Find the Latest Status about पाथेय श्राद्ध from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, पाथेय श्राद्ध.
Parasram Arora
अभी अभी अच्छादित हुआ है एक स्नेह और प्रेम का मेघ मेरे अंतर के आकाश पर जो मेरी डीली देह मे लहू की धार जो जीवंत कर गया है मेरी उठती गिरती साँसो कि गति मे आशाजनक पाथेय दे गया है ©Parasram Arora पाथेय
पाथेय #कविता
read moreArora PR
जिस पिंजरे को. मेरे लिये चुना गया था काफ़ी आकर्षक था किन्तु जिस पिंजरे मे मुझे कैद किया जाना था उसके लिए जो पाथेय (दाना ) फैका गया था वो निहायत ही घटिआ किस्म का था ©Arora PR पाथेय
पाथेय #कविता
read moreParasram Arora
ख़ुशनसीब होते है वो, जिन्होंने जिन्दगी रहते प्रेम का आध्यातम समझ लिया हैँ क्योकि प्रेम बहुत बड़ी इंटेंस फीलिंग हैँ..... प्रेम ही जीवन का शीर्षक हैँ .. प्रेम जीवन की सर्वाधिक मह्त्वपूर्ण घटना हैँ....... प्रेम तो हमारे भीतर उठी आनद की उर्मी हैँ खुशनसीब हैँ वो जिसने जीवन रहते. प्रेम को पा लिया औऱ जिसने जीवन में प्रेम का प्रतिदान देना सीख लिया प्रेम का पाथेय...
प्रेम का पाथेय...
read moreAjay Sharma
अब जब कभी मैं तुम्हें याद करता हूँ- अश्रु-जल से ही तुम्हारा श्राद्ध करता हूँ.....// #श्राद्ध
पूनम पाठक
कौवे कुत्ते और भिखारी को खीर पूरी का भोग अवश्य खिलाएं। परंतु अपने पितरों की तृप्ति के लिए उनके जीते जी ही उन्हें भरपेट भोजन और सम्मान दें। यकीन जानिए वे कौवा बनकर आपका भोजन ग्रहण करने नही आने वाले...🙏 तज़ुर्बे ज़िंदगी के ©पूनम पाठक #श्राद्ध
Metro Agency Online Holsel Shop
पूणिमा श्राद्ध ©Savita Patel पूणिमा श्राद्ध
पूणिमा श्राद्ध #समाज
read moreAnita Agarwal
जीते जी परवाह नहीं, दुख जाने के बाद कैसा! नहीं मान सम्मान बडों का, घर है वो आबाद कैसा! घुटन अकेलापन ही पाया, जब अपनों के साथ मे रहकर। चले गए तो लोक दिखावा, कैसी श्रधा श्राद्ध कैसा? ©Anita Agarwal श्राद्ध #SunSet
श्राद्ध #SunSet
read moreHP
पितृ श्राद्ध राजा सगर के सौ पुत्र अपने दुष्कर्मों के कारण कपिल मुनि के कोप भाजन होकर जलकर भस्म हो गये और पाप परिणाम से नरक की दुखद यंत्रणाएं सहने लगे। इन सौ नरकगामी राजकुमारों के भाई अंशुमान राजगद्दी पर बैठें पर वे सदैव इस चिंता में जलते रहे कि किस प्रकार अपने भाइयों का उद्धार करें। अंशुमान के पुत्र दिलीप भी अपने पितृ ऋण को भुला न सका। उसने पितरों के उद्धार के निमित्त घोर तपस्या की पर सफल मनोरथ न हो सका। दिलीप का पुत्र भागीरथ भी चुप न बैठा, पुरखों का उद्धार करना, उनके किये हुये पाप का प्रतिशोध करना आवश्यक था। अपने पूर्वजों की कलंक कालिमा को धोये बिना कोई सपूत कैसे चैन पा सकता है। बताया गया कि सगर के सौ पुत्रों ने पृथ्वी पर जो पाप का बीज बोया है इसका कलंक तब छूट सकता है जब इस संसार पर भगवती गंगा जी लाई जायें। जिनके शीतल जल से उजाड़ खण्ड हरे हो जायें और प्यासे प्राणियों के सूखे कंठों को शीतलता प्राप्त हो। अभाव की पूर्ति का यही उपाय है कि जितनी हानि पूर्व काल में हो चुकी है उतना ही लाभ पहुँचा दिया जाय। पितरों के उद्धार का यही रास्ता है कि उनसे दुनिया का जो उपकार बन पड़ा हो वह सब पाई पाई चुका दिया जाये। भागीरथ के हृदय में सच्चा पितृ प्रेम था, वे पितरों का श्राद्ध करके उनकी परलोकस्य आत्माओं को शान्ति लाभ करना चाहते थे इसलिए सुख वैभव छोड़कर शक्ति सम्पादनार्थ वे घोर तप करने लगे। तप में, संयम में, एकाग्रता में, लगन में, शक्ति का सारा केन्द्र छिपा हुआ है। यह भागीरथ ने जाना और एक महान कार्य को पूरा करने की तैयारी के लिये तप में प्रवृत्त हो गये। तप के बाद उनका पौरुष जागा और वे देवताओं की सहायता से भू-मण्डल पर गंगा जी को ले आये। गंगा जी के आने से संसार का बड़ा उपकार हुआ। सगर सुतों द्वारा दुनिया में जितना अधर्म हुआ था उससे अधिक भागीरथ का धर्म हुआ। पितामहों के दुष्कर्म का परिमार्जन पौत्र के कार्यों द्वारा हो गया। पितरों की आत्माओं को स्वर्ग में शान्ति मिली, उनकी आन्तरिक जलन बन्द हो गई, कुम्भी पाक ही - आत्मवेदना की -कोठरी में घुटता हुआ जी सुस्थिरता अनुभव करने लगा। सच्चे पिंडोदक पाकर पितरों की आत्मायें आशीर्वाद देने लगी। पूर्वजों की भूलों के परिणाम आज हमारा देश शैतान द्वारा पद दलित हो रहा है, पितृओं के कुविचारों के कारण हमारे समाज में नाना प्रकार के भ्रम पाखण्ड घुस पड़े हैं। जिनके पाप से आज हमारी जाति असंख्य कष्ट कठिनाइयों का अनुभव कर रही है। परलोकस्य पितृ अपनी संतति की ओर दृष्टि लगाये बैठे हैं कि कोई भागीरथ उपजे और देश जाति में सुव्यवस्था उत्पन्न करके हमें पिण्डोंदर प्रदान करे। चिन्ह पूजा करने वाले गोबर गणेश तो बहुत हैं पर सच्चा श्राद्ध करके पितृओं की अन्तरात्मा को शान्ति देने वाले भागीरथ दिखाई नहीं पड़ते। पितृ श्राद्ध
पितृ श्राद्ध
read more