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Shivkumar
White { ∆ कड़क कविता किसी को पता नहीं है, लेकिन मैं इसे साझा कर रहा हूं क्योंकि मैं इस विचार को समझता हूं.. कम शब्दों में बहुत कुछ कहा जाता है ।। ∆ } मेँ भारत देश का रहने वाला हू हाथ में हर चीज़ आयताकार होनी चाहिए....!! ये बिजली कभी नहीं बचाएगी बील लेकिन माफ़ करें...!! मै कोई पेड़ नहीं लगाऊंगा बारिश लेकिन अच्छी...!! कभी शिकायत नहीं करूंगा लेकिन कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है....!! इन नेताओ का रिश्वत के बिना काम नहीं होगा लेकिन भ्रष्टाचार को ख़त्म होना ही चाहिए...!! मैं कचरा खिड़की से बाहर फेंक दूँगा लेकिन शहर में स्वच्छता की जरूरत है....!! मैं काम पर समय व्यतीत करूंगा लेकिन हर साल एक नये वेतन आयोग की जरूरत होती है....!! जाति के नाम पर रियायत मै लूंगा लेकिन यह मेरा देश धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए...!! मैं वोट देते समय जाऊंगा लेकिन ये जातिवाद बंद होना चाहिए...!! मैं इस टैक्स भरते समय उन कमियां ढूंढूंगा लेकिन ये विकास को पुरी मजबूती से ,होना या करना चाहिए....!! ©Shivkumar #VoteForIndia #Vote #चुनाव #मतदान #Politics { ∆ कड़क कविता किसी को पता नहीं है, लेकिन मैं इसे साझा कर रहा हूं क्योंकि मैं इस #विचार को
HARSH369
आवस्यकता से अधिक इन्सान को घमन्डी बना देता है कुछ लोगो को.. वो अपने से बढ़े बुजुर्गो का आदर सम्मान भूल जाते है, वो घमन्द मे ये भूल जाते है सब यही छूट जाना है,..! आवस्यकता से अधिक दान पुन्य इन्सान को परमात्मा बना देता है, वो भूल जाते है उनका भी परिवार,रिस्तेदार,खानदान है,..! आवस्यकता से अधिक भीख इन्सान को आलसी,कमजोर बना देती है, वो भूल जाता है मेहनत करके कमाने का अपना मजा है,..! इसलिये अपनी मेहनत से कमाये का कुछ पैसा अनाथो,बेसहारो के उपकार मे लगाये..! बहुत आनन्द आयेगा..!! ©SHI.V.A 369 #आवश्यकता से अधिक
चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
एक क़लमकार को क़लम और डायरी की आवश्यकता आजीवन पड़ती है । १५/३/२००२४ , शुक्रवार , ११:५५ पूर्वाह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज एक क़लमकार को क़लम और डायरी की आवश्यकता आजीवन पड़ती है । १५/३/२००२४ , शुक्रवार , ११:५५ पूर्वाह्न,
Vikrant Rajliwal
Vikrant Rajliwal
Vikrant Rajliwal
Vikrant Rajliwal
Vikrant Rajliwal
||स्वयं लेखन||
ये मनुष्य की फितरत है शिशिर में आवश्यकता के समय उसे प्रज्वलित अग्नि में भी सुकून लगता है, यूं तो ग्रीष्म में यही अग्नि उसे रास नहीं आती। ©||स्वयं लेखन|| ये मनुष्य की फितरत है शिशिर में आवश्यकता के समय उसे प्रज्वलित अग्नि में भी सुकून लगता है, यूं तो ग्रीष्म में यही अग्नि उसे रास नहीं आती। #L
Mahira Mahen
heart समझदारी से बिज़नेस करना हो तो आप अविश्वास और संदेह को दूर रखें! बिज़नेस में सफल होने के लिए आपको इच्छाशक्ति और संघर्ष की आवश्यकता होती है! ©Mahira Mahen समझदारी से बिज़नेस करना हो तो आप अविश्वास और संदेह को दूर रखें! बिज़नेस में सफल होने के लिए आपको इच्छाशक्ति और संघर्ष की आवश्यकता होती है!