़े , हैं जीवन के जोड़ ।।१० ११/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अ
दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अ #शायरी
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- आ गया नवरात्रि का त्यौहार है । देख लो माँ का सजा दरबार है ।। आ गया नवरात्रि का त्यौहार है ... लोग माँ की कर रहे हैं अर्चना । सुन रही हैं मातु सबकी वंदना ।। और हठ बैठे किए कुछ भक्त हैं । मातु पे सुत का सदा अधिकार है । आ गया नवरात्रि का त्यौहार है..... मातु सेवा में लगा दी पीढियाँ । चढ़ रहे हम भक्त सारे सीढियाँ ।। उन पहाड़ों पे करे माँ वास है । सुन रही वो भक्त की दरकार है । आ गया नवरात्रि का त्यौहार है.... गीत गाकर आज बंदनवार कर । मातु का अब भोग भी तैयार कर ।। आ गई हैं कर सवारी सिंह की । अब उन्हीं की हर तरफ जयकार है ।। आ गया नवरात्रि का त्यौहार है.... मोह माया छोड़ माँ के द्वार चल । फिर न मौका ही मिलेगा सोच कल ।। भूल तेरी आज हो जाये क्षमा । कष्ट से होते वही उद्धार है । आ गया नवरात्रि का त्यौहार है ।। आ गया नवरात्रि का त्यौहार है । देख लो माँ का सजा दरबार है ।। १०/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- आ गया नवरात्रि का त्यौहार है । देख लो माँ का सजा दरबार है ।। आ गया नवरात्रि का त्यौहार है ...
गीत :- आ गया नवरात्रि का त्यौहार है । देख लो माँ का सजा दरबार है ।। आ गया नवरात्रि का त्यौहार है ... #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपई /जयकारी छन्द १ मातु-पिता को करूँ प्रणाम । वो ही रघुवर है घनश्याम ।। थाम चले वह मेरा हाथ । और न देता जग में साथ ।। २ जीवन की बस इतनी चाह । पिता दिखाए हमको राह ।। पाकर गुरुवर से मैं ज्ञान । बन जाऊँ मैं भी इंसान ।। ३ जीवन साथी है अनमोल । मीठे प्यारे उसके बोल ।। घर उसके ले गया बरात । पूर्ण किया फिर फेरे सात ।। ४ मानूँ उसकी सारी बात । कभी न मिलता मुझको घात ।। कहती दुनिया मुझे गुलाम । लेकिन जग में होता नाम ।। ०३/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपई /जयकारी छन्द १ मातु-पिता को करूँ प्रणाम । वो ही रघुवर है घनश्याम ।। थाम चले वह मेरा हाथ । और न देता जग में साथ ।। २
चौपई /जयकारी छन्द १ मातु-पिता को करूँ प्रणाम । वो ही रघुवर है घनश्याम ।। थाम चले वह मेरा हाथ । और न देता जग में साथ ।। २ #कविता
read more