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Anurag Vishwakarma

Holi घर में सबसे बड़ा बेटा मैं हूं इसलिए होली दीपावली इत्यादि त्योहार घर में नहीं जा पाता हूं। हैप्पी होली Love Trending

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@hardik Mahajan

"मैं बहुत ही मस्तीखोर और आज़ाद पंछी के जैसा और एक आज़ाद किस्म का एक लड़का था, मुझे हमेशा दुनिया को दुनिया को देखना, ओर उस दुनिया में रहकर अप

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"मैं बहुत ही मस्तीखोर और आज़ाद पंछी के जैसा और एक आज़ाद किस्म का एक लड़का था, मुझे हमेशा दुनिया को दुनिया को देखना, ओर उस दुनिया में रहकर अपनी मौज मस्ती में घूमना फिरना पसंद करता था"!

"मुझे यह सब करना बहुत पसंद आता था, एक दिन इन्हीं ख्यालों में गुम होता हुआ, मैं कहीं और निकल गया, मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि मुझे कहां तक और चलते जाना हैं"!

और जब-जब मैं जैसे नींद से जागता रहा, जब मैं खुली सड़कों पर खुद को पाया और डरकर मैं घबराने लगा, मुझे भूख लगी आस-पास मेरे कुछ भी नहीं दिख रहा था।

और तब मुझे अपनी मां की याद आई,और उनका प्रेम याद आया, और लगा की मां तो मां होती है, हम बच्चों की जान होती हैं, अपने हाथों से खाना खिलाती, और मुझे प्यार से जबरदस्ती दो रोटी और खिलाती, और बस फिर क्या था,

मैं सब कुछ छोड़ भागता हुआ घर आ जाता, और मां को देखकर मां से लिपट जाता, और बोलता की मां....मां.... मुझे आज तुम अपने हाथों से दो रोटी और ज्यादा खिला दो,

पर मां कुछ समझ ही नहीं पाती थी, पर मैं सब कुछ समझ गया था, कि घर छोड़ना इतना आसान नहीं होता, इसका पता तब चलता है, जब हम घर से बाहर निकलते हैं, ओर जब किसी त्यौहार में जैसे-होली, रक्षाबंधन, दशहरा, दीपावली, पर खाने-पीने के लिए एक-एक, दाना-पानी, के लिए हम तरसते थे।

और कोई भी हमारे पास हमारी मदद करने नहीं आता था, और यही बात उस दिन मुझे समझ आ गई, और मैं तब सोच लिया था, कि नहीं आज से मैं घर में ही रहूंगा, और साथ अपने माता-पिता के साथ ही रहूंगा, और उनके साथ ही रहकर अपनी उड़ान को नहीं भरूंगा, लेकिन एक उड़ते पंछी की तरह सोच रखूंगा, और जमीं पर रहकर ख़ुद पर भरोसा रखूंगा।

और तब से मैंने लिखना-पढ़ना शुरू किया, और लिखते-पढ़ते आज मेरी ना जाने कितनी ही किताबें छप गई, और जो मैं छोटा "हार्दिक" था,  आज बड़ा "हार्दिक महाजन" बन गया,

 तो मैं सभी से यही कहना चाहूंगा की एक बार घर छोड़ने से पहले सबकुछ अच्छे से सोच समझ फैसला लीजिए, फिर तब आप बाहर जाइए ऐसा नहीं है, लेकिन आप अपने परिवार के साथ रहकर ऐसा कभी फैसला न करें।

✍️✍️हार्दिक महाजन

©@छोटा लेखक हार्दिक महाजन "मैं बहुत ही मस्तीखोर और आज़ाद पंछी के जैसा और एक आज़ाद किस्म का एक लड़का था, मुझे हमेशा दुनिया को दुनिया को देखना, ओर उस दुनिया में रहकर अप

Amit Singhal "Aseemit"

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Ravishankar Nishad

दीपावली में लक्ष्मी पूजा का लिया यादव भाई नाचा बजा के साथ मस्त डांस किया #समाज

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अभिषेक योगी (alfaaz_बावरे)

22जनवरी दीपावली पूजन #समाज

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Nitu Singh जज़्बातदिलके

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कवि: अंजान

blindinglights राम अयोध्या जयश्रीराम दीपावली शायरी कविता Hindi Shayari Life

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Am

भगवान जब 14 साल बाद आये थे तो हमने 🪔दीपावली 🪔बनाई थी आज तो भगवान 500 साल बाद पधारे हैं तो 🪔दीपावली को महा🪔 दीपावली बनायें जय-जय श्री राम🪔🪔🪔🚩 #समाज

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Rashmi Vats

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Vikas Sahni

#तिल_का_त्योहार_तथा_तुम लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा पुनः त्योहार-ए-दीपावली। गुड़, मुरमुरे, दह #कविता

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Makar Sankranti Messages  
लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा 
यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा
पुनः त्योहार-ए-दीपावली।
गुड़, मुरमुरे, दही, मूँगफली,
तिल तथा चिपटे चावल 
खाने के बावजूद मन है विकल
क्योंकि इक गीत बनाने को,
संगीत सजाने को
जिसका इंतज़ार है,
वही नहीं है,
क्योंकि किसी की
रचना को रिकॉर्ड
करते-करते
मुख दुख गया 
फिर भी गायन गज़ब न हो सका,
काव्य रब न हो सका
क्योंकि काव्य रब होता तो,
क्योंकि काव्य सब होता हो
मैं अब तक न रुका होता
मैं वो हो चुका होता,
जो होना है मुझे
हमेशा के लिए।
                                 ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #तिल_का_त्योहार_तथा_तुम
लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा 
यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा
पुनः त्योहार-ए-दीपावली।
गुड़, मुरमुरे, दह
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