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Irfan Saeed
Suraj Gupta
HintsOfHeart.
"आप की याद आती रही रात भर'' चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर एक उम्मीद से दिल बहलता रहा, इक तमन्ना सताती रही रात भर"¹ ©HintsOfHeart. #फ़ैज़_अहमद_फ़ैज़ ने यह ग़ज़ल मशहूर शायर मख़्दूम मोहिउद्दीन की याद में लिखी थी। मोहिउद्दीन की ग़ज़ल की पहली लाइन भी यही थी "आप की याद आती रह
M.K Meet
" तेरी आंखों में ऐ सनम, हम ऐसे खो गएहै। तुझको खबर नहीं है, हम दिवाना हों गए हैं!! जादू किया है हुस्न ने,या असर है इश्क का। बिन पिए ही जाम हम, मदहोश हो गए हैं!! तेरी झील सी है आंखे, जुल्फें घनेरी शाम। आगोस में तुम्हारी हम, ख्वाबों सो गए हैं!! तुझको ख़बर नहीं....... तेरे होंठ हैं गुलाबी, और दांत मोतीयों के। तेरी खिल खिलाहटों पे,जा-निसार हो गए हैं!! तारीफ क्या करे" मीत",अपनी है क्या बिसात। जब से है देखा तुमको,क्या थे क्या हो गए हैं!! तुझको खबर नहीं है..... meet,✍️ दोस्तों मैंने अपने तसब्बुर में एक, हशीन तस्वीर बनाई और उस हशीना के तारीफ में चंद हशीन अल्फाजों का सहारा लिया।क्या मैं उस हशीन शख्सीयत की तार
Writer1
//बेहतरीन है इश्क़// आरिज़ ए जज्बात मोहब्बत के जवां हुए अरमां।। स्वपन की तुम पाकीज़ा तस्वीर जवां हुए अरमां।। कतरा ए इश्क़ में बह चले हम शबाब में।। इख्तिताम हो जाए हम ,जुदा हुए हमारे कारवां।। मुतालबा रख्त - ए - हयात उन्हीं की आरज़ू हैं।। लम्हात के तकाज़े हैं कज़्ज़ाक हुए शादमाँ।। तिरोहित हुई जिजीविषा हमारी बिन उनके।। ताकिर्कता दिल मान भी जा फरहाद हुई परेशां।। हो गई इंतिहा अब ' रोज़ी ' कब्र ए मुसलसल की।। हसरत ए दिल निहाँ से अब जज़्बात हुए बयां।। 🔴 "दोस्तों आप लोग कोल्लब (COLLAB) करने से पहले कैप्शन जरूर पढ़ लें" 🔴 " इस प्रतियोगिता का समय सीमा आज रात्रि 12:00 बजे तक ही मान्य होगा
DR. SANJU TRIPATHI
तेरी तलब (ग़ज़ल) बेस्वाद सी जिंदगी को मेरी जब से तेरे प्यार का स्वाद लग गया, पल में सारे समां के साथ साथ जिंदगी का जायका बदल गया। जीने लगे तेरे ही ख्वाबों खयालों में रात और दिन शाम-ओ-पहर, तेरे तसव्वुर के सिवा जिंदगी में कोई भी ख्वाब बाकी ना रह गया। तेरी तलब ऐसी लगी है कि मेरी सारी की सारी दुनियाँ बदल गई, हर पल हर घड़ी खुदा से दुआओं में तुझे ही मांगने दिल लग गया। कट रही थी मेरी जिंदगी तन्हाइयों में तूने शहनाइयां से सजा दी, चाहने लगे दिल-ओ-जान से ज्यादा जाने तू कैसा जादू कर गया। तेरे बिना जिंदगी जीने की "एक सोच" कभी सोच भी नहीं सकती, तेरा नाम दिल के साथ-साथ हाथों की लकीरों पर भी लिख गया। 🔴 "दोस्तों आप लोग कोल्लब (COLLAB) करने से पहले कैप्शन जरूर पढ़ लें" 🔴 " इस प्रतियोगिता का समय सीमा आज रात्रि 12:00 बजे तक ही मान्य होगा
अभिलाष सोनी
मेरी हर नज़्म में तेरा जिक्र तमाम आता है। मैं दुआ भी करूँ खुदा से तो तेरा नाम आता है। दिल, धड़कन, चाहत, हसरत क्या नाम दूँ तुझे। बिन तेरे कहाँ इस दिल को सुकूँ आराम आता है। मेरे प्यासे इन लबों पे अब एक ही पैगाम आता है। दूरी अब बर्दाश्त नहीं, चाहत का पयाम आता है। ज़ेर-ए-लब को चूमने का ख़याल तमाम आता है। लबों की लबों से दूरी का मुझपे इल्ज़ाम आता है। मैं लाख कोशिश करता हूँ, तेरे पास आने की। पर बड़ी ही मुश्किल से ये एहतमाम आता है। 🔴 "दोस्तों आप लोग कोल्लब (COLLAB) करने से पहले कैप्शन जरूर पढ़ लें" 🔴 " इस प्रतियोगिता का समय सीमा आज रात्रि 12:00 बजे तक ही मान्य होगा
Neha Pathak
तू ख़ुदा है और तू ही मेरी इबादत। तुझसे ही प्यार है तुझसे ही चाहत। तेरे सिवा कुछ ना चाहूँ मैं। तू है तो है ज़िंदगी जन्नत। तेरा हाँथ जब छु ले मेरे शीष को। एहसास हो जैसे,पा ली है मन्नत। तू बिन कहे समझ जाती है माँ। मेरे हर कष्ट हर एक तल्ख़ीयत। मेरे ख़ामोश लफ्ज़ से तू होती निराश है। लगाकर सीने से मुझे,पढ़ लेती तबियत। चाहूँ मैं छुपाना हर दर्द-ओ-ग़म तुझसे। जाने कैसे जान लेती तू मेरी ख़ल्वत। हमारे सुख के लिए भूल जाती ख़ुद को। 'नेहा' इसीलिए कहते माँ के क़दमों को ज़न्नत। 🔴 "दोस्तों आप लोग कोल्लब (COLLAB) करने से पहले कैप्शन जरूर पढ़ लें" 🔴 " इस प्रतियोगिता का समय सीमा आज रात्रि 12:00 बजे तक ही मान्य होगा
Vedantika
शाम ढलते ही मैं तेरा इंतज़ार करता हूँ होकर तन्हा इस दुनिया में इंतज़ार करता हूँ तू नहीं करीब मेरे मुद्दते गुजरती रही आहिस्ता तेरे आने की आहट से दिल बेक़रार करता हूँ आज फ़क़त क़िर्तास पर लिखा जो नाम तेरा उस क़िर्तास पर सुबह-ओ-शाम निसार करता हूँ कहता है ज़माना मुझको एक शायर भटका हुआ अपने दिल को तेरे नाम का हिसार करता हूँ जाऊँ भी तो कहाँ मैं तेरी यादों को छोड़कर तुझको मैं अपने खुदा में शुमार करता हूँ 🔴 "दोस्तों आप लोग कोल्लब (COLLAB) करने से पहले कैप्शन जरूर पढ़ लें" 🔴 " इस प्रतियोगिता का समय सीमा आज रात्रि 12:00 बजे तक ही मान्य होगा