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Prakash writer05
बक्शीश मत दे मुझे चंद मुलाकातों' की,, गर इश्क़ है तो हर लम्हा मेरे नाम कर!! और किस्तों मे इश्क़ मुझसे ना कर,, गर इश्क़ है तो सरेआम कर.....!!!! ©Prakash kumar Saroj बक्शीश मत दे मुझे चंद मुलाकातों' की,, गर इश्क़ है तो हर लम्हा मेरे नाम कर!! और किस्तों मे इश्क़ मुझसे ना कर,, गर इश्क़ है तो सरेआम कर.....!!
Mohd Hasnain
अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो, मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो, मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना !! मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो!! जुमा अलविदा सबको मुबारक हो सबको उदास करके रमजान जा रहा है सब पर लूटा के अपना फैजान जा रहा है भेजा था जो खुदा ने वह मेहमान जा रहा है आया था घ
Mohd Hasnain
सबको उदास करके रमजान जा रहा है सब पर लूटा के अपना फैजान जा रहा है भेजा था जो खुदा ने वह मेहमान जा रहा है आया था घर हमारे गुनाहों की बक्शीश कराने देखो हमारी बख्शीश करा कर रब का मेहमान जा रहा है जुमा अलविदा सबको मुबारक हो सबको उदास करके रमजान जा रहा है सब पर लूटा के अपना फैजान जा रहा है भेजा था जो खुदा ने वह मेहमान जा रहा है आया था घ
Mohammad Arif (WordsOfArif)
जो मेरे नबी से नहीं करते है प्यार बताओ उनका कैसे होगा बेड़ा पार उनको देखो जो नबी को बसर कहते है नमाज पढ़ते है नबी को अपने जैसा कहते है कितने जालिम है कैसे होगा बक्शीश यार दिल मिल भी गया तो लहज़े नहीं मिलते है गले लग भी गए मगर वो साथ नहीं मिलते है समन्दर में अब उनका कैसे होगा कश्ती पार ज़ालिम के साथ वो इश्क मुहब्बत बहुत करते है नबी के गुलामों पर वो जुल्म बार बार करते है नबी को नहीं मानते तो कैसे करेंगे पुल्सेरात पार नफ़रत और जुल्म करने वालों के साथ चलते है नबी के बताएं हुए रास्ते पर वो नहीं चलते है आखिरत में कैसे होगा बताओं उनका नईया पार दौलत के नशे में चूर लोगों से बद्सलूकि करते है कितने ऐसे है यहां रातों में बिना कुछ सोए रहते है ऐसे दौलत का अम्बार क्या होगा इतना यार जो मेरे नबी से नहीं करते है प्यार बताओ उनका कैसे होगा बेड़ा पार उनको देखो जो नबी को बसर कहते है नमाज पढ़ते है नबी को अपने जैसा कहते है कितन
Vishal Bangotra
🌹🌹Father's day special 🌹🌹 मेरे लफ्ज़ बहुत छोटे हैं, उस की गाथा अपरंपार है, मेरी सोच बहुत छोटी है, उसकी मोहब्बत बेशुमार है। मैं जब-जब गिरा हूं राहों पर, मेरी बांह उसने पकड़ी है, मैं जब जब उठा कुछ करने को, मेरी पीठ उसने थपकी है। बनके सहारा वह अब तक, हर मुश्किल से मेरी है लड़ा, आज भी जब जब मैं गिरा, वह मेरी बांह थामे है खड़ा। इस जीवन के बवंडर में, एक दोस्त बनकर तू खड़ा, जब जब आई कोई मुश्किल मेरे पर, मेरे सर पर साया तूने करा। वो पिता नहीं भगवान है, सारी दुनिया में वो महान है, जन्म से लेकर अब तक, वह चला हमेशा साथ है। अब है हमारी बारी, उन्हें खुश रखने की जिम्मेदारी, हमें दे ऐसी बक्शीश, सेवा करें हम, उम्र उनकी सारी। तू पिता बन हर जन्म में, मैं पुत्र बन के आऊंगा, तेरे अनकहे सपने, मैं फिर से सजाऊंगा। तेरी लाठी बन खड़ा रहूंगा, तेरा साथ मैं निभाऊंगा, तू कर वादा जन्मों का, मैं लौट के वापस आऊंगा। और तेरे रहे अधूरे सपने, में फिर से उन्हें निभायुंगा में फिर से उन्हें निभायूंगा। तू कर वादा जन्मों का, मैं फिर से वापस आऊंगा। मैं फिर से वापिस आयूंगा।। 🙏🙏 ©Vishal Bangotra 🌹🌹Father's day special 🌹🌹 मेरे लफ्ज़ बहुत छोटे हैं, उस की गाथा अपरंपार है, मेरी सोच बहुत छोटी है, उसकी मोहब्बत बेशुमार है। मैं जब-जब गिरा हू