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राजेंद्रभोसले
येथे ओशाळले समीकरण येथेच मावळले राजकारण।।धृ।। पेरलेल्या अभिलाषा उगवलेल्या नवीन आशा आताच पुन्हा नाही दशा रणनीती ही पांढरपेशा टोपयांचेच झाले सत्तांतरन येथेच ओशाळले समीकरण।।१।। आर्थिकतेचे माही ज्ञान समाजमनाचे नसे भान सत्तेच्या कडीपत्त्याचे पान जणू सोळाव्या लुईचे रान आराजकतेचे जीवबंधन।।२।। लुईचे रान
vidya,s world
मन माळ रान.. ओलावा शोधत फिरते.. स्वार्थी या जगात.. निस्वार्थ नजर एक शोधते.. कित्येकदा फसते .. घायाळ होऊन बसते.. तरीही नव्या उर्मिने पुन्हा.. वाऱ्यावर सैर पळते.. मन माळ रान... ओलावा शोधत फिरते.. जुळते अन् जुळवून घेते.. ममतेसाठी झुरते.. प्रेमासाठी आसुसते.. कधी वेडे ,कधी शहाणे.. करते कित्येक बहाणे.. कधी हळवे हळवे.. कधी शीळे हून कठोर.. रंग मनाचे आगळे... आपलेच हे तरीही.. आपल्याहून वेगळे.. मन माळ रान.. ओलावा शोधत फिरते.. स्वार्थी या जगात.. निस्वार्थ नजर एक शोधते.. .... विदया ©vidya,s world मन माळ रान... #SAD
PФФJД ЦDΞSHI
वीर हनुमान भक्त जो बना वो समझो बलशाली हो गया, साहस और हिम्मत उस मे आ गई, राम भक्त भी वो बन गया, राम जैसा वीर, धीर और simple यानि सौम्य चरित्र, हनुमान राम के भक्त क्यो थे क्यो कि वो राम को अपना आदर्श मानते थे और सीता को अपनी मईया वो हर पल राम नाम ले उनका गुन गान करते और हमेशा किसी को भी मदद की जरुरत हो दौड़ के जाते थे, विशाल शरीर होते हुऐ भी मन के कोमल थे हनुमान, क्या आप भी ऐसा बनना चाहोगे तो बोलो जय श्री राम, जय हनुमान 🙏🏻 ©Puja Udeshi #Hanuman जय श्री रान, जय हनुमान 🙏🏻 #POOJAUDESHI
Gurudeen Verma
शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #लेखक
Andy Mann
लेखक दुनियां का सबसे असफ़ल व्यक्ति होता है .जो जिंदगियाँ वो जी नहीं पाता उन्हें तरह तरह के किरदारों में जीवित करता है .. ©Andy Mann #लेखक
Sabir Khan
#Pehlealfaaz लिखने वाले समाज के रचयिता हैं, समाज लिखने वालों से ही चलता है। अब लिखने वाले ही स्वयं सोच लें कि उनको समाज कैसा बनाना है। लेखक
Shikha Dubey
लेखक अपने भीतर उमड़े शैलाबों में डूब कर उभरता है तब जा कर वो कुछ लिख पाता है देर तलक वो खुद से लड़ता है तब जा कर वो एक मुकाम पाता है कालिख (स्याही) से कुछ लिखता है तब कहीं जा कर इतिहास पन्नों पर छपता है शब्दों से संग्राम में कुछ चुन कर लाता है तब जा कर उन्हें ,कुछ तहजीब , कुछ तरीके से कतार में लगाता है फिर कतार में लगे शब्दों को पन्नों पर बिठाता है तब कहीं जा कर वो लोगों के दिलों को छू पाता है लेखक
Sabir Khan
#OpenPoetry लिखने वाला चाहे जैसा भी हो, उसके लेख को पढ़ें-भाव को पढ़ें, उसकी लेखनी की प्रशंसा करें। आपकी प्रशंसा में वो सामर्थ्य है जो कि लेखक का जीवन बदलने के लिये काफ़ी है। .....भावार्थ यह है कि किसी की निजी जिंदगी पर टिप्पणी न करते हुए उसके अच्छे कार्य की प्रशंसा करें, उसका जीवन परिवर्तन निश्चित है। लेखक
Vinit Kumar
लेखक अच्छे शब्द इस्तेमाल करने से नहीं बनते बल्कि बनते है समाज की बुर्राईओं के खिलाफ आवाज उठाकर बनते हैं और जब दिल के मरीज खुद को लेखक कहते हैं तो लगता है कौन नाराज हैं समाज से लेखनी,कागज़ या ईश्वर। #लेखक
Tafizul Sambalpuri
नमस्कार आदाब दोस्तों परिस्थिति, पूर्वानुमान , सामाजिक दायित्व और कल्पना के आधार पर रचनाएं प्रकाशित होती है। शब्द जो खामोश रहते समाज को नई दिशा देता है। इतिहास हो या वर्तमान या फिर दिल की दास्तां बयां करता है। इसके लिए कल्पना और प्रशिक्षण के साथ स्वछता और विनम्रता के लक्षण एक लेखक के लिए जरूरी है। ©Tafizul Sambalpuri लेखक