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Devesh Dixit
मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां चले अत्याचारों से लिपटी धरती सब तुम्हारी करनी है आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी सब तुम्हारी निशानी है पाप कर्म और मक्कारी का दिया जलाया तुमने है खून बहा के निर्दोषों का धन कमाया तुमने है मुद्दा बनाके जाति - पांति का आपस में लड़वाया तुमने है उसी से भड़कती है हिंसा उसी से रोटी सेंकी है और कौन से कुकर्म हैं बाकी जो तुमने आगे करने हैं धरती माता पर और लहू की बारिश करनी तुमने है मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल झोंक कर कहां चले ……………………………. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां
Sarfaraj idrishi
White अब गुज़री हुई उम्र को आवाज़ ना देना, अब धूल में लिपटा हुआ बचपन ना मिलेगा। ©Sarfaraj idrishi #Moon अब गुज़री हुई उम्र को आवाज़ ना देना, अब धूल में लिपटा हुआ बचपन ना मिलेगा।Internet Jockey jai shankar pandit indu singh sana naaz Anshu
PURAN SINGH CHILWAL
अच्छे लोगों का हमारी जिंदगी में आना हमारी किस्मत होती है और उन्हें संभाल कर रखना हमारा हुनर होता है ©PURAN SINGH CHILWAL #boatclub ऐसा कोई सैनिटाइजर भी बनाओ जिससे मन का मैंल दिल की नफरत भी धूल जाए🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🙏🙏🙏🙏🌹🌹🙏🙏
Shivkumar
" तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ वैसी ही रखी हैँ ,, वह चाय का कप और हिसाब की किताब, बिस्तर के सरआने पर बिलकुल वैसी ही अधूरी रखी हैँ ,, जहाँ बिताए थे कुछ पल बैठकर साथ अब वहां धूल चढ़ी है, जहाँ चलते थे दो कदम साथ वहां अब दूब बढ़ गयी है ,, तेरे जाने के बाद से वह हमारी तस्वीर अब अधूरी रह गयी है, रंग सब सूख गए हैँ और तस्वीर में रंग की जगह खाली रह गयी है ,, तेरे गिटार के तार अब टूट गए हैँ तेरी आधी पढ़ी कहानी की किताब अभी वहीँ पड़ी है, उन गीतों का क्या होगा जिसकी धुन अभी आधी बनी है ,, घर की चाबी अभी भी उस दराज़ में तेरे छल्ले के साथ मैंने रखी है, वह पर्दे जो जो लगाए थे कमरों में रंग भरने उन पर अभी कुछ धूल चढ़ी है ,, वह कमरा जहाँ बिताए थे पल यादगार, वीरान हो गया है, वह कंघा, वह आइना, अभी भी तेरे टूटे बाल, तेरी बिंदिया के निशान खोज रहा है ,, वह कमरे की खिड़की अभी भी आधी खुली है, कुछ छनी धूप वहां से झाँक रही है ,, वह खुश्क़ चादर अपनी अब भी कोने में पड़ी है, तेरी टूटी हुईं चूड़ियाँ भी मैंने वहीँ सहेज कर रखी है ,, ~शिवकुमार बर्मन ✍🥀 ©Shivkumar #aaina #आइना #दर्पण #Nojoto #nojotohindi #कविता " तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ । माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।। दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ । धूल में फूल खिलाने के लिए रहता हूँ ।। शहर में मैं नही जाता कमाने को पैसे । हाथ बापू का बटाने के लिए रहता हूँ ।। जानता हूँ दूरियों से खत्म होगें रिश्ते । मैं उन्हें आज बचाने के लिए रहता हूँ ।। हर जगह जल रहे देखो आस्था के दीपक । मैं उन्हीं में घी बढ़ाने के लिए रहता हूँ ।। कितने कमजोर हुए हैं आजकल के रिश्ते । उनको आईना दिखाने के लिए रहता हूँ ।। कुछ न मिलता है प्रखर आज यहाँ पे हमको । फिर भी इनको मैं हँसाने के लिए रहता हूँ । ११/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ । माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।। दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ । धूल में फूल
VEER NIRVEL
महाकाल के चरणों की धूल हूँ मैं, अब ये मत पूछना के कौन हूँ मैं... #जय_श्री_महाकल #𝙲𝚑𝚊𝚒_𝙻𝚘𝚟𝚎𝚛 ©VEER NIRVEL महाकाल के चरणों की धूल हूँ मैं, अब ये मत पूछना के कौन हूँ मैं... #जय_श्री_महाकल #𝙲𝚑𝚊𝚒_𝙻𝚘𝚟𝚎𝚛
Mukesh Poonia
सारा जग है प्रभु तेरी शरण में सर झुकाते हैं शिव तेरे चरण में हम बनें भोले की चरणों की धूल आओ शिव जी पर चढ़ायें श्रद्धा के फूल। महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ©Mukesh Poonia #mahashivaratri सारा जग है #प्रभु तेरी #शरण में सर झुकाते हैं #शिव तेरे चरण में हम बनें #भोले की चरणों की धूल आओ शिव जी पर चढ़ायें #श्रद्धा
doctor vishal Kumar
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- रूप पल-पल कभी वो बदलते नहीं । साथ दे कर दगा दोस्त करते नहीं ।। नेक इंसान बन दोस्त लगता गले । मैल दिल में रखे लोग मिलते नहीं ।। वो न इंसान है देख संसार में । धूल को जो चंदन समझते नहीं ।। पाँव अपने जमाने अगर हो यहाँ । राह को देख पीछे वो हटते नहीं ।। आसमां की अगर चाहतें जो डगर । बेड़ियों को वो बंधन समझते नहीं ।। चाहतों को हमारी कभी तो समझ । बिन हमारे कभी तुम सँवरते नहीं ।। थक गया है प्रखर राह चलकर तेरी । बात क्या आजकल तुम निकलते नहीं ।। २६/०२/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- रूप पल-पल कभी वो बदलते नहीं । साथ दे कर दगा दोस्त करते नहीं ।।
M.k.kanaujiya
कई अर्शे इंतजार करूंगा तुझे पाने की चाह में, तकता रहूंगा रास्ता तेरे आने की राह में, ना दिन को दिन,ना रात को रात सुनूंगा मैं राहें हों कांटो और फूलों भरी बेशक कांटे चुनूंगा मैं, कड़कती धूप हो या सैलाबी बरसात हो, मैं भले रहूं तन्हा बस तेरा जुनून मेरे साथ हो राह शोलों भरी हो फिर भी धूल कहूंगा चिंगारी आग की बरसे फिर भी फूल कहूंगा मैं पालूं जब तक न तुझको ये लख्ते जिगर, तुझको चंदन मैं खुद को बबूल कहूंगा, राहें फूलों भरी हो, या कांटो भरी बेशक मैं कांटे चुनूंगा ।। ©M.k.kanaujiya #कई अर्शे इंतजार करूंगा तुझे पाने की चाह में, तकता रहूंगा रास्ता तेरे आने की राह में, ना दिन को दिन,ना रात को रात सुनूंगा मैं