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Shubs.007

संन्यस्त #मराठीविचार

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सौंदर्यरसात न्हाउन निघालेला मार्ग सोडून
पुष्पशुळांचा रस्ता निवडलास ना,
शुभ्या, आता वेदनाशुन्य होउन जगता आलं पाहिजे...
वेदना रडाव्या त्या श्रुंगारलेल्या पायघड्यांनी ज्यांना तुच्छ म्हणुन तु नाकारलंस...
वेदना रडाव्या त्या अमृत भरल्या ओठांनी ज्यांना शुष्क म्हनून तु धीक्कारलंस...
वेदना रडाव्या त्या यौवनाने भरगच्च नी प्रणयासाठी आसुसलेल्या आत्म्यांनी ज्यांना बाजारु म्हणून तु लाथाडलंस...

 काट्यांवर निद्राधीन होतांना वेदना होतील कदाचीत पण मउ दुलई अंगावर पांघरून निद्रादेवी प्रसन्न होईल या भ्रमात राहू नको,ती आठवांचे चाळ पायाशी बांधुन सतत तुझ्याशी खेळ मांडेल.

जग हृदय रहीत पिशाच्च म्हणून तुझ्या नावाने कोकलेल,ओरडु दे त्यांना इथपर्यंत कसा जगलास हे फक्त तुलाच ठाउक हय...

©Shubs.007 संन्यस्त

Gurudeen Verma

शीर्षक- और तो क्या ?
---------------------------------------------------------
खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #लेखक

Andy Mann

Sabir Khan

लेखक #Pehlealfaaz

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#Pehlealfaaz लिखने वाले समाज के रचयिता हैं, 

समाज लिखने वालों से ही चलता है। 

अब लिखने वाले ही स्वयं सोच लें कि

उनको समाज कैसा बनाना है। लेखक

Shikha Dubey

लेखक

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लेखक

अपने भीतर उमड़े शैलाबों में डूब कर उभरता है
तब जा कर वो कुछ लिख पाता है

देर तलक वो खुद से लड़ता है
तब जा कर वो एक मुकाम पाता है

कालिख (स्याही) से कुछ लिखता है 
तब कहीं जा कर इतिहास पन्नों पर छपता है 

शब्दों से संग्राम में कुछ चुन कर लाता है 
तब जा कर उन्हें ,कुछ तहजीब , कुछ तरीके से 
कतार में लगाता है 

फिर कतार में लगे शब्दों को पन्नों पर बिठाता है
तब कहीं जा कर वो लोगों के 
दिलों को छू पाता है लेखक

Sabir Khan

लेखक #OpenPoetry

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#OpenPoetry लिखने वाला चाहे जैसा भी हो,
 उसके लेख को पढ़ें-भाव को पढ़ें,
उसकी लेखनी की प्रशंसा करें।
आपकी प्रशंसा में वो सामर्थ्य है
 जो कि लेखक का जीवन बदलने
 के लिये काफ़ी है।
.....भावार्थ यह है कि किसी की निजी
 जिंदगी पर टिप्पणी न करते हुए
 उसके अच्छे कार्य की प्रशंसा करें,
 उसका जीवन परिवर्तन निश्चित है। लेखक

Vinit Kumar

#लेखक

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लेखक अच्छे शब्द इस्तेमाल करने से नहीं बनते बल्कि बनते है समाज की बुर्राईओं के खिलाफ आवाज उठाकर बनते हैं और जब दिल के मरीज खुद को लेखक कहते हैं तो लगता है कौन नाराज हैं समाज से लेखनी,कागज़ या ईश्वर। #लेखक

Tafizul Sambalpuri

लेखक #विचार

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नमस्कार आदाब दोस्तों

परिस्थिति, पूर्वानुमान , सामाजिक दायित्व और कल्पना के आधार पर रचनाएं प्रकाशित होती है। शब्द जो खामोश रहते समाज को नई दिशा देता है। इतिहास हो या वर्तमान या फिर दिल की दास्तां बयां करता है। इसके लिए कल्पना और प्रशिक्षण के साथ स्वछता और विनम्रता के लक्षण एक लेखक के लिए जरूरी है।

©Tafizul Sambalpuri लेखक

Parasram Arora

लेखक.....

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साहित्य क़े हरियाले  चारगाह से
चर  चर  कर
उनकी  जगाली कर
शब्दवलियो को  बंधक बना कर उन्हे
अपनी लेखनी क़े आगे समर्पन्न करा कर
एक  अदना  सा  लेखक भी
महान लेखक  बन कर  दिखा सकता हैं

©Parasram Arora लेखक.....

NONNY

लेखक।

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किसी बाग में वो फूल खिला ही नही,जिसकी सुगन्ध की सुगन्ध हो तुम

कोई कैसे न तुम पे गरूर हार दे,आखिर एक लेखक की पसन्द हो तुम लेखक।
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