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viJAY
चन्द कदमों का है फ़ासला, पर वो दूर बहुत है, दरमियानी अँधेरे में कम्बख़्त नूर बहुत है, मेरे दिल की तलाश में निकलने की ज़रूरत नहीं तुम्हें, जिसके पास है दिल मेरा, वो मशहूर बहुत है। ©viJAY दरमियानी - बीच का #like #share #comment #follow #love #shayari #vijaywrites #hindishayari #sadshayari #sadness
motivational writter Surendra kumar bharti
रात से रिश्ता ना रक्खो ये बस डराता है समझों उजाले की कीमत जो हर पल साथ निभाता है रात टिमटिमाते तारों से देता धोखा है अरे समझों उजाले की कीमत जो खुद को बनाने का हर पल देता मौका है यूं तो अंधेरा भी बड़ा हसीन है कभी कभी अंधेरा भी उजाले से खूबसूरत लगता है लेकिन जब होती है उजाले की एंट्री तो अंधेरा भी डूब जाता है ©Surendra kumar bharti रात#रात
Bharat Bhushan pathak
रात फिर चाँदनी में भरमाया रहा। ©Bharat Bhushan pathak #रात#रातें#रात
KK क्षत्राणी
क्यु रात मे ही हमे सपने याद आते हैं तारो की तरफ देख कर अपने याद आते हैं जिंदगी रोशनी मे कहा जाती है दिन मे अपने चहरे छुपाय जाते हैं ©KK क्षत्राणी रात बड़ी रात
DR. LAVKESH GANDHI
वो रात क्या वो रात थी क्या वो बात थी रात कट जाती थी बात ख़त्म नहीं होती मगर अब तो सारी रात कट जाती है कोई बात नहीं होती वो रात # बात # रात #
Arora PR
मेरी तो हर रात रात क़ी तरह और हर दिन. भी रात क़ी तरह गुज़र जाता हैँ पता हीं नहीं लगता कब दिन निकला कब धूप निकली थीं.और कब सांझ को झील पर खूबसूरती उत्तरी थीं ©Arora PR रात रात क़ी तरह
दीप बोधि
सूर्य की लालिमा जा चूकी थी। रात की कालिमा छा चूकी थी। घनघोर तिमिर छाया हुआ था। पक्षी अपने आशियाने में थे। कुत्ते भौंक रहे थे,पहरा दे रहे थे। मै गहरी नींद में सोया हुआ था। सपने में बातें कर रहा था रात से। पूछ रहा था उसकी कहानी रात से। बोली-मैं आती हूं आलोक भाग जाता है। चारों और मेरा ही साया छा जाता है। मैं विवश हूं नहीं मिल पाती दिन से। लोगों को काम से आराम दिलाती दिन से। रवि,होता मेरे अधीन कुछ नहीं कर पाता। विश्व!पर मेरा ही शासन चलता। चंद्रमा मेरे पीछे पीछे है आता। अपनी दूधिया रोशनी में मुझे नहलाता। मै खो जाती हूं,उसकी चांदनी के साथ। मुझे निहारते तुम चांदनी के साथ। सोचते रहते न जाने क्या! तुम अपनी यादों के साथ। फिर मै, मजबूर हो जाती हू जाने को। अपनी अगली कहानी गढ़ने को। सोचती हूं,थकी हूं,अब आराम करूं। मस्टर का रात में बोलना। बच्चे की शिशकियों का मूंह खोलना। अब रूकूं ना चली जाऊं,बेचारे दिन को आजाद करू। मेरा अहसान मानो, तुमको दिलाती हूं चैन। फिर भी लोग डरते हैं हाय!क्या!है ये रैन। मै डराती हूं,सूलाती हूं,जगाती हू। जब नींद नहीं आती,रात आ जाती है। ले जाती है छत पर टिमटिमाते तारों की सैर कराती है। ©Kumar Deep Bodhi #रात "रात की कहानी
Manish Sarita(माँ )Kumar
सांझ तो ढल गई जैसे तैसे अब रात कैसे बसर होगी या तो लोटेगा बैरंग चांद या कल की सुर्खी में यही ख़बर होगी ©Manish Sarita(माँ )Kumar रात 😊 😊
Manish Sarita(माँ )Kumar
दुख में कहीं गहरे में गहराती हैं रातें सुख में तो यूं ही गुजर जाती हैं रातें ©Manish Sarita(माँ )Kumar गहरी रात