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अद्वैतवेदान्तसमीक्षा
स्वस्थता की शास्त्रीय परिभाषा
अद्वैतवेदान्तसमीक्षा
दृष्टांत सहित शास्त्रों के संकेत 1. पुण्य का अवसर खो देना ही पाप है भारतीय षड्दर्शनों के पूर्वमीमांसा दर्शन के अनुसार भी संध्या, नित्यअग्निहोत्र आदि नित्य कर्मों का पूण्य नहीं लगता परंतु संध्याकाल में संध्या आदि नहीं करने (ईश्वर का चिंतन छोड़कर प्रपंच का चिंतन करने)से पाप जरूर लगता है। यहूदी धर्म में तालमुद ग्रंथ अनुसार भी ईश्वर नहीं पूछेगा की पाप क्या क्या किया है अपितु पता करेगा कि पूण्य क्या क्या नहीं किया अर्थात पूण्य के कितने अवसर गवां दिए उनका ही दंड देगा। 2.स्वस्थता का लक्षण ("मैं शरीर हुँ "इस भ्रम की निवृत्ति ) आयुर्वेद के अनुसार भी तनाव रहित शरीर इतना हल्का होता है कि शरीर का पता ही नही चलता ,को ही स्वास्थ्य माना गया है क्योंकि पैर में काटा चुभने पर पैर का एवं शिरदर्द होने पर शिर का पता चलता है। एवं दार्शनिकों के अनुसार तो व्यक्ति को मोक्ष जो व्यक्ति की वास्तविक अवस्था मानी गई है उसमें शरीर के साथ तादात्म्य किसी के भी द्वारा माना ही नही गया है। और तो और चार्वाक् दर्शन में भी शरीर छूटने को ही मोक्ष मानने से उपरोक्त लक्षण उनके सिद्धान्त में भी घटता है । पाप एवं पूण्य की शास्त्रीय परिभाषा
अद्वैतवेदान्तसमीक्षा
क्यों मनाते हैं नवरात्र? नवरात्र के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं, पर निम्न दो कथाएं सर्वाधिक तार्किक एवं प्रचलित हैं। पहली कथा है- ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण का वध करने के लिए चण्डी देवी की उपासना कर उन्हें प्रसन्न करने के लिए कहा था। चण्डी पाठ एवं हवन के लिए दुर्लभ नीलकमल की भी व्यवस्था स्वयं ब्रह्माजी ने कर दी। वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमरत्व के लिए चण्डी पाठ शुरू कर दिया। यह बात पवन के माध्यम से इन्द्र ने श्रीराम तक पहुंचा दी। इधर रावण ने राम की पूजा बाधित करने के लिए मायावी तरीके से पूजा-स्थल से एक नीलकमल गायब कर दिया। तभी श्रीराम को स्मरण हुआ कि उन्हें ‘नवकंजलोचन’ (कमलनयन) भी कहा जाता है। श्रीराम ने अपने एक नेत्र को मां की आराधना में समर्पित करने के उद्देश्य से जैसे ही तुणीर से बाण निकाल कर अपने नेत्र में चलाना चाहा, वैसे ही मां दुर्गा ने श्रीराम के भक्ति भाव से प्रसन्न होकर उन्हें विजयश्री का आशीर्वाद प्रदान कर किया। इस प्रकार रावण का वध हुआ और तब से मां दुर्गा की उपासना का पर्व ‘नवरात्र’ मनाया जाने लगा। दूसरी कथा है- महिषासुर की उपासना से प्रसन्न होकर देवताओं ने उसे अजेय होने का वरदान दिया। महिषासुर ने इसका दुरुपयोग शुरू कर दिया। वह सूर्य, चन्द्र, इन्द्र आदि देवताओं के अधिकार छीन स्वयं स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा। उसके भय से पीड़ित देवताओं को स्वर्गलोक छोड़ कर मत्र्यलोक में रहना पड़ा। तब महिषासुर का नाश करने के लिए देवताओं ने मां दुर्गा की रचना की। देवताओं ने मां दुर्गा को बल प्रदान करने के लिए सभी अस्त्र-शस्त्र उन्हें प्रदान कर दिए। अंत में महिषासुर का वध कर मां दुर्गा ‘महिषासुरमर्दिनी’ कहलाईं। इस प्रकार नवरात्र का त्योहार प्रारंभ हुआ। नवरात्रि मनाने के 2 शास्त्रीय कारण
अद्वैतवेदान्तसमीक्षा
अचार्याद् पादमाधत्ते पादं शिष्य:स्वमेधया कालेन पादमाधत्ते पादं सब्रह्माचारिभि: 1.आचार्य से 2.स्वयं की मेधा से 3.कालक्रम से 4.सहपाठियों के साथ विचार करने से इन चार के द्वारा विद्या पूर्ण होती है अन्यथा अधूरी विद्या रहेगी। विद्या ग्रहण के शास्त्रीय उपाय
dream saler
संगीतात्मक collaboration challenge# तू ठहरी भौर की भैरवी मैं रात्रि काल का यमन अब तू ही बता कैसे होगा तेरा मेरा ये मिलन संगीतात्मक collaboration challenge कम से कम एक शास्त्रीय राग का नाम रचना में आना जरूरी है। #संगीतात्मक hastag का उपयोग करें #yqbaba #yqdidi
kavi manish mann
भारतीय शास्त्रीय संगीत के नाज.............चले गए। संगीत के महराज अधिराज......................चले गए। विश्व में भारतीय संगीत को ख्याति दिलाने वाले। महान विभूति पंडित जसराज................. चले गए। विनम्र श्रद्धांजलि 🌺 शत शत नमन 🌺 एक और दुखद समाचार है। भारतीय शास्त्रीय संगीत की महान विभूति पंडित जसराज जी का आज निधन हो गया। वो 90 वर्ष के थे। 18 जनवरी 1930 को हरियाणा के
साहस
थे पंडित जसराज, नाम रहेगा अब साथ, जो थे संगीत के सरताज एक और दुखद समाचार है। भारतीय शास्त्रीय संगीत की महान विभूति पंडित जसराज जी का आज निधन हो गया। वो 90 वर्ष के थे। 18 जनवरी 1930 को हरियाणा के
Jyoti Diwan
सुरों के जो सरताज जिनका मीठा हर साज तारीफों के ना मोहताज करें सुकून का आगाज एक और दुखद समाचार है। भारतीय शास्त्रीय संगीत की महान विभूति पंडित जसराज जी का आज निधन हो गया। वो 90 वर्ष के थे। 18 जनवरी 1930 को हरियाणा के
arrey.oh.chachu
Sangeet Jinhey Zinda Rakthi Hai Unhey Maut Kya Maaregi #AmarSangeet एक और दुखद समाचार है। भारतीय शास्त्रीय संगीत की महान विभूति पंडित जसराज जी का आज निधन हो गया। वो 90 वर्ष के थे। 18 जनवरी 1930 को हरियाणा के