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Vijay Vidrohi
हरियाणा हरियाणवी संस्कृति की धरा पर, खेतों में है खड़े किसान, मेहनत से जुटे दिन और रात हरियाणा की ये पहचान। उनके हाथों में हल, उनके दिल में सपने, सबका पेट भरे हैं अन्न से समझ के अपने महिलाएं घाघरा चोली पहने, सिर पर पललू, बेटे को यह प्यार से कहती मेरा कल्लू खेतों में भी साथ कमावै बणकै ढेठी ओलंपिक में मेडल लावे हरियाणा की बेटी उनके हाथों में सुई, उनके दिल में प्यार, गिद्दा खडवा घोड़ी नृत्य गाव गीत मल्हार। हरियाणवी संस्कृति एक सुंदर सी कहानी है, जिसमें मेहनत, संतोष,प्यार और मीठी बाणी। गर्व से उस फौजी बेटे पै जो राखे देश का मान यही है हरियाणवी संस्कृति की असली पहचान। जो हमें गर्व और सम्मान से भर देती है। कृपया बताएं कविता कैसी लगी ©Vijay Vidrohi हरियाणा #हरियाणा #my #new #poem poetry on love love poetry in hindi hindi poetry punjabi poetry poetry lovers
Akash Kedia
अच्छा हुआ के बस कहानी का किरदार रहे, इश्क़ मलंगा शायर का अधूरा सा इज़हार रहे, हासिल हुआ जो खोने पर, मिलने से छूठ जाता, है अर्ज़ मेरी कहानी में ये सिलसिला हर बार रहे। जुड़े हुए थे तुमसे जो; पूरे ख़्वाब अगर हो जाते वो, एहसास नजाने कितनो से ये मुलाकातें न होती, नज़र बिछाई राहों पर तुम मेरी ओर चलकर आते तो, अल्फ़ाज़ों की मेरे हिस्से में फ़िर ये बरसातें न होती। कब सुना है दिल दिमाग़ की; ये अक्सर ही लड़ते रहे, बढ़ न पाये कभी तुमसे आगे; तुम में ही उलझे रहे, हर बात हज़ारों सफ़र परे तुम तक आकर ठहर गई, देखा जब भी शीशे में ख़ुद में भी तुम ही मिलते रहे। चाहतें हर रोज़ तुम्हारी गलियों से गुज़रने की, अपने ही घर की राहों का ठिकाना भुलाने लगी, हावी हुए ऐ साकी तुम मुझपर जो इस तरह, मेरी रूह भी मुझे ख़ुद से फ़िर बेगाना बुलाने लगी। मग़र नींद तो खुलनी थी काली रात के ढलने पर, अंधेर ख़्वाबों को सुलगना था आफ़ताब के जलने पर, राब्ता तो उनसे महज़ ख़ुदको बिखेरने तक का था, ये इल्म हुआ एक हरजाई का आकाश के मरने पर। इश्क़ में राख़ होकर सुनो ये आशिक़ दिलदार कहे, हर दीवाना इस जहान में ऐसी मोहब्बत सौ बार करे, जब टूटकर टुकड़े मिलते हैं तो ऐसा कमाल लिखते हैं, के टकरा जाएं जब भी किसीसे तो बिछड़ना हर बार रहे। ©Akash Kedia #wallpaper poetry in hindi love poetry in hindi #writerscommunity #writing #poem #Hindi #yqbaba #yqdidi
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read moreSanjeev0834
हम तो साहबजादे नेहा में इतना ही जानते थे। लेकिन मुझे नहीं पता कि पहले उन पर कितना अत्याचार किया गया था.' #पहली यातना-परिवार से अलगाव #दूसरी यातना- भूख भी अपने आप में एक बड़ी यातना है #चौथा अत्याचार- गंगू ने उसकी प्रेम की पोटली लेकर उससे नाराज हो गई और मुगलों को बाहर से दरवाजा बंद करके मजबूर कर दिया। #पंजवा अत्याचार- मारिंडा ले जाने से पहले उन्हें बोरों में बंद कर घोड़ों पर लाद दिया गया और माता गुजर जी की भुजाओं को काली मिर्च लगे कपड़े से ढक दिया गया। ईश्वर #छठा अत्याचार- दो सरकारी अधिकारियों ने इनाम पाने के लिए साहिबजादों को टूटू डंडे से पीटा लेकिन उन्होंने इस्लाम स्वीकार नहीं किया। #सातवीं यातना- बाद में उन्हें पेड़ से बांधकर गुलेल से मारा गया। #आठवीं यातना- मोरिंडे से सरहिंद साहिबजादों को हथकड़ी लगाकर टोरक्वे ले जाया गया। ईश्वर #नोवाटॉर्चर- ठंडे टॉवर में रखा गया पोह के महीनों तक पतले कपड़े तीन दिन तक भूखा रखा गया सर्दी भी एक बड़ी यातना है #दसवीं यातना- जीवित दीवार में पहचाना जाना। #ग्यारहवीं यातना-- चिनाई के दौरान घुटनों से ईंटें निकल रही थीं तो काजी ने कहा कि सरकारी ईंट को नुकसान मत पहुंचाओ, इनके घुटने छील दो। #बारहवीं यातना - आधे जीवित साहिबजादे ने अपने पैर शहीदों की घुटनों पर रख दिये। ©Sanjeev0834 #beingsanjeev0834🦅 #nawab_saab💗🤞 #2linespoetry #2lineshayari #Punjabi love poetry in hindi sad poetry hindi poetry on life punjabi poetry H
beingsanjeev0834🦅 nawab_saab💗🤞 #2linespoetry #2lineshayari #Punjabi wlove poetry in hindi wsad poetry whindi poetry on life wpunjabi poetry H
read morebhomika bhomika
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read moreRuamal ali saha
Vk Virendra
भिन्न - भिन्न किरदार मेरे, मैं.बदनसीबी और प्यार का मारा हूं। कोई कहता है शायर मुझको तो किसी कि नज़र में आवारा हूं..।। ©Vk Virendra #Aurora sad urdu poetry hindi poetry on life punjabi poetry love poetry in hindi poetry in hindi
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