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कवि: अंजान
White बहुत हुवे उदास उठ फिर जीने की आस न हो कोई पास भर लेना फिर सांस मन मे फिर उजास मंजिल पाने की आस देखना फिर रचता इतिहास यही हैं मन की शक्ति मानव की भक्ति मेरे राम का विश्वास बहुत हुवे उदास। ©कवि: अंजान #Sad_shayri #शायरी #कविता #जीवन #SAD #Love #Shayari
कवि: अंजान
White हैं यहाँ अनंत सम्भावनाएं जितना भी विस्तार हो दूर हो दुर्भावनाएं हर दिल में प्यार हो एक अहम के लिए इतना मानव रोता हैं क्यों सब कुछ हैं पास तेरे फिर भी नैन भिगोता हैं क्यों? ©कवि: अंजान #Sad_Status #शायरी #कविता #जीवन #Life #SAD #Love #Shayari
सिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्र
कवि: अंजान
White वक्त भी कहाँ ठहरता हैं किसी के लिए यहाँ कौन मरता हैं किसी के लिए सभी मोह के बंधन में ऐसे बंधे हैं 'अंजान' हकीकत हैं सामने पर जरूरी नहीं हैं किसी के लिए। ©कवि: अंजान #GoodMorning #जीवन #हकीकत #कविता #शायरी #Life #Truth #Poetry #Shayari
कवि: अंजान
Black पथ में गर बाधाएँ रोके समाज भी तुझको टोंके रुक रहें हो मिलने वाले आगे बढ़ने के मौके तब कहना खुद से आसां मंजिल भी कुछ होता हैं? मुश्किल से जो मिलता हैं कीमत उसी का होता हैं। ©कवि: अंजान #Thinking #कविता #जीवन #शायरी #Life #Struggle #Poetry #Shayari
PRADYUMNA AROTHIYA
White यह युध्द अनवरत जारी रहेगा मैं खोज लूँ किनारा तब भी बहाव तेज ही रहेगा जो तुम मुझे बनाना चाहते हो मैं अंदर से वही हूँ मगर इंसानियत की खातिर मन के किसी कोने में मैं इंसान वही हूँ तलवारें रक्त पी रही हैं यह सच है मगर बचपन की उस कहानी में चींटी का संघर्ष कम तो नहीं है... ©PRADYUMNA AROTHIYA #nightthoughts #arothiya #Life #Nojoto #Hindi #poem #कविता #जीवन
Ans Hul
गमों के दर्रों से गुजर क्यों नहीं जाते जीने की चाहत अगर नहीं तो मर क्यों नहीं जाते और जाना है उसपार तो तूफ़ान भी मिलेगा अगर मरने का उतना ही डर है तो कश्ती से उतर क्यों नहीं जाते। ©Ans Hul #againstthetide #शायरी #कविता #जीवन
Jagdish Pant
फूल देई का त्यौहार था, मैं फिर भी बैठा अकेला था । चारों तरफ़ हर्षोल्लास था, मैं अकेला बैठा निराश था । जब मैने चारों तरफ देखा , तब पता चला कि मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में बैठा अकेला उदाश था ।। ✍️ Jagdish Pant आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।