Nojoto: Largest Storytelling Platform

New मणिपुर Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about मणिपुर from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, मणिपुर.

    PopularLatestVideo

Vikesh Bagde

💔मेरी व्यथा 💔


कभी मुझे तुम देवी मानते , कभी मानते शक्ति का रूप ।

पूजी जाती हूं भगवानों सी मैं , आखिर क्या है मेरा असली प्रारूप??


कभी मानते जननी जग की ,  तो कभी मानते मुझे तुम विश्व स्वरूप ।
कभी मानते हो मुझसे ही तो जन्म - मरण है,  कभी मानते मुझसे ही भौ सागर पार ।
 कभी मानते की हूं मैं मां की ममता, तो कभी मानते मुझसे लाड- दुलार ।।

फिर क्यों हो जाती हूं मैं कभी हाथरस की असहाय बेटी,  तो कभी दिल्ली की निर्भया सा वार ।
कभी कश्मीर की अशिफा बनती ,  तो अभी हो जाती मैं मणिपुर की भीड़ का अधिकार।
गिद्ध की तरह नोंची जाती हूं ,  हर बार मैं हैवानियत का बनकर शिकार ।।

कभी मुझे तुम भ्रुण में मारते हो ,  तो करते दहेज के लिए प्रताड़ित हर बार ।

धिक्कार है ऐसे सभ्य समाज पर , जो न सुन पाएं मेरी व्यथा का सार ...
जो न सुन पाएं मेरी व्यथा का सार ।।



🙏मणिपुर की नारी शक्ति को समर्पित 🙏

कलम :- विकेश 'amrit'

©Vikesh Bagde #मणिपुर_की_नारी_शक्ति_को_समर्पित 🙏

amit bhatt

मणिपुर हिंसा और बलात्कार #मणिपुर #समाज

read more
mute video

Aditya Neerav

घटनाएं शर्मसार करती हैं
मानवता को तार-तार करती हैं
मर्यादा को लांघकर 
बर्बरता को पार करती हैं

©Aditya Neerav #मणिपुर

कलम की दुनिया

mute video

खामोशी और दस्तक

ताज्जुब नहीं करना अब
अगर इस पीढ़ी की बच्चियां 
भीड़ से डरने लगें
जहां देखें वो कोई पुरुष
हनुमान चालीसा या कलमा पढ़ने लगे
सहमी सहमी सी रहे हर पल 
अपनों को भी खुद से दूर करने लगे
ताज्जुब नहीं करना अब
अगर इस पीढ़ी की बच्चियां
उम्र से पहले 'कुछ'सवाल करने लगे
परखने लगे आंखों से हवस
ख़ुद के पर कतरने लगे
बंद करने लगे खुद को चार दिवारी में
अपने सपनों के पर कतरने लगे
खोने लगे उनकी हंसी की खनक
रुह उनकी सड़ने लगे।

©खामोशी और दस्तक #मणिपुर

करन सिंह परिहार

mute video

@YahanZazbaatBikteHai..

mute video

Rashmi rati

नामर्दों की  भीड़  है  मुर्दा समाज है
निष्ठुर हृदय संवेदना का मोहताज है

हैवानियत  को  देख  सुन  हर  नजर सवालिया है
चुप है जो अब तक भी वो मानसिक दिवालिया है 

नोच रहे थे गिद्ध उन्हें गीदड़ों के सामने
निकलकर आया नहीं जिस्म कोई ढांकने

भारतीयों का सिर क्यूँ शर्म से झुका नहीं
पूछो ये सिलसिला क्यूँ अंत तक रुका नहीं 

कैसे तुमको  नींद  आई और कैसे तुम रह  पाए 
इतनी हिंसा इतनी जुल्मत आखिर कैसे सह पाए 

ये कहाँ का सुशासन है और कैसी सुरक्षा है
अब तो यकीं हो चला कि नपुंसक व्यवस्था है

इन आँखों में लहू है और जहन में उबाल है
उस  56  इंची  सीने  से  मेरा  इक सवाल है

घर जलता देखकर क्यूँ एक पल ठहरे नहीं 
तुम चुल्लू भर पानी में  क्यूँ डूब के मरे  नहीं

©Rashmi rati #मणिपुर

Ravindra Singh

मणिपुर #Poetry

read more
mute video

Mohini Maurya

mute video
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile