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Siddharth kushwaha
यथार्थ इतना सरल है कि कल्पनाएं घर में कदम ही नही रख पा रही हैं! बारिश और शाम में इतनी सुंदरता विद्यमान है कि कविताएं लिखी..? लिखी जा रही हैं! अर्थात् स्मृति में पढ़ी जा रही हैं। ©Siddharth kushwaha #कल्पनाएं #स्मृति #यथार्थ #कविता #कानपुर
Shaikh Akhib Faimoddin
व्याख्या जीवन की क्या व्याख्या करुँ मै इस जीवन की जिसकी कोई व्याख्या ही नही हर दिशा से मिलती है मुझे विषमता क्या यही विषमता तो जीवन नही| कोई सब कुछ होकर भी रोता है तो कोई कुछ ना होके भी हसता है किसीका जीवन मधुबन तो किसीका रेगिस्तान भी नही क्या यही विषमता तो जीवन नही| जिसने सत्य को ही जीवन माना उसके किसीने छुए चरण नही जिसने किया समाज को खोकला उसके खिलाफ कोई आवाज नही क्या यही विषमता तो जीवन नही| माना जीवन सुख दुख का संघर्ष ही सही पर इसके परिणामों में समानता क्यों नही किसीको जलाया जाता है चंदन की चीता पर तो किसीको मिलता कफन भी नही क्या यही विषमता तो जीवन नही| अंत में क्या सही और क्या गलत इसका मिलता कोई जवाब नही क्योंकि हर दिशा से मिलती है मुझे विषमता क्या यही विषमता तो जीवन नही| फिर भी करना चाहता हुँ व्याख्या जीवन की जीस जीवन की कोई व्याख्या ही नही| व्याख्या जीवन की..
Dharmraj lohar
गीता में दिए कर्म के सिद्धांत की व्याख्या। कर्म का सिद्धांत दो शक्तियों के माध्यम से कार्य करता है ज्ञान और अज्ञान ज्ञानयोग से किए कर्मो का फल अच्छा और अज्ञान योग से किए कर्मो का फल बुरा होता है ज्ञान से धर्म और कर्तव्य जुड़ा होता है अज्ञान से अधर्म और अकर्तव्य जुड़ा होता ©Dharmraj lohar गीता की व्याख्या
स्मृति.... Monika
मेरी कविता -भाग -2 मेरी कविता शब्दों से अलंकृत, भावों से सुसंस्कृत कभी उत्सव का आह्लाद, कभी किसी बच्चे का संवाद कभी पूरे देश की आवाज, कभी मेरे ही मन का राज कभी भीगी पलकें, कभी माथे को चूमती अलके कभी तप्त मरुभूमि को तृप्त करती बारिश की बूँदें कभी सपनों में खोकर जैसे आँखें हो मूँदे कभी निधिवन में राधा -कृष्ण के प्रेम को दर्शाती कभी रजनीगंधा की महक बन सबके मन को हर्षाती मेरी कविता पाठक के मन में हो जाती अंकित मेरी कविता शब्दों से अलंकृत, भावों से सुसंस्कृत || #मेरी कविता -#भाग #2#स्मृति.... ✍️