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Vickram
White अगर आप किसी को हमेशा सुबह उठते वक्त और शाम सोने से पहले सोचते हैं । और जिसे भूलना आपके वश में नहीं । तो यकीनन ये एक अटूट बंधन है । जिसे आप बहुत भूलने की कोशिश करते हैं । और हर बार नाकाम हो जाते हैं । ये कोई आम रिश्ता नहीं होता वर्ना हर कोई हमारे मन में घर कर लेता । ©Vickram #bike_wale एक अजीब सा बंधन
Rameshkumar Mehra Mehra
White यू तो कोई बंधन नही.......! तुम्हारा नि;स्बार्थ प्रेम...! मुझे तुमसे दूर जाने नही देता.... ©Rameshkumar Mehra Mehra # यू तो कोई बंधन नही,पर तुम्हारा नि:स्वार्थ प्रेम,मुझे तुमसे दूर जाने नही देता....
Pragati Mishra
White मैं कोने में पड़ी बारहवीं पन्ने की खबर , तुम फ्लिपकार्ट का full page विज्ञापन कोई....☺️☺️ ©Pragati Mishra प्रेम अद्वितीय है , ये न बंधन मांगता है न बेड़ियां...#love_shayari_shahi #zindgi√s #OldDays #Prem #lovesayari #loveself #feeling_loved #Feel
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} समझ :- जो बंधन या गाँठ आराम से खुल सकती है, उस पर कभी भी कैंची नही चलानी चाहिए, हमारी जिंदगी में भी कुछ पल ऐसे भी आते हैं, जब हम दोराहे पर खड़े होने पर मजबूर हो जाते हैं, ये जिंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया।। ©N S Yadav GoldMine #Moon {Bolo Ji Radhey Radhey} समझ :- जो बंधन या गाँठ आराम से खुल सकती है, उस पर कभी भी कैंची नही चलानी चाहिए, हमारी जिंदगी में भी कुछ पल
Yogi Sonu
White प्रेम क्या है क्या मलकीयत जमाना ही प्रेम है क्या मांग ही प्रेम है या बंधन जो मुक्त हो वह प्रेम है जिसमें अपेक्षा मांग न हो वह प्रेम है ? ©Yogi Sonu #Friendship प्रेम क्या है क्या मलकीयत जमाना ही प्रेम है क्या मांग ही प्रेम है या बंधन जो मुक्त हो वह प्रेम है जिसमें अपेक्षा मांग न हो वह प्
Anjali Singhal
Vinod Mishra
KUNWA SAY
आपका रिश्ता ऐसा है जैसे दो नदियों का संगम मंगल रहे आपके जीवन का हर दिन प्यार और विश्वास का यह बंधन यूं ही बना रहे ऐसी हम शादी की सालगिरह की शुभकामनाएं देते है। ©KUNWA SAY आपका रिश्ता ऐसा है जैसे दो नदियों का संगम मंगल रहे आपके जीवन का हर दिन प्यार और विश्वास का यह बंधन यूं ही बना रहे ऐसी हम शादी की सालगिरह की
Neel
सुबह सिंदूरी, दिन मख़मली, रात ही बैरन होय, पिया मिलन की आस में, मैं साँसें रही संजोय। कहा तो, क्या तुम साथ चलोगे, हाथों में ले हाथ, कभी न मुझसे दूर रहोगे, कर लूँ क्या विश्वास। मन उलझा है कई चक्र में, क्या बोलूँ क्या छोड़ूँ, मेरे मन की भाषा पढ़ लो, प्रीत मैं तुझसे जोड़ूँ। जनम-जनम का बन्धन है ये, आज की प्रीत नहीं है, जो - दो पल में ही, मिट जाए, ऐसी नियति नहीं है। सब कुछ कहकर भी- क्यूँ लगता है, बात न पूरी सी है, समझ सको तो समझ लो - क्यूँ ये, रैन अधूरी सी है।। 🍁🍁🍁 ©Neel जन्मों का बंधन 🍁