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Parasram Arora
White मेरी बेखुदी मे भटकता रहा मेरा खुदा न जाने कहा कहा मै उसे खोजता रहा सबज़ बगिचो मे लेकिन . मुझे वो दिखा बंजर रेगिस्तान के उजड़े हुए बिहदो मे r ©Parasram Arora मेरी बेखुदी मे
मेरी बेखुदी मे
read moreSarvesh kumar kashyap
ranjit Kumar rathour
कितना सही कितना गलत इसका हिसाब क्या करना आज के आज़ जीना कल को क्यों मरना जो अतीत को झाकूंगा तो रोना आएगा भविष्य कि सोचूँ तो और भी डराएगा वर्तमान थोड़ा ख़ुशी देता उसे क्यों न संभालू इसीलिए आज़ मे जी रहा हुँ हा थोड़ा थोड़ा ही सही दिल ने दी इज़ाज़त तो हल्का हल्का सा जाम किसी के नाम का उसके हा उसके लबों से आहिस्ता आहिस्ता पी रहा हुँ हा पी रहा हुँ अच्छा है आज़ मे जी रहा हुँ ©ranjit Kumar rathour आज़ मे जी रहा हुँ
आज़ मे जी रहा हुँ
read moreranjit Kumar rathour
सर्द मौसम मे भी एक गरमाहट सी है जो बाऱ बार एहसास कराती है कि कोई है जो तुम्हे यादो का लिहाफ ओढ़े याद कर रहा है और फिर लगता कि शायद वो यही कही पास ही है मेरे करीब और करीब हा बिल्कुल करीब ©ranjit Kumar rathour और करीब सर्द मौसम मे
और करीब सर्द मौसम मे
read moregauranshi chauhan
Unsplash Day - 438 तेरे कदमो के निशा हमेशा मेरे कदमो के साथ है, मै इस दुनियाँ मे रहु या ना मेरे बाबा तो हमेशा मेरे पास है। ✨✨🙆♀️🧿✨✨ सुकून मेरी पंक्तियाँ 😊✍️.. ©gauranshi chauhan #lovelife Day - 438 तेरे कदमो के निशा हमेशा मेरे कदमो के साथ है, मै इस दुनियाँ मे रहु या ना मेरे बाबा तो हमेशा मेरे पास है। ✨✨🙆♀️🧿✨✨ सुकून
#lovelife Day - 438 तेरे कदमो के निशा हमेशा मेरे कदमो के साथ है, मै इस दुनियाँ मे रहु या ना मेरे बाबा तो हमेशा मेरे पास है। ✨✨🙆♀️🧿✨✨ सुकून
read moreParasram Arora
Unsplash जीवंन के विकास क्रम. मे आचरण की शिथिलता स्पष्ट नजर आ रहीं हैँ संवेदनाओं के स्तर धीरे धीरे शून्यता की तरफ अग्रसर होते दिख रहेहैँ और बुलंदियों की सुदौल आकृति भी लड़खड़ाती हुई दिख रहीं हैँ ©Parasram Arora जिवंन के विकास क्रम मे
जिवंन के विकास क्रम मे
read moreseema patidar
White फिर एक दिन ........ आजाद कर दिया मैने वो पंछी...... जिसमे कभी ....... जान बसती थी मेरी ....... ©seema patidar खोया है तुझे,तुझे ही पाने के लिए
खोया है तुझे,तुझे ही पाने के लिए
read moreRAMLALIT NIRALA
एक माँ के दो लाल दोनो का प्यार निराला है दूनिया के रित अजिब है यारो जब हो रहा बटवारा है। मन मोह के जाल में फंस के आखो पे पट्टी छाई है बचपन कि बाते भुल गया अब देखो घर ये कैसी आई है ©RAMLALIT NIRALA भाई भाई मे बटवारा
भाई भाई मे बटवारा
read moreRAMLALIT NIRALA
एक माँ के दो लाल दोनो का प्यार निराला है दूनिया के रित अजिब है यारो जब हो रहा बटवारा है। मन मोह के जाल में फंस के आखो पे पट्टी छाई है बचपन कि बाते भुल गया अब देखो घर ये कैसी आई है ©RAMLALIT NIRALA भाई भाई मे बटवारा
भाई भाई मे बटवारा
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