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theABHAYSINGH_BIPIN
White अपने सपनों पर विश्वास करो, इस जग में अपना नाम करो। लक्ष्य से अपने भटकना नहीं, हर पल मंज़िल का ध्यान करो। मुश्किलें खुद से दूर रखो, ओझल हो राह तो निहार करो। घबराना मत, ये छोटी सी हैं, संकल्प को हरदम याद करो। खुद के मन को टटोलो तुम, दिल से रोज़ नई बात करो। छोड़ो दुनिया की फ़िज़ूल बातें, सपनों को साकार करो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status अपने सपनों पर विश्वास करो, इस जग में अपना नाम करो। लक्ष्य से अपने भटकना नहीं, हर पल मंज़िल का ध्यान करो। मुश्किलें खुद से दूर र
#Sad_Status अपने सपनों पर विश्वास करो, इस जग में अपना नाम करो। लक्ष्य से अपने भटकना नहीं, हर पल मंज़िल का ध्यान करो। मुश्किलें खुद से दूर र
read moreVinod Mishra
Rohan Roy
White निराश मन अपने और दूसरों के भीतर, सिर्फ कमियों को देखता है। ये वही देखता है, जिसकी आदतें हमने अपनी, नकारात्मक विचारों से सींचा है। यह पल पल समस्याओं से घिरा हुआ, खुद को पाता है। क्योंकि दुनिया की तमाम बोझों को, अपना बोझ समझता है। आसान भाषा में कहे, तो जीवन जितना सरल है, इसे कठिन बनाने के प्रतिभागी हम स्वयं हैं। हमने ही अपने दृष्टि को, ऐसा दृष्टिकोण दिया है। ©Rohan Roy निराश मन अपने और दूसरों के भीतर, सिर्फ कमियों को देखता है | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroym
निराश मन अपने और दूसरों के भीतर, सिर्फ कमियों को देखता है | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | rohanroym
read moreCalmKrishna
White _______________ ©CalmKrishna #मन #कविता #लिखना shayari in hindi shayari on life
Divyanshu kumar singh
जिंदगी में इतना पैसा कमाना है कि, पत्नी को कभी किसी चीज की कमी, महसूस न हो। माँ-बाप को कभी किसी बात की तकलीफ महसूस न हो । बहनों को कभी अपने पन की कमी महसूस न हो। भाइयों पर कभी भी किसी चीज का भार, महसूस न हो1 ~दिव्यांशु कुमार सिंह ©Divyanshu kumar singh #कमी महसूस न हो
#कमी महसूस न हो
read moreगणेश शर्मा 'विद्यार्थी'
sunset nature नव सृजन करो हे कविकुल! नवयुग निर्माण करो तुम। परिवर्तन की बेला है, स्वर में हुंकार भरो तुम। तुम अग्रदूत संसृति के, किञ्चित पथभ्रष्ट न होना। प्रस्थान हेतु तत्पर हो, कवितारोहण कर दो ना। जब तक रवि-शशि अम्बर में, कविता मन शुद्ध चलेगा। अविवेकी का मेधा से, आजीवन युद्ध चलेगा। पग-पग पर प्रतिपल पंथी, शत-शत अवरोध मिलेंगे। इस कविता की यात्रा में, प्रतिदिवस विरोध मिलेंगे। पर तुम भयभीत न होना, अपना कविकर्म निभाना। इस कलम शक्ति के द्वारा, नवयुग आरेख बनाना। उसमें फिर शुभ शुचिता की, कूँची से रंग भरेंगे। चिर कलित भाव को लेकर, शब्दों के संग झरेंगे। निर्जीव सजीवन होंगे, फिर हृदय-पटल खोलेंगे। इन कवितावलियों के भी, रव अमरचित्र बोलेंगे। नैराश्य न स्पर्श करेगा, माँ वाणी के प्रति सुत को। आशा के दीपक जलते, तम में कविता-संयुत को। ©गणेश शर्मा 'विद्यार्थी' नवसृजन करो हे कविकुल! कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता कविता कोश #hindipoetry #HindiPoem #hindikavita #kavya #kavita
नवसृजन करो हे कविकुल! कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता कविता कोश #hindipoetry #HindiPoem #hindikavita #kavya #kavita
read moreNishchhal Neer
जब मिलना हो खुद से तो.. प्रकृति से मिल लेता हूँ.. मन की मटमैली यादों को.. पानी से धो लेता हूँ.. निश्छल "नीर" poetry #kavita shayari sha
read moreShivkumar barman
White न रेत में... न देह में... न मन मे ... न अहसास में.. न जिस्म में... इश्क तो बस सिमट जाता है, सिर्फ और सिर्फ रूह में...! न आयत में.. न इनायत में.... न चाहत में .. न ख्वाहिश में.. इश्क़ तो बसता है सिर्फ रूह की इबादत में..!! ©Shivkumar barman न #रेत में... न #देह में... न #मन मे ... न #अहसास में.. न #जिस्म में... #इश्क तो बस सिमट जाता है, सिर्फ और सिर्फ रूह में...! न आयत म