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गुणों से पहचान

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Chaurasiya4386

दिसंबर की सर्द शाम, इस साल का ख़त्म होना और तुम्हारा आना सच कहें तो जाड़ों के मौसम में धूप का आना सा लगा… मेरी शायरी में.

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Unsplash     दिसंबर की सर्द शाम ...
                इस साल का ख़त्म होना ...
                  
                 और 



तुम्हारा आना सच कहें तो जाड़ों के
 मौसम में धूप का आना सा लगा… 

मेरी शायरी में...
तुम थे, तुम हो, तुम ही रहोगे ...❤️💔

©Chaurasiya4386  #दिसंबर  की #सर्द  शाम, 
 इस साल का ख़त्म होना और 
#तुम्हारा  आना सच कहें तो #जाड़ों  के #मौसम  में #धूप का आना सा लगा… 

मेरी #शायरी  में.

Lalit Saxena

#Book दिल से

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Unsplash मै लिखता हूं.....इसमें तारीफ़ नहीं
तारीफ़ तो मेरे बेवफ़ा हालातों की है
जो मुझे लिखने के लिए हर पल, हर लम्हा
बेताब करते है।।।।।
गर ये लम्हे ये हालात ये अफसाने ना होते
..............तो क्या मैं लिखता?
कोई कवि, शायर, गजलकार, या फनकार
कलम कही पड़ी होती किसी कोने में
और कागज़ हवा में उड़ रहे होते
कैसा लगता....ख्वाबों में गोते लगाना
डूब कर अंधेरों में कही दफ़न हो गए होते।
मै लिखता हूं.....इसमें तारीफ़ नहीं!!!

©Lalit Saxena #Book दिल से

RAVI PRAKASH

#sad_quotes लगता है आना पड़ेगा पूराने

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White लगता है आना पड़ेगा पूराने

अंदाज में कुछ लोग हल्के में ले रहे है

©RAVI PRAKASH #sad_quotes लगता है आना पड़ेगा पूराने

Shishpal Chauhan

#मेरी लेखनी से

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White अपनी लेखनी से कभी लिखता हूँ, कभी लिखकर मिटाता हूँ ।
कभी हृदय का प्रेम छुपाता हूँ, कभी सोए हुए को जगाता हूँ ।
लेकिन मैं सोचता हूँ कि तुमने मेरी लेखनी से प्यार नहीं किया
यह तुम्हें मैं क्यों बताता हूँ ,
तुमने तो मेरे व्यक्तित्व से प्रेम किया; यह सोचकर सहम-सा जाता हूँ ।
तुम्हें पढ़ने की फुर्सत नहीं है ; यूँ ही दिल को ठेस पहुँचाता हूँ,
मुझे वो चेहरा पसंद नहीं है ; केवल दिखावा करता है 
मैं आपनी लेखनी से ही मन को बहला लिया करता हूँ ।
अ मेरे जीवन साथी शायद तुम्हें पता ही नहीं
मेरी जिंदगी को तुमने कितना बदल दिया
सोते हुए नींद में भी लिख लिया करता हूँ ,
लेकिन तुम्हें क्या फर्क पड़ता है  मेरी नींद हराम करने वाली
बेकार में ही दिल की धड़कन  बढ़ा लिया करता हूँ।
तुमने मेरी प्रेम की गहराईयों को समझा ही नहीं 
तेरी यादों से ही बेरहम अंधेरी रात काट लिया करता हूँ,
तुम साथ न दो कोई बात नहीं ; अश्कों को ही स्याही बना लिया करता हूँ।
मैं तुमसे मिलने से पहले  एक बेजान-सा पुतला था
तुमने ही मुझे दिया नाम, पी लिया करता हूँ गमों का जाम।
पहचान और शोहरत दी बस तू मेरे साथ रहे यही मैं चाहता हूँ,
जैसे सुनार सोने को पिघलाकर आकार देता है 
तुमने मेरी जिंदगी ही बदल दी 
तुम से जुदा न हो पाऊँगा  बस तुझमें ही खो जाना चाहता हूँ।
कितने लोग आए और कितने चले गए 
कईयों के रिश्ते बिगड़ गए तो कईयों के संवर गए
सुख हो दुख हो तुम्हारे संग हर लम्हा बिताना चाहता हूँ,
कुछ लोग प्यार की गंभीरता को समझते हैं 
वे दुनिया को बहुत कुछ दे जाते हैं  शायद मैं भी उनमें से एक हूँ 
अपने मधुर शब्दों से यादें छोड़ देना चाहता हूँ।
प्यार में झूठे वायदे झूठी कसमें खाई जाती है 
उनको निभाता है कोई-कोई ऐसे बंधन में नहीं मैं बंद जाना चाहता हूँ,
प्रेम ईश्वर का दिया एक नायाब तोहफ़ा है; उसमें एक अलग खुशबू है 
अपनी पवित्रता का ख्याल रखना चाहता हूँ ।
लेखन बयां कर देता है दिल का हाल – चौहान, लेखनी है मेरी जान ।।

©Shishpal Chauhan #मेरी लेखनी से

Anjali Singhal

"इलाज क्या करना लफ़्ज़ों के घाव का! मुँह तोड़ जबाव दे दिया करो ताने कसती हुई हर बात का!!" #AnjaliSinghal #Shayari nojoto

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Sarfaraj idrishi

#milan_night कमज़र्फ लोगों के साथ कमज़र्फी से पेश मत आना बस ख़ामोश रहो मज़बूत रहो और आगे चलते रहो Islam gaTTubaba Sethi Ji Ankita Tantuway

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White कमज़र्फ लोगों के साथ कमज़र्फी से पेश मत आना
 बस ख़ामोश रहो मज़बूत रहो और आगे चलते रहो

©Sarfaraj idrishi #milan_night कमज़र्फ लोगों के साथ कमज़र्फी से पेश मत आना बस ख़ामोश रहो मज़बूत रहो और आगे चलते रहो Islam gaTTubaba  Sethi Ji  Ankita Tantuway

Bachan Manikpuri

जो आपके मुँह से निकलेगा पर्मेश्वेर उसे वैसा ही बना देगा

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नवनीत ठाकुर

#उसका आना बाकी है

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मुसाफिर हूँ मैं, सफर की कोई मंजिल नहीं,
हर मोड़ पे कोई नई दास्तान बाकी है।
कदम कदम पर मिलते हैं कुछ हमसफर,
मगर इस राह में अकेले चलने का इरादा बाकी है।।

वक्त की चाल ने कितने राज़ छुपा रखे हैं,
हर लम्हे में एक तजुर्बा बाकी है।
बीते वक्त को कभी रोक न सके हम,
मगर हर आने वाले लम्हे से मिलना बाकी है।।

बरसात में हर बूंद में उसका एहसास बहता है,
यादों की बारिश में उसका नाम बाकी है।
भीगी ज़मीं पर वो पाँव के निशाँ छोड़ जाए,
ऐसे मौसम में उसका आना बाकी है।।

खामोशी में भी एक गूंज सी बसी रहती है,
हर सन्नाटे में कोई बात बाकी है।
ये खामोश लब्ज़ कुछ कहने को हैं आतुर,
बस सुनने वाला कोई अजनबी बाकी है।।

©नवनीत ठाकुर #उसका आना बाकी है

पूर्वार्थ

#जख्म से जीता

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White बैठी हैं क्यों दर्द लिए;
आतीत-सा मन को शान्त किये ।
जो बीते पल माहुर से थे;
आज क्यों उनके जाम पिए।
भविष्य सुनहरा राह देखता;
तेरे हर पल आने की,
हौसले से तोड़ बेड़ियाँ
जख्म भरे अल्फाजों की
देख आसमाँ भर ऊँची उड़ाने;
आगे बढ़ तू इसी बहाने ,
दर्द मिटा तू ख्व़ाब गढ़ ;
भूल न उसे ;
जो कहता तू आगे बढ़।
जीवन समर में कुछ ऐसे उतर ;
शत्रु हो जाए छितर - बितर।।
मौत भी घबराए तुझ तक आने के लिए ,
तू बन जा एक मिसाल इस जमाने के लिए।।

©पूर्वार्थ #जख्म से जीता
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