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malay_28
White भरा है दर्द का सागर मेरी ये ज़िन्दगी डूबी पड़ा वीराँ मकाँ है अब कहो आना हुआ कैसे . ©malay_28 #कहो आना हुआ कैसे
Kalpana Uriya
White जहा आच्छा बनकर काम और बात नही बनता , वहा बुरा बनना पड़ता हैं। ©Kalpana Uriya कहा कैसे रहना चाहिए???
malay_28
White कहीं तुम हो कहीं हम हैं मुहब्बत हो तो कैसे हो ख़ुदा अब दूर इंसां से इबादत हो तो कैसे हो ग़ुलामी दौड़ती खूँ में बग़ावत हो तो कैसे हो नहीं पहचान है अपनी अदावत हो तो कैसे हो बना पत्थर रहा करता नज़ाक़त हो तो कैसे हो ©malay_28 #कैसे हो
malay_28
लगाते रंग चेहरे पर मगर दिल में ख़लिश रहता नहीं कुछ भी असर होता किसी के सर्द पीरों का ! न जाने लोग कैसे जी रहे हैं रूह दफ़ना कर फ़क़त कुछ ऐश की ख़ातिर करे सौदा ज़मीरों का ! ©malay_28 #कैसे कैसे लोग
Dinesh Sharma Jind Haryana
उसने पूछा क्या तुम मुझे अब भी याद करते हो अब बताओ मैं उसे याद कैसे करूं जब भुला नहीं उसे ©Dinesh Sharma Jind Haryana # याद कैसे करूं
M@nsi Bisht
इकरार न मोहब्बत तो खुशनुमा कैसे होता। हमसे बढ़ कर कोई और था। तो उनसे इश्क कैसे होता। वो सुकून को ढूंढने को बिछड़ गए ,तो अब ढूंढने से सुकून कैसे होता ।। ©M@nsi Bisht #कैसे होता
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- अब उसे आफताब कैसे दें । प्यार का हम हिसाब कैसे दें ।। जिनको इतना पसंद करता हूँ । उनको बासी गुलाब कैसे दें ।। हुस्न की आज मल्लिका वह है । सोचता हूँ ख़िताब कैसे दें ।। चंद कतरे मिलें हमें खत में । तू बता दे जवाब कैसे दें ।। गीत जिनके लिए लिखे हम थे । हम उन्हें वो किताब कैसे दें ।। प्यार उम्र भर जवान रहता है । तू बता फिर ख़िज़ाब कैसे दें ।। हसरतें दीद की लिए दिल में । अब प्रखर ये नक़ाब कैसे दें ।। १३/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- अब उसे आफताब कैसे दें । प्यार का हम हिसाब कैसे दें ।। जिनको इतना पसंद करता हूँ । उनको बासी गुलाब कैसे दें ।। हुस्न की आज मल्लिका वह