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अदनासा-
अदनासा-
ranjit Kumar rathour
लगा था मेला खेलों का हर कोई खुश था उम्मीद हर किसी को थी इस बार जीत जाने की लेकिन चर्चा मेरे दर्द का मेले में आम हो गया जो भी देखता कहता ये मणिपुर की है सच कैसे बताऊं तुम्हे कुछ लेने आया था मेले में मगर मेरा आंसू नीलाम हो गया ©ranjit Kumar rathour मणिपुर के दर्द
करन सिंह परिहार
सुन कर चीखें अबलाओं की,मैं व्याकुल होकर सिहर गया। फिर हृदय कंपनों की गति का,आवेग तीव्र हो बिखर गया। यह राज भोग का महा ज्वार,कंचन महलों का विष अपार। सत्ता की गलियों का सियार , बस नोच रहा तन का शृँगार। क्या मानवता का यही सार ,जो हुई आबरू तार तार। नारी जो जीवन का अधार , कर रही धरा पर चीत्कार। लेकिन गूँगे , अंधे शासक , झूठे उद्गार दिखाते हैं। कुर्सी की लालच में बँधकर,हो मौन पलक झपकाते हैं। शकुनी के फेंके पासों से , मानवता में विष उतर गया। फिर से द्वापर का वही दृश्य,मेरी आँखों में पसर गया। सुनकर चीखें--------(1) तम् के घर में बंधक प्रकाश , हो रहा संस्कृति का विनाश। चहुँ ओर आसुरी अट्टहास , मृदु संस्कारों का नित्य ह्रास। सिंहासन का चिर भवविलास,कर रहा भूमिजा को उदास। लिप्साओं का दृढ नागपाश,गल में करता अवरुद्ध श्वास। लेकिन विधर्मियों के वंशज , तांडव का जश्न मनाते हैं। कर चीर हरण द्रोपदियों का,फिर नग्न नृत्य करवाते हैं। ऐसे कुकृत्य अपराधों से, लज्जा का घूँघट उघर गया। फिर धैर्य त्याग करके आँसू, सूखी आँखों में पजर गया। सुनकर चीखें--------(2) ****** ©करन सिंह परिहार #मणिपुर संवेदिता "सायबा" Kumar Shaurya सूर्यप्रताप सिंह चौहान (स्वतंत्र)
IC NEWS NATION
Gyan Prakash Yadav
ऐसे मंजर पर बेहिसाब रोना आया घिनौनी शाम का कब सबेरा आया नही आया सबेरा नकाबपोश आदमी का छिपा रूप आदमी का कलंकित करते सभ्य समाज को कब पहचाना किसी ने मातम में या दु:ख में ढूंढा है बस इन्ही में।। पत्थर भी पसीज जाता है पर सभी पत्थर नही कुछ पत्थर अब भी पत्थर ही रह जाते हैं घिनौने रूप से इस समाज को पुनः कलंकित करते है।। ©Gyan Prakash Yadav #walkalone मणिपुर घटना पर आधारित
करन सिंह परिहार
सुन कर चीखें अबलाओं की, मैं व्याकुल होकर सिहर गया। फिर हृदय कंपनों की गति का, आवेग तीव्र हो बिखर गया। यह राज भोग का महा ज्वार। कंचन महलों का विष अपार। सत्ता की गलियों का सियार। बस नोच रहा तन का शृँगार। क्या मानवता का यही सार। जो हुई आबरू तार तार। नारी जो जीवन का अधार, कर रही धरा पर चीत्कार, लेकिन गूँगे, अंधे शासक , झूठे उद्गार सुनाते हैं। कुर्सी की लालच में बँधकर, हो मौन पलक झपकाते हैं। शकुनी के फेंके पासों से, मानवता में विष उतर गया। फिर द्वापर का दृश्य भयावह, मेरी आँखों में पसर गया। ©Karan #मणिपुर
shayeristic sad girl(khushi)
रहम करना था मुझ पर गलती इन सब में मेरी क्या थी क्यूं बलात्कार किया मुझ पर? मैं तो तुम्हारे ही बच्ची जैसी थी फूलों जैसे सपने थे मेरे कुचला उन्हें तुम जैसे दरिंदों ने बद्दुआ लगेगी पूरी दुनिया की तुम्हें कभी खुशी ना मिले तुम्हें आशा करूंगी की आगे मेरा जन्म ही ना हो और तुम सब नाले के कीड़े की तरह अपना जीवन जी लो ©smiley मणिपुर की घटना से अभी लोग उभरे भी नहीं थे की बिहार मे फिर इंसानियत को किया गया शर्मसार 😔😞😥 #Kaarya #Rape #nojato #Nojoto #Trending #viral #s
ऋषिकेश दिवे
सुनो हमारा घर जलाने वाले, कभी तुम्हारा भी सामना आग से होगा। तुम्हारी आंखों में भी एक दिन, अश्कों का सैलाब होगा। किसी इंसान को राख करकर, मंदिर मस्जिद में रोशनी करनेवाले तोते , जरा घर के बच्चों को बताए पंछियों को उड़ने के लिए किस धरम का आसमान साबुत रहेगा? ©Speak_rushidive #WoSadak #मणिपुरहिंसा #हिंदुमुस्लिम #दंगे #नफरत_और_मोहब्बत #प्रेम
Harshit Nautiyal / हर्षित नौटियाल