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ANIL KUMAR
कोई हजार गुना बेहतर क्यों न हो लेकिन मुझे फिर भी तुम चाहिए ©ANIL KUMAR तुम चाहिए
तुम चाहिए #Love
read morei_m_charlie...
White हम बच्चे ही अच्छे थे यार, बड़े होकर कुछ नही मिला बस गम के सागर मिले और खुशियां तो ना के बराबर ही मिली। ©i_m_charlie... #fathers_day अब कुछ नही चाहिए बस बचपन वापस चाहिए।
#fathers_day अब कुछ नही चाहिए बस बचपन वापस चाहिए। #SAD
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White रोटी दो जून की, दाल चार जून की, रोटी दो जून की नहीं मिली है, नहीं मिलेगी, दाल चार जून की नहीं गलेगी, नहीं गलेगी । जनता जनार्दन दो धड़ों में बंटे सर -धड़ , राहु -केतु , ढइया -साढ़ेसाती , शिखर -जड़ , सिंहासन बत्तीसी, बेताल पचीसी, अबतक की कथा कहां तक,कबतक बाकी चलेगी? जनमत से जनमत हारे , जीते, बराबर, हार,जीत, कुबूल करे, झुका हो उभय सर, पर दिखता प्रतिशोध रहा है,शोध क्यूं गतिविधि लेगी? ©BANDHETIYA OFFICIAL #सुधार होना चाहिए।
Dr.Javed khan
White ग़ज़ल(तस्कीन ए दिल) तस्कीन ए दिल का इंतजाम करे कोई, आज फिर बदनाम सर ए आम करे कोई। गम ए दिल में अब नहीं कोई पैगाम, वो आ गए सर ए बाम क्लाम करे कोई। दिल से जाती रही हर ख्वाहीस ए नाम, बीती हर शाम अपने नाम करे कोई। आखिर लब पे आ ही गया वो नाम, किस्सा हुआ तमाम दुआ सलाम करे कोई अब इस दिल को नही ज़रा भी आराम, ढल चुकी शाम इंतजाम ए जाम करे कोई। ©Dr.Javed khan #शायरी #Shayari #हिंदी #hindi #ग़ज़ल #ghazal
शायरी Shayari हिंदी hindi ग़ज़ल ghazal
read moreJashvant
White दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले हम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले हम तरसते ही तरसते ही तरसते ही रहे वो फ़लाने से फ़लाने से फ़लाने से मिले ख़ुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आज हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले कभी लिखवाने गए ख़त कभी पढ़वाने गए हम हसीनों से इसी हीले बहाने से मिले इक नया ज़ख़्म मिला एक नई उम्र मिली जब किसी शहर में कुछ यार पुराने से मिले एक हम ही नहीं फिरते हैं लिए क़िस्सा-ए-ग़म उन के ख़ामोश लबों पर भी फ़साने से मिले कैसे मानें कि उन्हें भूल गया तू ऐ 'कैफ़' उन के ख़त आज हमें तेरे सिरहाने से मिले ©Jashvant ग़ज़ल ( माँ )
ग़ज़ल ( माँ ) #Life
read moreK L MAHOBIA
White लगी आग घर में उसे तो बुझा दो। बुझा दीप घर का उसे तो जला दो। कहां से चले थे कहां आ गए हम जगे तम कहर की खबर को छुपा दो। जहां में भले की करो बात हर-दिन इसी से जहां से , बुरे को मिटा दो। खुशी है जहां में न शिकवा शिकायत भली ज़िन्दगी है जहां फिर निभा दो। सज़ा क्या लिखा है उसे तुम मुझे भी लिखी तो नहीं है किसी को वफ़ा दो। मिटा जिंदगी इश्क में आदमी है। उसी आदमी का मुझे तुम पता दो। दवा से बड़ी चीज हमको मिली है। मिटे रोग उसका कि ऐसी दवा दो। ✍️ के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #ग़ज़ल - के एल महोबिया