Nojoto: Largest Storytelling Platform

New अग्रजों Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about अग्रजों from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, अग्रजों.

Stories related to अग्रजों

    LatestPopularVideo

Ankit Gupta

1 अग्रजों द्वारा।। 2 और प्रेमिका को-

read more
दफन  थे  राज  जो  वो  तुमने  खोले क्यों
जो अच्छे न  लगे कहो बोल ऐसे बोले क्यों
सियासत  की  तुमने  साथ  मेरे  किस लिये
मेरी सरपरस्ती में  बड़े हुये  तुम भूले क्यों? 1 अग्रजों द्वारा।।
2 और प्रेमिका को-

Saurabh Srivastava (विश्वास)

अधर्म पर धर्म की विजय, असत्य पर सत्य की विजय, पाप पर पुण्य की विजय, अत्याचार पर सदाचार की विजय, क्रोध पर दया;क्षमा की विजय, अज्ञान पर ज्ञान #nojotophoto

read more
 अधर्म पर धर्म की विजय,
असत्य पर सत्य की विजय,
पाप पर पुण्य की विजय,
अत्याचार पर सदाचार की विजय,
क्रोध पर दया;क्षमा की विजय,
अज्ञान पर ज्ञान

MANJEET SINGH THAKRAL

इतिहास ख़ुद को दोहरा रहा है। सन 1906-07 में किशन सिंह और अजीत सिंह (शहीद भगत सिंह के पिता और चाचा) ने अंग्रेज़ों के तीन काले कृषि क़ानूनों क #Sunrise #विचार #kisanandolan #IndiaWithFarmers #KisanNahiToDeshNahi

read more
इतिहास ख़ुद को दोहरा रहा है। सन 1906-07 में किशन सिंह और अजीत सिंह (शहीद भगत सिंह के पिता और चाचा) ने अंग्रेज़ों के तीन काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन खड़ा किया था, जिन्हें बाद में अग्रजों को वापस लेना पड़ा। अगर अंग्रेज उन क़ानूनों को वापस नहीं लेते तो ज़मींदार अपनी ही ज़मीन पर मज़दूर हो जाते। “पगड़ी संभाल जट्टा” इस आंदोलन का नारा बना।
आज़ भी कमोबेश हालात वही हैं, वही तीन काले क़ानून आज हैं, बस अंग्रेज़ों की जगह उनके नौकर आ गये हैं।
#KisanNahiToDeshNahi
#IndiaWithFarmers #KisanAndolan

©MANJEET SINGH THAKRAL इतिहास ख़ुद को दोहरा रहा है। सन 1906-07 में किशन सिंह और अजीत सिंह (शहीद भगत सिंह के पिता और चाचा) ने अंग्रेज़ों के तीन काले कृषि क़ानूनों क

Divya Joshi

तुम ख़ूबसूरत हो अंतस की निर्मलता से विचारों की प्रबलता से चंद्र की शीतलता से तुम ख़ूबसूरत हो सूरज की लालिमा से स्वमयं की गरिमा से #youarebeautiful #कविता #नोजोतोहिन्दी

read more
तुम खूबसूरत हो, तुम ख़ूबसूरत हो
अंतस की निर्मलता से
विचारों की प्रबलता से
चंद्र की शीतलता से

तुम ख़ूबसूरत हो
सूरज की लालिमा से
स्वमयं की गरिमा से
क्रोध की रक्तिमा से

तुम ख़ूबसूरत हो
गगन की शांति से
अंदर की क्रांति से
समाज की भ्रांति से

तुम ख़ूबसूरत हो
नदियों के कलकल से
मन के शोर ओर उथल पुथल से
इस विश्व सकल से

तुम ख़ूबसूरत हो
वीणा की तान से
अपनो के मान से
बचे कुचे स्वाभिमान से

तुम खूबसूरत हो
बंसरी की धुन से
अपने सुंदर मन से
अग्रजों को सदैव नमन से

तुम ख़ूबसूरत हो इन सबकी वजह से
तुम खूबसूरत हो हर तरह से
तुम ख़ूबसूरत हो वात्सल्य प्रभा से

तुम खूबसूरत हो हमेशा से 
इतना तुम ध्यान रखो
बस इसका मत अभिमान रखो
अपने अंतस की खूबसूरती का 
बस तुम यूँ सम्मान रखो।

©Divya Joshi तुम ख़ूबसूरत हो
अंतस की निर्मलता से
विचारों की प्रबलता से
चंद्र की शीतलता से

तुम ख़ूबसूरत हो
सूरज की लालिमा से
स्वमयं की गरिमा से
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile