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Sarvesh kumar kashyap
Sanjeev kumar
White न दिल होता न दिल रोता न दिल आप से जुड़ा होता न आप इतने हसीन होते न दिल आप पर फिदा होता ©Sanjeev kumar #Dosti शायरी की डायरी with Sanjeev Kumar
Arjit
White सब कुछ बताया जाए तो अच्छा रहेगा अब कुछ ना छुपाया जाए तो अच्छा रहेगा अदालत सजी है तेरे मोहल्ले में तो कोई गिला नहीं गवाह मेरे मोहल्ले से बुलाया जाए तो अच्छा रहेगा मुझ पर इल्जाम लगा है तेरी गली से गुजरने की रास्ता बाजार जाने का तेरा भी बताया जाए ©Arjit Singh शायरों की शायरी
Arjit
White प्यास बुझाने के बाद हमेशा खाली बोतल भी बोझ लगने लगती है बात गहरी है जरा समय निकाल कर सोचा ©Arjit Singh शायरों की शायरी
Meena Singh Meen
White दिल की बातें बस दिल से कहना, और कोई न इनको समझ पाएगा। ©Meena Singh Meen #mountain #शायरी #meenwrites प्रशांत की डायरी vineetapanchal Ravi vibhute ARTIST VIP MISHRA ABRAR
Arjit
White टाइम उनसे ही मांगो जो आपसे बात करके खुश हो उनसे नहीं जो आपसे परेशान हो क्योंकि आजकल लोग व्यस्त बहुत होते हैं ©Arjit Singh शायरों की शायरी
Sandeep Sagar
White आधा चांद आधा सूरज आधा मैं बंजारों सा आधी आधी दुनिया फिर भी पूरी तुम इन तारों सा।। ©Sandeep Sagar #Moon सागर की डायरी से
Sandeep Sagar
White गिरे आँखों से आँसू तो लगे बहने लगी नदियाँ कि जैसे बिन तुम्हारे कट गयी मेरी पूरी सदियाँ वो मेरी भूल थी जो तुमको मैंने प्यार था समझा नहीं तो यूँ गुजर जाती थी एक तूफ़ाँ भरी रतियाँ। मुझे अब ख़्वाब भी वो लगने लगे है यूँ परायों से की जैसे तितलियाँ उड़ने लगी है इन सरायों से तुम्हे मैं दूँ बना एक आदमी वो भी मुन्तशिर सा मगर ना दूँ तुम्हें वो दिल जो तुम भरते थे किरायों से। मुझे अब एक नदी सी घाट घाट दरिया में जानी है पहाड़ों,पेड़ पर जाना खुद ही पंछी सी ठानी है वो एक पर्वत के पीछे एक बड़ी सी शांत घाटी है वही जीना वही मरना यही बस जिंदगानी है।। ©Sandeep Sagar #Road सागर की डायरी से
Sandeep Sagar
Night sms quotes messages in hindi नींद पकड़ के बैठा हूँ मैं,इन काली सी रातों में जाने क्यों एक टीस उठा है,ख्वाबों वाली बातों में ये ख़्वाब ख़्वाब ही होते है,ना होते है ये संजीदा फिर क्यूँ मेरी आँखें हुई लाल,इन ख़्वाबो की मुलाकातों में।। क्या मैं तुमको ढूँढ रहा था,या मैं खुद की परछाई या फिर खुद की देख हकीक़त आँख बंद से खुल आई मैंने बस एक डर देखा था,डर भी वो नादान सा था जाग के भागा था जिस डर से,फिर वही डर आँखों में आई।। ©Sandeep Sagar सागर की डायरी से