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gaTTubaba
होटों की मुस्कुराहट नकली और अंदर के दांत भी नकली और ढूंढी जा रही जुबां की असलीयत हैं ©gaTTubaba #bicycleride होटों की मुस्कुराहट नकली और अंदर के दांत भी नकली और ढूंढी जा रही जुबां की असलीयत हैं
Pawan
जय श्रीकृष्ण ©Pawan बेटे ने बाप के दांत माँ की उंगलियां तोड़ी
Vishnu Chouhan
भरोसा सब पर कीजिए लेकिन सावधानी से क्योंकि कभी-कभी खुद के दांत भी जीभ को काट लेते हैं...!! ©Vishnu Chouhan #GoldenHour भरोसा सब पर कीजिए लेकिन सावधानी से क्योंकि कभी-कभी खुद के दांत भी जीभ को काट लेते हैं...!!
Himanshu Prajapati
बड़ा मज़ा आता था खुलकर मुस्कुरा था जबसे हुआं प्यार का लफड़ा हाथ टुटा दांत टुटा दिल भी उसी कतार में हैं, फिर भी मन नहीं लगता उसके बीना अप्पून आज भी उसके प्यार में हैं..! ©Himanshu Prajapati #navratri बड़ा मज़ा आता था खुलकर मुस्कुरा था जबसे हुआं प्यार का लफड़ा हाथ टुटा दांत टुटा दिल भी उसी कतार में हैं, फिर भी मन नहीं लगता उसके ब
SK Singhania
🐞कीड़ा सिर्फ दांत में हो ये जरूरी नहीं है.! कुछ लोगों के दिमाग में भी होता है ....😂 #Skg ©SK Singhania #TiTLi 🐞कीड़ा सिर्फ दांत में हो ये जरूरी नहीं है कुछ लोगों के दिमाग में भी होता है ....😂 #SKG
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
मेरे लिए क्या अब कोई साजिश लाये हैं,ये मुझे इत्तेफाकन अपना बताने वाले//१ "शमा"तो यक़ी बातिल की सियासत पे,है ही नहीं, दांत इनके दो होते हैं,खाने और दिखाने वाले//२ ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Yaatra मेरे लिए क्या अब कोई साजिश लाये हैं,ये मुझे इत्तेफाकन अपना बताने वाले//१ "शमा"को यक़ी बातिल की सियासत पे,है ही नहीं,दांत इनके दो होत
VEER NIRVEL
बगैर दांत वाले भी उठा लेते हैं..लुफ्त इसका, ये चाय है-..मेरी जान.. इसे चबाने की जरूरत नही पड़ती.. #Chai_Lover ©VEER NIRVEL बगैर दांत वाले भी उठा लेते हैं..लुफ्त इसका, ये चाय है-..मेरी जान.. इसे चबाने की जरूरत नही पड़ती.. #Chai_Lover
Mili Saha
// कथा एकदंत गणेशा की // गणाधिपति भगवान श्री गणेश की, महिमा अनंत, चलिए जानते हैं, कैसे पड़ा था नाम इनका एकदंत, बड़ी प्रचलित और रोचक है, पौराणिक एक कथा, बुद्धि, विवेक में अग्रिम जो, है उन्हीं की यह गाथा। श्री गणेश जी को, यह एकदंत रूप मिला था, परशुराम से, शक्ति थी उनमें अपार, करते थे प्रेम भक्ति वो, शिव नाम से, परम भक्त परशुराम, भगवान शिव दर्शन के थे अभिलाषी, किंतु गहन ध्यान मुद्रा में लीन बैठे, भगवान शिव कैलाशी। पिता शिव का ध्यान भंग ना हो श्री गणेश ने ली जिम्मेदारी, वचन दिया पिता को यहीं कैलाश द्वार पर करेंगे चौकीदारी, परशुराम ने जब जताई इच्छा, भगवान शंकर से मिलने की, रोका उन्होंने इजाजत नहीं किसी को, ध्यान भंग करने की। परशुराम भी अड़ गए ज़िद पर, मिले बिना तो नहीं जाएंगे, भगवान शिव के दर्शन हेतु आज हर बाधा मार्ग से हटाएंगे, भोली भाली मीठी बातों से पहले तो श्री गणेश ने समझाया, किंतु परशुराम ने बार-बार क्रोध से, गणपति को उकसाया। करते रहे विनती श्री गणेश बार-बार, युद्ध उन्हें भाता नहीं, प्यार से सुलझाना जाने हर कार्य वो क्रोध उन्हें आता नहीं, विनम्रता से टालने की कोशिश में, परशुराम का धैर्य टूटा, भोली सूरत करके अनदेखा,उन्होंने युद्ध के लिए ललकारा। मजबूर हो गए, श्री गणेश जी, परशुराम से युद्ध करने को, कोई विकल्प ना था, अब तैयार हुए परशुराम से लड़ने को, भगवान गणेश और परशुराम में तब एक भीषण युद्ध हुआ, विफल करते गए श्री गणेश प्रत्येक वार परशुराम का दिया। ( पूरी कथा अनुशीर्षक में ) ©Mili Saha विफल होता हर वार देखकर परशुराम क्रोध वशीभूत हुए, क्रोध अग्नि में जल शिव से प्राप्त परशु का प्रयोग कर गए,