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Parasram Arora
तुम तट पर खड़े हो और सागर पर. लहरे उद्वेलित हैँ तुम्हे प्यास लगी है... सागर सामने है फ़िरभी तुम प्यासे हो क्योंकि तुम चातक हो चकोर हो सागर क़े जल से तुम्हारी प्यास बुझेगी नहीं तुम्हे करनी होंगी प्रतिक्षा 'स्वाति नक्षत्र ' की तुम्हे प्रतिक्षा करनी है उस महत्त क्षण की ©Parasram Arora प्रतिक्षा.....
ganesh suryavanshi
मूझ से इतनी क्यू खफा हो जो तूम इतनी नाराज हो मेरी गलती तो बता दे ना, शायद मे खूद को माफ ना कर सकू.. मूझे जल जाना पसंद है पर कोई रूठ जाऐ तो जिंदगी से रूठ जाऊंगा... ©ganesh mali प्रतिक्षा
ganesh suryavanshi
मूझ से इतनी क्यू खफा हो जो तूम इतनी नाराज हो मेरी गलती तो बता दे ना, शायद मे खूद को माफ ना कर सकू.. मूझे जल जाना पसंद है पर कोई रूठ जाऐ तो जिंदगी से रूठ जाऊंगा... ©ganesh mali प्रतिक्षा
Parasram Arora
मृत्यु चौखट पर ख़डी हैँ कब से दस्तक दे रही हैँ वो शयद जानती नहीं कि. मै किस बेसब्री से उसकी प्रतिक्षा कर था उसके आँचल मे सिमट जाने के लिए ©Parasram Arora प्रतिक्षा
Shahaji Chandanshive
प्रतिक्षा शब्दांवीना कळावी तुज भावना या मनाची माझे मला न कळते मी पाहते वाट कुणाची ... हा शृ'गार यौवनाचा मी जपते तुझ्याचसाठी तू समजून घे मला रे हे सारे तुझ्याचसाठी तू येताच मला कळावी चाहूल ओळखीची ... सांगू कसा तुला मी शब्दांत भाव माझा हळवी फुले जपावी हा छंद असे रे माझा मी ओळखून अाहे तुझी नजर पारखीची .... होवून स्वप्न राजा माझा येशिल तू कधीरे गंधित त्या मिठित मज घेशील तू कधीरे जीवनात मी प्रतीक्षा करते रे त्या क्षणाची .... **** शहाजीकुमार चंदनशिवे अकोला ता .सांगोला जि .सोलापूर ©Shahaji Chandanshive प्रतिक्षा
Parasram Arora
क्यो है मुझे प्रतीक्षा तुम्हारी इतनी शिद्दत से आखिर ये बात मैं क्यों समझ नही पा रहा हूं काश एक बार तुमदेख लेते मुझे पीछेमुड़कर ये बात मैं बार बार अपने दिल में तुमसे कहता रहा हूं तुम्हारे फैसलों से ही तो ये फ़ासले पैदा हुए है ये हालात कबतक रहेंगे सुनने के लिये कान लगाए बैठा हूं ज़ब भी तुम्हे देखा है हमेशा नाराज़ और उदास ही पाया है ये नाराज़गी आखिर कब दूर होगी हमेशा इसी उधेड बुन में रहता हूं आज मैं अकेला हूं कोई साथ नही साथ ह्सने के लिये आंसू ज़ब भी बह उठते है उन्ही से तसल्ली पालेता हूं ©Parasram Arora प्रतिक्षा.......
Nilam Agarwalla
जिनकी प्रतिक्षा में हमनें गुजारे जीवन के जाने कितने पल छिन। ख्याल जिनका आते ही हो जाते मन में आशाओं के दीप रोशन। खबर जिनके आने की पाते ही सूना शहर जैसे हो जाता वृंदावन। सुमधुर बंशी स्वर सुन पिया के हर्षित हो उठता मन का आंगन। दर्शन की प्यासी राधारानी को जैसे मिल जाता उसका मोहन। धानी हो जाती स्वेत चुनरिया पाकर उनका नेहमय आलिंगन। सुरभित हो जाती सांसों की गली तन-मन हो जाता चंदन चंदन। झिलमिलाते नैनों के दो तारे खिल उठता उजड़ा हृदय चमन। - निलम ©Nilam Agarwalla #“प्रतिक्षा”
Arora PR
चाँद की बारात मे आसमान के सभी तारो ने बराती बन कर शिरकत की हैँ उधर शर्मीली चांदनी बादलों को घूघट बना कर खुद को छुपाती हुई दूल्हे चाँद की बेसब्री से प्रतिक्षा कर रही हैँ ©Arora PR प्रतिक्षा