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Amit Chaturvedi
माँ - बाप से हम दूर होकर हालातों से मजबूर होकर मेहमान की तरह आये थे उम्मीदें हम भरपुर लेकर खुद को यहां जाना हमने दुनिया को पहचाना हमने चाहे कोई भी नवोदय हो आज अपना सा वो लगता है सात साल मैं नवोदय मे, अब नवोदय मुझमें रहता है महान हैं वो शिक्षक जिनका हमें आशीर्वाद रहा नवोदय के साथ रहा और नवोदय के बाद रहा ना केवल पढ़ाया बल्कि जीना बेहतर सीखाया है नवोदय की इस मिट्टी में ज्ञान का सागर बहता है सात साल मैं नवोदय मे, अब नवोदय मुझमें रहता है वर्षो से अनजान रहा , वो पल भर में मिल जाता है बस नवोदय का नाम सुनकर छोटा भाई हो जाता है छोटे - बड़े सब साथ हुए मिलकर एक परिवार हुए कुछ वर्षो का साथ हमारा, जीवन भर ये चलता है सात साल मैं नवोदय मे, अब नवोदय मुझमें रहता है बचपन से जवानी तक हर किस्सा हर कहानी तक लड़ाई - पढ़ाई से खेल - कूद और शैतानी तक खट्टा - मीठा अच्छा - बुरा हर अनुभव से मैं गुजरा हूं कभी जाने से डरता था अब रह जाने का मन करता है सात साल मैं नवोदय मे, अब नवोदय मुझमें रहता है दुनिया मे अपना नाम किया नवोदय का सम्मान किया नवोदय की काबिलियत को लोगों ने भी मान लिया खुद अपनी ही तारीफ में अब कैसे क्या मैं बया करूं नवोदयन की तो बात अलग हैं, ये हर कोई कहता है सात साल मैं नवोदय मे, अब नवोदय मुझमें रहता है ©Amit Chaturvedi नवोदय
नवोदय
read moreDeepali Singh Chauhan
Unsplash केंद्रीय विद्यालय संगठन का सफ़र 15 दिसंबर 1963 में हुआ था गठन, सेंट्रल स्कूल के नाम से शुरू हुआ था संगठन। 20 रेजिमेंटल विद्यालय बने थे देने को शिक्षा, उनके बच्चों को जो करते हैं देश की सुरक्षा। शिक्षा मंत्रालय की और से देश को मिला वरदान था, 1965 को संगठन को मिला नया नाम था। ज्ञान की रोशनी लेकर फैलाया उजियारा, देश से विदेश तक बढ़ा संगठन हमारा। देश को 1,253 विद्यालयों की मिली हुई है सौगात, जहां ज्ञान विज्ञान से चमकता भविष्य प्रभात । विदेश में विद्यालय हैं काठमांडू, मॉस्को और तेहरान में, केंद्रीय विद्यालय संगठन सर्वोपरि संगठन है ज्ञान में। चलो बात करते हैं संगठन के मिशन की, 'तत् त्वं पूषन् अपावृणु' ध्येय लेकर संगठन के विजन की। विद्यालयी शिक्षा को उत्कृष्टता के शिखर पर पहुंचाना है, शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग और नवाचार को बढ़ाना है। राष्ट्रीय एकता और भारतीयता की भावना को विकसित करना है , छात्रों की प्रतिभा, उत्साह और रचनात्मकता को पोषित करना है। तमसो मा ज्योतिर्गमय के साथ तक्षशिला और नालंदा का इतिहास दोहराना है, भारत का स्वर्णिम गौरव केंद्रीय विद्यालय को लाना है। आओ इस 62वें स्थापना दिवस पर हम करते हैं ये प्रण, शिक्षा, ज्ञान – विज्ञान से उजला हो भारत का कण कण। ©Deepali Singh Chauhan #Book केंद्रीय विद्यालय संगठन
#Book केंद्रीय विद्यालय संगठन
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