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vinni.शायर

छोटी छोटी बातों पर.... #Time #शायरी

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छोटी छोटी बातों पर
नाराज होने लगी..
वो दोस्त मेरी 
मुझसे दूर होने लगी..

अब मैं उसे ये बात कैसे समझाता..
प्यार तो मै कहीं होर भी कर लेता..
पर तू जान थी मेरी..
तू धड़कन थी मेरी..
जैसे चांद को होती जरूरत चांदनी की
तू वो चांदनी थी मेरी...

गम ए प्यार मै...
ये कैसा मोड़ आता है..
जिससे प्यार बे इंतेहा होता है
वो ही क्यूं छोड़ के जाता है..

है रब क्यूं बनाया प्यार तूने
क्यूं इतने आशिक बनाए..
क्यूं इतने गीले सिखवे
क्यूं इतने बहने बनाएं...

©vinni.shayr छोटी छोटी बातों पर....

#Time

maher singaniya

हर छोटी छोटी बात पर...

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Abdul kadir

छोटी-छोटी बातों पर रो #AzaadKalakaar #शायरी

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Miss Kamlani

चीज़ें छोटी खुशी बड़ी। खुशी जीवन विचार बाग बगीचे फूल टहेनीयां trees branches

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sarika

जाने जिगर  कवि भले हीं
उम्मीद छोड़ दे
पर उम्मीद नहीं छोड़ती
उसकी कविताएँ कभी

©sarika
  #कविताएँ

Meena Choudhary

🌸"हो गये ना चुप"🌸

✨जब मैं हूं,
तो तुम भी हो,
 "मैं" नहीं होता अगर,
 तो तुम भी कहां रह पाते,
 मैं कहता हूं 
"मैं" 
और तुम भी कह देते हो 
"तुम" 
ये अहम ही तो
जड़ है ,
झूठा है ,
जो दुनिया ने सिखा दिया 
'ये हो तुम'
 मानता ही नहीं मैं, 
अब कि मैं हूं भी,
अब तो जो है 
वो है 
🌻अडिग ,आसमान -सा 🌻
वहीं है अब सदा के लिए ,
 इस "मैं"
 की औकात है ही क्या ?
इसे तो मिटना ही होगा, 
बचाने निकलेगा खुद को,
" मैं " ही इसे नष्ट कर देगा 
तो बात ये ही है
 जब मैं हूं,
 तो तुम भी हो,
 मैं नहीं होता अगर ,
तो तुम भी कहां रह पाते
 हा हा 😀😀
हो गए ना एक💫
 बोलो हो गए ना चुप 🤐
यही वह पुल है 💫
जो जोड़ता💫 है हमें
 इसे ❤️ प्रेम कहते हैं।

©Meena Choudhary #कविताएँ

Karan Anuragi

छोटी छोटी बातों पर रोसकता हूँ मैं #शायरी

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Gurudeen Verma

कविताएँ 

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Black शीर्षक - तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की सफलता के पीछे
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चर्मण्वती के तट पर, 
तू  बसा है जिस तरह,
अंकित है तेरा भी नाम,
1857 के गदर में।

और राष्ट्र के हर हृदय में,
मौजूद है तू भी,
एक छोटे कानपुर के नाम से।

शैक्षणिक नगरी के नाम से,
तू महशूर है हर किसी की जुबां पर,
बसा है तू मेरे भी आत्मा में भी,
एक असीम सुख की तरह।

 यह मेरा जो अस्तित्व है आज,
और पहुंचा हूँ जिस मुकाम पर आज,
जन्मा है मेरे अन्दर जो कवि,
उसका जन्मदाता तू ही है,
उसका पोषक तू ही है।

जब कभी भी आता हूँ मैं,
तेरी इस धरती पर,
नाचने लगता है मेरा मन,
और निकल पड़ते हैं लबों से तरानें।

जिस तरह होती है एक स्त्री की छाया,
एक सफल पुरुष की सफलता के पीछे,
उसी तरह तेरा ही हाथ है कोटा,
मेरे जीवन की सफलता के पीछे।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- कोटा(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #कविताएँ 

Vivek

# कविताएँ

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sarika

आसमान में
लिख दी हैं मैंने
तुमसे जुड़ी 
तमाम कविताएँ
ताकि मेरे
ईश्वर के साथ- साथ
इस जहाँ का ईश्वर भी
पढ़ सकें वो सभी कविताएँ

©sarika #कविताएँ
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