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BANDHETIYA OFFICIAL
आम सात दिन ही काफी है, अभिमन्यु जैसे आदमी को पछाड़ने-मारने को, उसपे ये सात दिन सप्ताह वेलनटाइन के , सात रंग के सपने दिखा, सात सरगम सुना, मारने-पछाड़ने को नहीं, हड़प जाने को, कैदी बनाने को, कब्जे में दबाने को, पर्याप्त ही नहीं, प्रचुर हैं मिटाने को । हैप्पी काहे का VALENTINE DAY ©BANDHETIYA OFFICIAL सावधान हफ्ता वसूली है ! जान मांगे हैं वेलेंटाइन विक !🤣🤣 #roseday
Dr Jayanti Pandey
जिन लोगों की मोहब्बत कुछ दिनों की मेहमान है उन्हीं लोगों का बनाया हुआ यह सारा तामझाम है, ज्यादा से ज्यादा व्यापारिक फायदे का इंतजाम है यूज़ एंड थ्रो संस्कृति में ऐसे दिनों का ऊंचा नाम है, प्रेम एक इबादत है,दैहिक मीमांसा का खेल नहीं है तप है,समर्पण है रुह का,चार दिनों का मेल नहीं है यहां तो रिश्ते भी जन्म- जन्मांतर के सिलसिले हैं किसी जन्म के उधार चुकाने, इस जन्म में मिले हैं, ये वैलेंटाइन का हफ्ता , हफ्ता वसूली सा लगता है। कभी ये दे, कभी वो दे, कभी हां कर, कभी न कर। अजीब ही बवा हो गया है। हमारे यहां तो कहते हैं कि
जोकर
की काश तुम भी वो हफ्ते के रविवार सी होती। जिसके आने का इंतजार पूरे हफ्ते होता। और जाने का ग़म सोमवार की सुबह होता। #हफ्ता#रविवार
Prince Sahu G motive
एक हफ्ते की कीमत उससे पूछो जो पूरा हफ्ता हॉस्पिटल में रहा हूं ©Prince Sahu G motive एक हफ्ता की कीमत...!
Swechha S
उसने उसे पीछे से बाहों में भरकर, लाड़ में पूछा "अब कब मिलेंगे" बिना दोहरी सोच के उसने भी कह दिया "अगले हफ्ते" "अगले हफ्ते में बहुत समय है अभी" वो आवाज़ धीमी करके बोली। "सिर्फ पांच दिन है, यूं ही निकल जायेंगे" उसने उस ज़िद्दी लड़की को समझाया। वो ठीक करके बोली "पांच दिन नहीं, पूरे 120 घंटे है जनाब" ख़ैर, उसने कहा और हर बार की तरह उसने मान लिया। उस पगली लड़की ने भी सारा हफ्ता यानी 120 घंटे इंतज़ार किया। वो मिले, जरूर मिले, बस वक्त, हालत और वजह बहुत अलग थी। वो आया - उसने अपनी ओझिल होती हुई आंखें, घटती सांसों में उसका नाम लिया "........" पर वो कुछ सुन नहीं पाया, वो कुछ कह नहीं पाई। वो आया जरूर, अगले हफ्ते जैसे कि उसने कहा था, पर उससे मिलने को 120 घंटे इंतजार कर रही वो पगली लड़की एक काले अंधकार में जा चुकी थी। ©Swechha S "अगला हफ्ता" 💌 #8May #Tum
Praveen Jain "पल्लव"
#WorldHealthDay पल्लव की डायरी बीमारियों में अब नब्ज कौन टटोलता है मौसमी बीमारियी में,मर्ज कौन देखता है जाँच के नाम पर,जेब ढ़ीला करता है दो चार खुराखो में,आराम किसे मिलता है जद मै आ चुकी पूरी आबादी कराहकर शिकार हो रही है करोड़ो में डिग्रियां लेकर भरपाई आई सी यू वा वेंटीलेटर पर रखकर हो रही है मुर्दों की देखभाल में,तार तार इंसानियत हो रही है गाइडलाइन सरकारी,सहमति में सरकार भी शामिल हो रही है सिसकती जनता,मौत का शिकार हो रही है चंगुल में फंसाकर, दुकानदारी बीमारियो की हो रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #worldhealthday जांच के नाम पर,वसूली हो रही है